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MP में संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का इंतजार, लेकिन आश्वासन के आगे घुटने टेकती आशाएं

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Published : Dec 20, 2020, 12:43 AM IST

विभिन्न विभागों में ढाई लाख से ज्यादा लोग पिछले 20-25 सालों बतौर संविदाकर्मी काम कर रहे हैं और यहीं सविंदा कर्मचारी कई सालों से नियमितीकरण के लिए राज्य सरकार से हाथ जोड़ रहे हैं. इतने सालों में कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकार आई इसके बावजूद भी कर्मचारियों को अभी तक सिर्फ और सिर्फ कोरा आश्वासन मिला है.

Await regularization
नियमितीकरण का इंतजार

भोपाल। मध्य प्रदेश में तमाम विभागों में पिछले कई सालों से संविदा नियुक्ति का प्रचलन चलन में रहा है. विधिवत चयन प्रक्रिया के द्वारा चयनित हुए इन संविदा कर्मचारी, अधिकारी के नियमितीकरण का मामला कई दिनों से उलझा हुआ है. कई विभागों के कर्मचारियों को तो 15 से 20 साल संविदा सेवाएं देते हुए बीत चुका है. लेकिन इन कर्मचारियों को आज तक नियमित नहीं किया गया है.

संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का इंतजार

सरकार के अलग-अलग विभागों में ढाई लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं. 2018 के चुनाव के वक्त कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था और सरकार बनने के बाद एक कमेटी भी इसके लिए गठित की थी. लेकिन कमेटी जब तक सिफारिशें देती, तब तक सरकार चली गई. अब संविदा कर्मचारियों की उम्मीद शिवराज सरकार पर टिकी हैं. लेकिन मौजूदा आर्थिक हालातों को देखकर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की उम्मीद दूर की कौड़ी नजर आ रही है.

स्किल्ड हैं आज के संविदाकर्मी

मध्य प्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने सड़कों पर उतरकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में यह बात लाई है. महासंघ की माने को प्रदेश में वर्तमान में सबसे योग्य कर्मचारी संविदा कर्मचारी हैं. इनको कंप्यूटर का ज्ञान है, इनको तकनीक का भी ज्ञान है, इसलिए इनको नियमित किया जाना चाहिए. लेकिन बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि पिछले 20 सालों में कई सरकारें आई और गई, लेकिन संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है.

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तमाम प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हुआ मंथन

जन अभियान परिषद, गुरुजी, पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मियों की नियुक्ति पिछले दरवाजे से की गई थी, लेकिन उनको नियमित कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ विधिवत चयन प्रक्रिया के माध्यम से योग्यताधारी संविदा कर्मचारी, जो नियमित कर्मचारी से ज्यादा योग्यता रखते हैं. उनको नियमित नहीं किया गया है. इससे प्रदेश के संविदा कर्मचारियों में नाराजगी है. किसी ने कमेटी बनाई, किसी ने समिति बनाई है लेकिन अभी तक संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है.

मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि आने वाले समय में बड़ा आंदोलन का शंखनाद करेगा.

कांग्रेस का अपना रुख

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा कहते हैं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान कहते तो कई बार हैं, लेकिन सत्य नीलम पार्क में देख लिया है कि किस तरह से कोरोना वायरस और हमारी सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ने वाले कोरोना योद्धाओं के ऊपर लाठियां बरसाई गई हैं, जो सत्य है. नीलम पार्क में भाजपा ने अपने चरित्र का प्रस्तुतीकरण किया है. अब प्रयास नहीं तो संघर्ष से हम भी जनता के साथ और संविदा कर्मचारियों के साथ संघर्ष करेंगे कि उन्हें नियमित किया जाए.

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भाजपा और कांंग्रेस की एक हां, लेकिन काम में ढिलाई

मध्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राहुल कोठारी का कहना हैं कि भाजपा सदैव इस बात को कहती आई है कि नियमितीकरण होना चाहिए. लेकिन आज जिस तरह के हालात मध्यप्रदेश, देश के और वैश्विक स्तर पर बने हुए हैं, तो अभी थोड़ा इंतजार और करना चाहिए. सभी लोग मिलकर प्रदेश को अच्छी तरह से संभाल रहे हैं. हमें लगता है कि आने वाले समय में सभी मांगों को पूरा किया जाएगा.

