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Death of Cheetahs in Kuno: चीतों की मौतें की वजह डिकोड, जानकारों ने बताया कैसे गई जान, कारण जान कर रह जाएंगे हैरान - कूनो में चीता की मौत

कूनो में आए नामीबियाई और अफ्रीकी चीतों की मौत से हंगामा मचा हुआ है. वजह साफ है भारत की धरती पर लुप्त हुए चीतों की बसाहट के लिए शुरु किए गए करोड़ों के प्रोजेक्ट पर पानी फिरता दिख रहा है. जिस तरह कूनो में चीतों की मौत हो रही अगर यही सिलसिला चलता रहा तो दूसरे देश से लाए गए सभी चीते समाप्त हो जाएंगे. इसलिए मौत के कारणों की असली वजह पता करने में विभाग के पसीने छूट रहे.

Death of Cheetahs in Kuno
कूनो में चीतों की मौत की वजह
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Published : Aug 4, 2023, 11:28 AM IST

Updated : Aug 4, 2023, 12:43 PM IST

कूनो में चीतों की मौत की वजह

भोपाल। कूनों में चीतों की मौतों को स्वाभाविक मौत बता दिया गया हो, लेकिन जानकारों ने इन मौतों के लिए चीतों के प्रबंधन से जुड़े लोगो पर सवाल उठा दिए हैं. सालों से वन्य प्राणियों के बीच रहने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि लापरवाही की वजह से 9 चीतों की मौत हो चुकी है. दूसरी तरफ वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट का कहना है कि रेडियो कॉलर मौत का कारण इसलिए बनी क्योंकि जब चीतों को खुले में छोड़ा गया तो उन्हें उतना शिकार नहीं मिला जितना मिलना था. जिससे चीते कमजोर होते गए और उनकी गले की खाल ढीली हुई और पट्टे में रगड़न हुई घाव बने और उन घाव में कीड़े पड़ गए, देखरेख के अभाव में चीतों की मौत हो गई.

चीतों को शिकार आसानी से नहीं मिल पा रहा: एक तरफ कूनो के अधिकारी कहते हैं कि यहां पर चीतलो की संख्या पर्याप्त है लेकिन सालों पेंच टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर रहे रामगोपाल सोनी का मानना है कि कुछ साल पहले कूनो में जो चीतल की संख्या थी वो अब कम हो गई है. इससे चीतों को शिकार में कमी हुई, वे कमजोर हो गए. अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए, ये भी रिसर्च का विषय है.

मौतों की अलग अलग थ्योरी: चीतों की लगातार मौतों से अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या एमपी टाइगर स्टेट के बाद अब चीता स्टेट भी बन सकेगा. मौतों की अलग-अलग थ्योरी बताई जा रही है. एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सरकार कह रही है कि चीजों की मौत स्वभाविक है लेकिन दूसरी तरफ कई एक्सपर्ट कह रहे हैं कि साउथ अफ्रीका में बना कोल्ड विंटर कोट, यहां के मौसम में प्रतिकूल असर दिखा रहा है जिसके चलते मौते हो रही हैं.

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट रंजीत सिंह, जिन्होंने कूनो में चीता प्रोजेक्ट की नीव रखी थी, इनका कहना है कि कोल्ड विंटर कोट मौत का कारण नहीं है बल्कि जिस तरह से देखरेख की जानी थी उसमें लापरवाही हुई है और यही वजह चीतों की मौत का कारण है हालांकि जब उनसे पूछा गया कि यहां पर चीतों को शिकार के लिए पर्याप्त चीतल नहीं है, उसकी वजह यहां पर चीतल का अवैध शिकार होना है. इस पर उन्होंने कहा कि इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन ऐसी बात है तो इस पर अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट: राम गोपाल सोनी जिन्हें वाइल्ड लाइफ का लंबा अनुभव है पेंच टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर भी रहे, इनका कहना है कि कूनो में 2013 की रिपोर्ट में प्रति स्क्वायर किलोमीटर 60 शीतल थे लेकिन 2022 में वह घटकर 13 हो गए, इससे साफ है कि चीतों को भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जिससे उनके गर्दन में घाव हुए, मक्खी बैठी और कीड़े पड़ गए, हालांकि इस पर गहन अध्ययन की जरूरत है. यदि कॉलर आईडी से घाव बने हैं तो जब चीते बाड़े में थे तब क्यों नहीं बने लेकिन बाड़े में छोड़ने के बाद 2 महीने में ही चीतों को घाव हो गए, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें शिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा और वही कॉलर आईडी से उनको घाव हो गए, जो की मौत का कारण बने.

