भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना का कहर जारी है. मध्यप्रदेश में भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. एक ओर प्रदेश में अब रोजाना 20 हजार के करीब टेस्टिंग की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर बढ़ते हुए मामलों को नियंत्रित करना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बनता जा रहा है. प्रदेश सरकार भी लगातार इस महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है.
अगस्त में कोरोना के बढ़ते मामले
राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में अगस्त महीने में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग की अगर मानें तो उनका कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद सभी तरह की आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियां बढ़ी हैं. इस कारण कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
प्रदेश में बढ़ाई गई टेस्टिंग
कोरोना संक्रमण नियंत्रण के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किया जाए, जितने ज्यादा टेस्ट किए जाएंगे, उतने ही आसानी से इसकी चेन को तोड़ जाएगा क्योंकि संक्रमण का जल्दी पता लग जाने के बाद उसके संपर्क में आए लोगों को भी क्वारेंटाइन कर संक्रमण को रोका जा सकता है. प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी आईआईटीटी यानी कि आईडेंटिफिकेशन,आइसोलेशन, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की रणनीति पर काम कर रहा है, जिसके तहत अब प्रदेश में पहले की तुलना में टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाया गया है. प्रदेश में अब रोजाना 20 हजार के करीब टेस्टिंग की जा रही है.
लॉकडाउन खुलने से बढ़ रहे मामले
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक प्रदेश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत से लेकर 105 दिन तक तो मामले नियंत्रण में थे, उसके बाद खास तौर पर 29 जुलाई के बाद मामले बढ़ने लगे हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद सभी तरह की आर्थिक-राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियां बढ़ी हैं, इस कारण कोरोना संक्रमण फैला है और मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
प्रतिदिन 20 हजार तक टेस्टिंग की क्षमता
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी का कहना है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सभी जरूरी कोशिशें की जा रही हैं. प्रदेश में पहले की तुलना में टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाया गया है. जहां पहले एक दिन में केवल 60-100 टेस्ट हो पाते थे, वहीं अब प्रतिदिन 20 हजार टेस्ट करने की क्षमता है, यही कारण है कि प्रदेश में संक्रमण के मामले भी ज्यादा सामने आ रहे हैं.
महामारी से निपटने के लिए डिस्ट्रिक्ट कमेटी का गठन
मध्यप्रदेश में कोरोना से निपटने के लिए लागातार प्रदेश सरकार कोशिशें कर रही है. इसके लिए प्रदेश के हर जिले में जनप्रतिनिधियों से बात कर डिस्ट्रिक्ट कमेटी बनाई गई है, मीटिंग लेकर हालातों को देखते हुए निर्णय लिया जाता है. इसका विस्तार सब डिविजनल लेवल पर भी किया गया है. साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए सामाजिक संगठनों से भी बात की जा रही है.
जुलाई तक हुए टेस्टिंग के आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 31 जुलाई तक कुल 7 लाख 67 हजार 571 टेस्ट किये गए हैं, औसतन 14 से 15 हजार सैंपलिंग रोजाना प्रदेश में की जा रही थी, लेकिन अगस्त में टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाया गया और अब रोजाना औसतन 17 से 20 हजार के आसपास टेस्टिंग की जा रही है. अगर प्रतिदिन हो रही सैंपलिंग में से पॉजिटिव मामलों का अनुपात निकाला जाए तो यह औसतन 4 से 5 फीसदी के करीब है.
पिछले 10 दिनों में प्रदेश में 1,97,897 टेस्ट किए गए जिसमें 9218 सैंपल पॉजिटिव आए हैं.
- 9 अगस्त- 17020 कुल टेस्ट, पॉजिटिव-868 अनुपात-5.1%
- 10 अगस्त- 18228 कुल टेस्ट, पॉजिटिव-866 अनुपात-4.8%
- 11 अगस्त- 21217 कुल टेस्ट, पॉजिटिव-843 अनुपात-4%
- 12 अगस्त- 20679 कुल टेस्ट ,870 पॉजिटिव,अनुपात-4.2%
- 13 अगस्त- 20224 कुल टेस्ट-1014पॉजिटिव, अनुपात-5%
- 14 अगस्त- 20126 कुल टेस्ट,796 पॉजिटिव,अनुपात-4%
- 15 अगस्त- 21160कुल टेस्ट,1019 पॉजिटिव,अनुपात-4.8%
- 16 अगस्त- 22011 कुल टेस्ट,1022 पॉजिटिव,अनुपात-4.6%
- 17 अगस्त- 19862 कुल टेस्ट, 930 पॉजिटिव,अनुपात- 4.7%
- 18 अगस्त- 17370 कुल टेस्ट, 990 पॉजिटिव, अनुपात- 5.7%
दोबारा कोई रणनीति सोचने पर विचार!
इस तरह से देखा जाए तो मध्यप्रदेश में तुलनात्मक रूप से टेस्टिंग की क्षमता तो बढ़ी है, पर मामलों को कम करने की रणनीति पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव का कहना है कि प्रदेश में लगातार बढ़ रहे मामले रणनीति पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर रहे हैं. इस पर जल्द ही काम किया जाएगा.
रिकवरी रेट में हुआ सुधार
खैर एक ओर जहां प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर मरीजों की मौत की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है, सरकार भी दावा कर रही है कि जल्द से जल्द इस महामारी से जीत लिया जाएगा. इन सबके बीच राहत वाली वाली बात ये है कि मरीजों की रिकवरी रेट में भी लगातार सुधार हो रहा है.