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कोरोना ने बीसीएलएल बस की बिगाड़ी लाइफलाइन, नहीं मिल रहे यात्री - भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड

राजधानी भोपाल की लाइफलाइन भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड( बीसीएलएल) बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं. जिससे बीसीएलएल को काफी नुकसान हो रहा है. आलम यह है कि ड्राइवर, कंडक्टर की सैलरी निकालना भी भारी हो रहा है.

BCLL bus not getting passenger
बीसीएलएल बस को नहीं मिल रही सवारी
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Published : Nov 25, 2020, 3:56 AM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल की लाइफलाइन भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं. किसी समय बीसीएलएल बसों में बैठने के लिए जगह नहीं मिलती थी, लेकिन आज बस खाली चल रही है. जिन रूटों पर बसें चलाई जा रही है वहां सिर्फ आधी सीटें ही भर पाती है. जिससे बीसीएलएल को काफी नुकसान हो रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण बसों में यात्री नहीं बैठ रहे हैं.

बीसीएलएल बस को नहीं मिल रही सवारी

सिर्फ 50 फीसदी यात्री

लॉकडाउन के बाद बीसीएलएल की बसों पर भी ब्रेक लग गया था. 6 महीने के करीब बसें बस डिपो में खड़ी रही, धीरे-धीरे सरकार की तरफ से राहत दी गई. जिसके बाद बस चलाने का फैसला लिया गया. अब तक शहर के 12 मार्गों पर बीसीएलएल की 89 बसें चल रही है, लेकिन इन रूटों पर सिर्फ 50 फीसदी यात्री मिल रहे हैं. जिसने परेशानी बढ़ा दी है क्योंकि बस ड्राइवर और कंडक्टर के अलावा डीजल के पैसे लगते हैं जो निकालना मुश्किल हो रहा है.

आर्थिक स्थिति खराब

बीसीएलएल द्वारा शहर में करीब 210 बसें संचालित की जाती है. जिनमें 800 के लगभग बस ड्राइवर, कंडक्टर हैं. इनमें से इन्हें 7 से 12 हजार तक सैलरी दी जाती है. बीसीएलएल ने दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को बस के संचालित करने का जिम्मा सौंप रखा है. दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को ही बसों के कंडक्टर, ड्राइवर की सैलरी देना रहता है. लेकिन यात्री नहीं मिलने के कारण बीसीएलएल बस संचालन कंपनी दोनों परेशान है. बीसीएलएल पीआरओ संजय सोनी का कहना है कि हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में यात्रियों की संख्या बढ़ेगी. शुरुआत मे 10 फीसदी यात्री आते थे, जिनमें बढ़ोतरी हुई है लेकिन यह काफी नहीं है.

भोपाल। राजधानी भोपाल की लाइफलाइन भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं. किसी समय बीसीएलएल बसों में बैठने के लिए जगह नहीं मिलती थी, लेकिन आज बस खाली चल रही है. जिन रूटों पर बसें चलाई जा रही है वहां सिर्फ आधी सीटें ही भर पाती है. जिससे बीसीएलएल को काफी नुकसान हो रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण बसों में यात्री नहीं बैठ रहे हैं.

बीसीएलएल बस को नहीं मिल रही सवारी

सिर्फ 50 फीसदी यात्री

लॉकडाउन के बाद बीसीएलएल की बसों पर भी ब्रेक लग गया था. 6 महीने के करीब बसें बस डिपो में खड़ी रही, धीरे-धीरे सरकार की तरफ से राहत दी गई. जिसके बाद बस चलाने का फैसला लिया गया. अब तक शहर के 12 मार्गों पर बीसीएलएल की 89 बसें चल रही है, लेकिन इन रूटों पर सिर्फ 50 फीसदी यात्री मिल रहे हैं. जिसने परेशानी बढ़ा दी है क्योंकि बस ड्राइवर और कंडक्टर के अलावा डीजल के पैसे लगते हैं जो निकालना मुश्किल हो रहा है.

आर्थिक स्थिति खराब

बीसीएलएल द्वारा शहर में करीब 210 बसें संचालित की जाती है. जिनमें 800 के लगभग बस ड्राइवर, कंडक्टर हैं. इनमें से इन्हें 7 से 12 हजार तक सैलरी दी जाती है. बीसीएलएल ने दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को बस के संचालित करने का जिम्मा सौंप रखा है. दुर्गम्मा बस ऑपरेटर को ही बसों के कंडक्टर, ड्राइवर की सैलरी देना रहता है. लेकिन यात्री नहीं मिलने के कारण बीसीएलएल बस संचालन कंपनी दोनों परेशान है. बीसीएलएल पीआरओ संजय सोनी का कहना है कि हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में यात्रियों की संख्या बढ़ेगी. शुरुआत मे 10 फीसदी यात्री आते थे, जिनमें बढ़ोतरी हुई है लेकिन यह काफी नहीं है.

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