लापरवाही पर कार्रवाई: वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि चीता प्रोजेक्ट सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है, एनटीसीए की जो रिपोर्ट दी गई है उसमें यह बताया गया है कि अभी जो चीते की मौत हुई है उसकी कॉलर आईडी खराब हो चुकी थी. अजय दुबे का कहना है कि ऐसी गंभीर लापरवाही करने वाले अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. जिससे चीता प्रबंधन से जुड़े अन्य अधिकारी भी सावधान हो जाएं.

कूनो में चीतों की मौत की वजह

भोपाल। कूनों में चीतों की मौतों को स्वाभाविक मौत बता दिया गया हो, लेकिन जानकारों ने इन मौतों के लिए चीतों के प्रबंधन से जुड़े लोगो पर सवाल उठा दिए हैं. सालों से वन्य प्राणियों के बीच रहने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि लापरवाही की वजह से 9 चीतों की मौत हो चुकी है. दूसरी तरफ वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट का कहना है कि रेडियो कॉलर मौत का कारण इसलिए बनी क्योंकि जब चीतों को खुले में छोड़ा गया तो उन्हें उतना शिकार नहीं मिला जितना मिलना था. जिससे चीते कमजोर होते गए और उनकी गले की खाल ढीली हुई और पट्टे में रगड़न हुई घाव बने और उन घाव में कीड़े पड़ गए, देखरेख के अभाव में चीतों की मौत हो गई.

चीतों को शिकार आसानी से नहीं मिल पा रहा: एक तरफ कूनो के अधिकारी कहते हैं कि यहां पर चीतलो की संख्या पर्याप्त है लेकिन सालों पेंच टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर रहे रामगोपाल सोनी का मानना है कि कुछ साल पहले कूनो में जो चीतल की संख्या थी वो अब कम हो गई है. इससे चीतों को शिकार में कमी हुई, वे कमजोर हो गए. अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए, ये भी रिसर्च का विषय है.

मौतों की अलग अलग थ्योरी: चीतों की लगातार मौतों से अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या एमपी टाइगर स्टेट के बाद अब चीता स्टेट भी बन सकेगा. मौतों की अलग-अलग थ्योरी बताई जा रही है. एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सरकार कह रही है कि चीजों की मौत स्वभाविक है लेकिन दूसरी तरफ कई एक्सपर्ट कह रहे हैं कि साउथ अफ्रीका में बना कोल्ड विंटर कोट, यहां के मौसम में प्रतिकूल असर दिखा रहा है जिसके चलते मौते हो रही हैं.

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट रंजीत सिंह, जिन्होंने कूनो में चीता प्रोजेक्ट की नीव रखी थी, इनका कहना है कि कोल्ड विंटर कोट मौत का कारण नहीं है बल्कि जिस तरह से देखरेख की जानी थी उसमें लापरवाही हुई है और यही वजह चीतों की मौत का कारण है हालांकि जब उनसे पूछा गया कि यहां पर चीतों को शिकार के लिए पर्याप्त चीतल नहीं है, उसकी वजह यहां पर चीतल का अवैध शिकार होना है. इस पर उन्होंने कहा कि इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन ऐसी बात है तो इस पर अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट: राम गोपाल सोनी जिन्हें वाइल्ड लाइफ का लंबा अनुभव है पेंच टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर भी रहे, इनका कहना है कि कूनो में 2013 की रिपोर्ट में प्रति स्क्वायर किलोमीटर 60 शीतल थे लेकिन 2022 में वह घटकर 13 हो गए, इससे साफ है कि चीतों को भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जिससे उनके गर्दन में घाव हुए, मक्खी बैठी और कीड़े पड़ गए, हालांकि इस पर गहन अध्ययन की जरूरत है. यदि कॉलर आईडी से घाव बने हैं तो जब चीते बाड़े में थे तब क्यों नहीं बने लेकिन बाड़े में छोड़ने के बाद 2 महीने में ही चीतों को घाव हो गए, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें शिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा और वही कॉलर आईडी से उनको घाव हो गए, जो की मौत का कारण बने.

लापरवाही पर कार्रवाई: वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि चीता प्रोजेक्ट सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है, एनटीसीए की जो रिपोर्ट दी गई है उसमें यह बताया गया है कि अभी जो चीते की मौत हुई है उसकी कॉलर आईडी खराब हो चुकी थी. अजय दुबे का कहना है कि ऐसी गंभीर लापरवाही करने वाले अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. जिससे चीता प्रबंधन से जुड़े अन्य अधिकारी भी सावधान हो जाएं.

Last Updated : Aug 4, 2023, 12:43 PM IST
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