कई संविदा कर्मचारी अधिकारी तो ऐसे हैं, जो नियमित पदों के रिक्त होने के खिलाफ संविदा रूप में नियुक्त किए गए हैं. 15 साल रही शिवराज सरकार ने नियमितीकरण का आश्वासन दिया था, लेकिन वो आश्वासन ही रहा. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नियमितीकरण का वचन दिया था और सरकार बनने पर एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने यह भी तय किया था कि विभागवार नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन इसके पहले सरकार गिर गई.

भोपाल। मध्य प्रदेश में तमाम विभागों में पिछले कई सालों से संविदा नियुक्ति का प्रचलन चलन में रहा है. विधिवत चयन प्रक्रिया के द्वारा चयनित हुए इन संविदा कर्मचारी, अधिकारी के नियमितीकरण का मामला कई दिनों से उलझा हुआ है. कई विभागों के कर्मचारियों को तो 15 से 20 साल संविदा सेवाएं देते हुए बीत चुका है. लेकिन इन कर्मचारियों को आज तक नियमित नहीं किया गया है.

संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का इंतजार

सरकार के अलग-अलग विभागों में ढाई लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं. 2018 के चुनाव के वक्त कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था और सरकार बनने के बाद एक कमेटी भी इसके लिए गठित की थी. लेकिन कमेटी जब तक सिफारिशें देती, तब तक सरकार चली गई. अब संविदा कर्मचारियों की उम्मीद शिवराज सरकार पर टिकी हैं. लेकिन मौजूदा आर्थिक हालातों को देखकर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की उम्मीद दूर की कौड़ी नजर आ रही है.

स्किल्ड हैं आज के संविदाकर्मी

मध्य प्रदेश संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने सड़कों पर उतरकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में यह बात लाई है. महासंघ की माने को प्रदेश में वर्तमान में सबसे योग्य कर्मचारी संविदा कर्मचारी हैं. इनको कंप्यूटर का ज्ञान है, इनको तकनीक का भी ज्ञान है, इसलिए इनको नियमित किया जाना चाहिए. लेकिन बड़े दुर्भाग्य का विषय है कि पिछले 20 सालों में कई सरकारें आई और गई, लेकिन संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है.

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तमाम प्रयासों के बाद भी सफल नहीं हुआ मंथन

जन अभियान परिषद, गुरुजी, पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मियों की नियुक्ति पिछले दरवाजे से की गई थी, लेकिन उनको नियमित कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ विधिवत चयन प्रक्रिया के माध्यम से योग्यताधारी संविदा कर्मचारी, जो नियमित कर्मचारी से ज्यादा योग्यता रखते हैं. उनको नियमित नहीं किया गया है. इससे प्रदेश के संविदा कर्मचारियों में नाराजगी है. किसी ने कमेटी बनाई, किसी ने समिति बनाई है लेकिन अभी तक संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हो पाया है.

मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि आने वाले समय में बड़ा आंदोलन का शंखनाद करेगा.

कांग्रेस का अपना रुख

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा कहते हैं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान कहते तो कई बार हैं, लेकिन सत्य नीलम पार्क में देख लिया है कि किस तरह से कोरोना वायरस और हमारी सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ने वाले कोरोना योद्धाओं के ऊपर लाठियां बरसाई गई हैं, जो सत्य है. नीलम पार्क में भाजपा ने अपने चरित्र का प्रस्तुतीकरण किया है. अब प्रयास नहीं तो संघर्ष से हम भी जनता के साथ और संविदा कर्मचारियों के साथ संघर्ष करेंगे कि उन्हें नियमित किया जाए.

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भाजपा और कांंग्रेस की एक हां, लेकिन काम में ढिलाई

मध्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राहुल कोठारी का कहना हैं कि भाजपा सदैव इस बात को कहती आई है कि नियमितीकरण होना चाहिए. लेकिन आज जिस तरह के हालात मध्यप्रदेश, देश के और वैश्विक स्तर पर बने हुए हैं, तो अभी थोड़ा इंतजार और करना चाहिए. सभी लोग मिलकर प्रदेश को अच्छी तरह से संभाल रहे हैं. हमें लगता है कि आने वाले समय में सभी मांगों को पूरा किया जाएगा.

कई संविदा कर्मचारी अधिकारी तो ऐसे हैं, जो नियमित पदों के रिक्त होने के खिलाफ संविदा रूप में नियुक्त किए गए हैं. 15 साल रही शिवराज सरकार ने नियमितीकरण का आश्वासन दिया था, लेकिन वो आश्वासन ही रहा. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नियमितीकरण का वचन दिया था और सरकार बनने पर एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने यह भी तय किया था कि विभागवार नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन इसके पहले सरकार गिर गई.

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