भोपाल। देश भर में कोरोना का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के कारण औद्योगिक क्षेत्र भी ठप पड़े हुए है. कोरोना कर्फ्यू का असर रियल एस्टेट पर भी पड़ने लगा है. कोरोना महामारी के इस दौर में प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर ठप है. रेरा में न तो किसी नए प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन हो पा रहा है, और ना ही ग्राहकों की शिकायतों पर सुनवाई हो रही है, जो बिल्डरों के खिलाफ रेरा में दी गई है. मध्य प्रदेश के रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) में पिछले 6 माह से एक भी प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिली. नए चेयरमेन के पदभार ग्रहण करने के एक महीने बाद भी प्रोजेक्ट की मंजूरी की स्थिति जस की तस बनी हुई है. इसमें प्रदेश भर के 400 से अधिक आवासीय और व्यवसायिक प्रोजेक्ट की फाइलें रेरा में अटकी है. इन प्रोजेक्ट में करीब एक लाख से अधिक घर बनाए जाने थे.
- प्रोजेक्ट को नहीं मिल रही मंजूरी
बिल्डर्स का कहना है कि हमारे प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल पा रही है. मंजूरी न मिलने से रियल एस्टेट डेवलपर ग्राहकों से बुकिंग की राशि नहीं ले पा रहे हैं, जो लोकेशन के आधार पर घर खरीदने की इच्छा जता चुके हैं. कोरोना लॉकडाउन के बाद भी प्रदेश सरकार ने निर्माण गतिविधियों को अनुमति दी थी, लेकिन काम शुरु न हो पाया है.
- पंजीयन के बिना प्रोजेक्ट सेल नहीं हो रहा
जानकारी के मुताबिक एक प्रोजेक्ट में लगभग 200 से 250 मकान बनाए जाते हैं. इनकी लागत 80 से 100 करोड़ रुपए आती है. कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स ऑफ इंडिया (क्रेडाई) मध्य प्रदेश के प्रवक्ता मनोज सिंह मीक कहते हैं कि रेरा में चेयरमेन की नई नियुक्ति हुई है और फिर लॉकडाउन लग जाने से प्रोजेक्ट पंजीयन में देरी हुई है. पंजीयन के बिना प्रोजेक्ट सेल नहीं किया जा सकता है.
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- पुराने प्रोजेक्ट की समयावधि बढ़ाए रेरा
जानकारी के मुताबिक रेरा में प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के बाद एक निश्चित समयावधि में उसे पूरा करना होता है, लेकिन पिछले साल कोरोना के बाद इस साल भी कोरोना संक्रमण के चलते रियल एस्टेट का काम रुक गया है. इस हालात में क्रेडाई की मांग है कि रेरा पुराने प्रोजेक्ट को पूरा करने की समयावधि को बढ़ाए, जिससे डेवलपर्स को परेशानी न हो.
- कच्चे माल के भाव में बढ़ोत्तरी
मकान को बनाने में उपयोग होने वाली वस्तुएं जैसे सरिया, ईंट से लेकर गिट्टी मोरम तक सभी के भाव में दोगुना इजाफा हुआ है. यह सब कोरोना की लहर के कारण हुआ है. प्रदेश में सरिया का भाव 45 हजार रुपए के आसपास था, जो अब बढ़कर 60 हजार के आसपास हो गया है. 40 रुपए प्रति फीट के भाव से मिलने वाली रेती का भाव 80 रुपए फीट तक पहुंच गया है. पहले 5,500 रुपए की एक हजार ईंट मिलती थी जिसका भाव अब 6,500 तक पहुंच गया है. इसका सीधा असर मकान की कुल लागत पर पड़ रहा है. पहले 500 स्क्वेयर फीट का मकान 15 लाख के आसपास मिलता था जो अब 20 से 22 लाख में मिल रहा है.
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- मजदूरों का पलायन बना समस्या
प्रॉपर्टी व्यवसाय करने वालों के सामने मजदूरों का पलायन भी बड़ी समस्या है. महामारी को देखते हुए उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले मजदूरों ने पलायन कर लिया है. बिल्डर्स का मानना है कि स्थानीय मजदूर ज्यादा पैसों की डिमांड करते हैं. कुछ बिल्डर्स ने अपने खर्चे पर बाहर के मजदूरों को रोक रखा है. इस दौरान वो उनके खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि थोड़ी दिनों में स्थितियां सामान्य हो सकती है और उनके काम फिर से शुरू हो सकते हैं.
- रेरा के लिए नहीं बने नियम
मध्य प्रदेश में सबसे पहले रेरा का गठन किया गया था, लेकिन अब तक इसके नियम तय नहीं हो पाए हैं. रेरा अधिनियम के सेक्शन 85-86 के तहत राज्य सरकार को रेरा के नियम बनाने थे, लेकिन पिछले साल कोरोना के बाद अब इस साल भी कोरोना के प्रभाव के कारण अब तक पूरी नियुक्तियां ही नहीं हो पाई हैं, जिससे काम की गति मंद पड़ गई है.