भोपाल। विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में वादा किया था कि किसी भी संविदा कर्मचारी को सेवा से निकाला नहीं जाएगा, बल्कि जिसे भी शिवराज सरकार ने निकाल दिया, उनको वापस नौकरी में लिया जाएगा, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी कमललाथ सरकार के हाल भी शिवराज सरकार की तरह ही हैं.
फैसला वापस लेने की मांग
हाल ही में सहकारिता विभाग में कार्यरत 634 संविदा कंप्यूटर ऑपरेटरों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. सरकार के इस फैसले से दूसरे विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारी भी नाराज हैं. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है, तो वह सड़कों पर आंदोलन करेंगी.
पिछले 10 साल से कर रहे थे काम
प्रदेश के जिला सहकारी बैंकों में 2011 से कार्यरत 634 संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर की सेवा समाप्त करने के आदेश संयुक्त आयुक्त सहकारिता ने 17 फरवरी 2020 को जारी किए थे. इस आदेश को लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है. सहकारी बैंक में संविदा लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर पिछले 10 सालों से कार्यरत थे. कुछ दिनों पहले ही उनकी 6 महीने की संविदा अवधि बढ़ाई गई थी. संविदा कर्मचारियों को उम्मीद थी कि कमलनाथ सरकार उन्हें नियमित करेगी, लेकिन कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.
फैसला नहीं लिया वापस तो आंदोलन की चेतावनी
इस मामले को लेकर संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ मुख्यमंत्री कमलनाथ और सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह से मुलाकात करेंगे और आदेश वापस लेने की मांग करेंगे. अगर सरकार ने संविदा कर्मचारियों का आदेश वापस नहीं लिया, तो कर्मचारी सड़कों पर आंदोलन करेंगे.
इस मामले में संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष रमेश राठौर का कहना है कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के लाखों संविदा कर्मचारियों ने वर्तमान सरकार को वोट दिया था, लेकिन कर्मचारियों को नियमित करने के बजाए हटा दिया गया. मध्यप्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है.