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मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति वर्ग की अनदेखी बीजेपी को पड़ सकती है भारी, कांग्रेस चलाएगी अभियान

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बीजेपी में नाराजगी और असंतोष देखने को मिल रहा है. कांग्रेस का आरोप है कि, ओबीसी वर्ग को अनुपात के आधार पर प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. ऐसे में अब इसको लेकर कांग्रेस बीजेपी को घेरने की तैयारी कर रही है.

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Published : Jul 8, 2020, 8:01 AM IST

Updated : Jul 8, 2020, 1:39 PM IST

File photo
फाइल फोटो

भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जमकर नाराजगी और असंतोष देखने मिल रहा है. मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय स्तर पर जहां विंध्य और महाकौशल की उपेक्षा के कारण असंतोष है, तो वहीं आने वाले उपचुनाव में ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा करना शिवराज सरकार को महंगा पड़ सकता है. मंत्रिमंडल में ओबीसी वर्ग को अनुपात के आधार पर प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए कमलनाथ सरकार की अपेक्षा शिवराज सरकार में कम महत्व मिला है. ग्वालियर- चंबल इलाके में अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं.

बीजेपी को घेरने की तैयारी में कांग्रेस

बीजेपी को घेरने की तैयारी में कांग्रेस

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि, 'यह बात बिल्कुल सत्य है कि, आज बीजेपी की जो सरकार है, उस सरकार में अनुसूचित जाति वर्ग को जो प्रतिनिधित्व मिला है, वो बेहद ही कम है. कमलनाथ सरकार की तुलना में आधी है. कमलनाथ सरकार में हमारे वर्ग के छह मंत्री बनाए गए थे और स्पीकर भी बनाया गया था. आज मात्र मंत्रिमंडल में हमारे तीन मंत्री शामिल किए गए हैं. यह सीधे तौर पर अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा ही नहीं अपमान है'.

ग्वालियर- चंबल संभाग में अनुसूचित जाति वर्ग के प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि, निश्चित तौर पर जो चुनाव होने वाले हैं. उसमें अधिकांश सीटों में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. उसी दृष्टिकोण को मानकर प्रतिनिधित्व दिया गया है, तो ये नगण्य है. आज जिस तरीके से सिंधिया और बीजेपी ने षडयंत्र कर सरकार गिराई है. सीधे तौर पर अनुसूचित जाति के लोगों पर डाका डाला है. इसका खामियाजा भाजपा और सिंधिया और उनके साथियों को भुगतना पड़ेगा.

बता दें कि कमलनाथ सरकार में 28 मंत्रियों में छह मंत्री अनुसूचित जाति वर्ग के शामिल किए गए थे. कमलनाथ सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग से ही एनपी प्रजापति को स्पीकर बनाया गया था. इसके अलावा सज्जन सिंह वर्मा, विजय लक्ष्मी साधो, लखन घनघोरिया, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी को मंत्री बनाया था. जबकि शिवराज मंत्रिमंडल के महामंथन के बाद हुए विस्तार में 33 मंत्रियों में सिर्फ 3 अनुसूचित जाति के मंत्री रखे गए हैं. पहले विस्तार में तुलसी सिलावट को मंत्रिमंडल में रखा गया था. इस तरह कुल 4 मंत्री अनुसूचित जाति वर्ग के हैं. जिनमें जगदीश देवड़ा, इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी को शामिल किया गया है. कांग्रेस आगामी उपचुनाव में इसको मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है. खासतौर पर ग्वालियर- चंबल इलाके में जिन 16 सीटों पर उपचुनाव होना है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद जमकर नाराजगी और असंतोष देखने मिल रहा है. मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय स्तर पर जहां विंध्य और महाकौशल की उपेक्षा के कारण असंतोष है, तो वहीं आने वाले उपचुनाव में ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा करना शिवराज सरकार को महंगा पड़ सकता है. मंत्रिमंडल में ओबीसी वर्ग को अनुपात के आधार पर प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए कमलनाथ सरकार की अपेक्षा शिवराज सरकार में कम महत्व मिला है. ग्वालियर- चंबल इलाके में अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं.

बीजेपी को घेरने की तैयारी में कांग्रेस

बीजेपी को घेरने की तैयारी में कांग्रेस

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि, 'यह बात बिल्कुल सत्य है कि, आज बीजेपी की जो सरकार है, उस सरकार में अनुसूचित जाति वर्ग को जो प्रतिनिधित्व मिला है, वो बेहद ही कम है. कमलनाथ सरकार की तुलना में आधी है. कमलनाथ सरकार में हमारे वर्ग के छह मंत्री बनाए गए थे और स्पीकर भी बनाया गया था. आज मात्र मंत्रिमंडल में हमारे तीन मंत्री शामिल किए गए हैं. यह सीधे तौर पर अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा ही नहीं अपमान है'.

ग्वालियर- चंबल संभाग में अनुसूचित जाति वर्ग के प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि, निश्चित तौर पर जो चुनाव होने वाले हैं. उसमें अधिकांश सीटों में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. उसी दृष्टिकोण को मानकर प्रतिनिधित्व दिया गया है, तो ये नगण्य है. आज जिस तरीके से सिंधिया और बीजेपी ने षडयंत्र कर सरकार गिराई है. सीधे तौर पर अनुसूचित जाति के लोगों पर डाका डाला है. इसका खामियाजा भाजपा और सिंधिया और उनके साथियों को भुगतना पड़ेगा.

बता दें कि कमलनाथ सरकार में 28 मंत्रियों में छह मंत्री अनुसूचित जाति वर्ग के शामिल किए गए थे. कमलनाथ सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग से ही एनपी प्रजापति को स्पीकर बनाया गया था. इसके अलावा सज्जन सिंह वर्मा, विजय लक्ष्मी साधो, लखन घनघोरिया, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी को मंत्री बनाया था. जबकि शिवराज मंत्रिमंडल के महामंथन के बाद हुए विस्तार में 33 मंत्रियों में सिर्फ 3 अनुसूचित जाति के मंत्री रखे गए हैं. पहले विस्तार में तुलसी सिलावट को मंत्रिमंडल में रखा गया था. इस तरह कुल 4 मंत्री अनुसूचित जाति वर्ग के हैं. जिनमें जगदीश देवड़ा, इमरती देवी और प्रभुराम चौधरी को शामिल किया गया है. कांग्रेस आगामी उपचुनाव में इसको मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है. खासतौर पर ग्वालियर- चंबल इलाके में जिन 16 सीटों पर उपचुनाव होना है.

Last Updated : Jul 8, 2020, 1:39 PM IST
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