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बीजेपी ने दिखाई पावर: कांग्रेस का वॉकओवर ! - गिरीश गौतम बने विधानसभा स्पीकर भोपाल

मध्यप्रदेश एसेंबली में आज स्पीकर पद गिरीश गौतम निर्विरोध चुन लिए गए. कांग्रेस ने अपना कैेडिडेट उतारा ही नहीं. ऐसे में चर्चा चल पड़ी है कि क्या कांग्रेस ने बीजेपी को वॉकओवर दे दिया.

congress walkover to bjp
कांग्रेस का 'वॉकओवर'
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Published : Feb 22, 2021, 7:21 PM IST

भोपाल । गिरीश गौतम मध्यप्रदेश विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं. उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें टक्कर देगी. ऐसा कुछ हुआ नहीं. कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा. बीजेपी की राह आसान हो गई. गिरीश गौतम निर्विरोध स्पीकर चुन लिए गए.

कांग्रेस ने दिया बीजेपी को वॉकओवर !

मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए गिरीश गौतम ने रविवार को नामांकन भर दिया था. संख्याबल कांग्रेस के खिलाफ था, ऐसे में कांग्रेस ने स्पीकर के लिए उम्मीदवार खड़ा करने का शायद सोचा भी नहीं. कांग्रेस ने साफ कर दिया था, कि वो स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. ऐसे में गिरीश गौतम और बीजेपी की राह बिल्कुल आसान हो गई. बीजेपी की निश्चित जीत में कोई अड़चन भी नहीं रह गई. कांग्रेस का स्पीकर बनने की संभावनाएं वैसे भी कम थी. विपक्षी दल होने के नाते राजनीतिक जंग तो लड़ने की उम्मीद लोग कांग्रेस से कर ही रहे थे. बीजेपी को चुनौती देने का कांग्रेस नैतिक और राजनीतिक साहस ही नहीं जुटा पाई. उसने हथियार डाल देना ही मुनासिब समझा. कांग्रेस ने एक तरह से बीजेपी को वॉकओवर दे दिया. नतीजा ये हुआ कि गिरीश गौतम निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए.

परंपरा की दुहाई

कमलनाथ ने दी परंपरा की दुहाई

जब गिरीश गौतम विधानसभा स्पीकर बन गए, तो कांग्रेस को कुछ पुरानी याद सताने लगी. सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने लगी. पूर्व सीएम कमलनाथ ने विपक्ष की औपचारिका परंपरा निभाने के लिए औपचारिक बयान दे दिया. कमलनाथ ने कहा, मुझे इस बात का दुख है कि उनकी सरकार के दौरान पिछले अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी ने परंपरा के विपरीत अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. परंपरा बड़ी मुश्किल से बनती है. कांग्रेस परंपरा निभाने में हमेशा आगे रही है. हमेशा से परंपरा रही है कि अध्यक्ष सरकार का रहता है और उपाध्यक्ष विपक्ष का रहता है.

किसने तोड़ी परंपरा?

कमलनाथ बोले, ये परंपरा बीजेपी ने तोड़ी, इसलिए हमें विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव कराना पड़ा. कमलनाथ ने कहा,मैं यहां आ नहीं रहा था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए, उनके सम्मान के लिए परंपरा निभाने के लिए यहां आया हूं.

कांग्रेस का डिप्टी स्पीकर बनना भी मुश्किल

माननीय कमलनाथ को जो कहना था, वो कह गए.अध्यक्ष पद की लड़ाई में तो कांग्रेस ने वैसे भी सरेंडर कर दिया है. अब विधानसभा उपाध्यक्ष पद भी कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि डिप्टी स्पीकर का पद भी बीजेपी के पास ही चला जाएगा.

सारंग का विश्वास, बीजेपी का होगा डिप्टी स्पीकर

चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग पहले ही कह चुके हैं, कि विधानसभा उपाध्यक्ष पद भी बीजेपी अपने ही पास रखेगी. सारंग ने भी विश्वास के साथ परंपरा की दुहाई दी. उन्होंने कहा कि हमने सत्ता में रहते हुए 15 साल विपक्ष को विधानसभा का उपाध्यक्ष पद दिया था. पता नहीं क्यों पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार का 'सियासी ईमान 'डोल गया. कांग्रेस सरकार ने विपक्षी बीजेपी को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं दिया. अब इस नई परंपरा को बीजेपी भी शिद्दत से निभाएगी. सारंग ने साफ कहा, विधानसभा उपाध्यक्ष भी बीजेपी का ही बनेगा.

कांग्रेस के तरकश में कौन सा तीर बाकी ?

राज्य में कांग्रेस ने 'राजनीतिक लोहा' दिखाया होता और स्पीकर के चुनाव में कुछ चुनौती बीजेपी को दी होती, तो शायद डिप्टी स्पीकर पद के लिए 'सौदेबाजी' की संभावना होती. राजनीति में कमजोर होने पर भी ताकतवार होने का अहसास कराना पड़ता है. या फिर दिखावा ही करना पड़ता है. स्पीकर मामले में कांग्रेस ने आत्मसमर्पण किया, तो डिप्टी स्पीकर का पद भी बीजेपी अपने पास रखने की जिद कर चुकी है. राजनीतिक पंडित अब ये देख रहे हैं, कि क्या कांग्रेस के तरकश में कोई और तीर बाकी है.

भोपाल । गिरीश गौतम मध्यप्रदेश विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं. उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें टक्कर देगी. ऐसा कुछ हुआ नहीं. कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा. बीजेपी की राह आसान हो गई. गिरीश गौतम निर्विरोध स्पीकर चुन लिए गए.

कांग्रेस ने दिया बीजेपी को वॉकओवर !

मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए गिरीश गौतम ने रविवार को नामांकन भर दिया था. संख्याबल कांग्रेस के खिलाफ था, ऐसे में कांग्रेस ने स्पीकर के लिए उम्मीदवार खड़ा करने का शायद सोचा भी नहीं. कांग्रेस ने साफ कर दिया था, कि वो स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. ऐसे में गिरीश गौतम और बीजेपी की राह बिल्कुल आसान हो गई. बीजेपी की निश्चित जीत में कोई अड़चन भी नहीं रह गई. कांग्रेस का स्पीकर बनने की संभावनाएं वैसे भी कम थी. विपक्षी दल होने के नाते राजनीतिक जंग तो लड़ने की उम्मीद लोग कांग्रेस से कर ही रहे थे. बीजेपी को चुनौती देने का कांग्रेस नैतिक और राजनीतिक साहस ही नहीं जुटा पाई. उसने हथियार डाल देना ही मुनासिब समझा. कांग्रेस ने एक तरह से बीजेपी को वॉकओवर दे दिया. नतीजा ये हुआ कि गिरीश गौतम निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए.

परंपरा की दुहाई

कमलनाथ ने दी परंपरा की दुहाई

जब गिरीश गौतम विधानसभा स्पीकर बन गए, तो कांग्रेस को कुछ पुरानी याद सताने लगी. सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने लगी. पूर्व सीएम कमलनाथ ने विपक्ष की औपचारिका परंपरा निभाने के लिए औपचारिक बयान दे दिया. कमलनाथ ने कहा, मुझे इस बात का दुख है कि उनकी सरकार के दौरान पिछले अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी ने परंपरा के विपरीत अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. परंपरा बड़ी मुश्किल से बनती है. कांग्रेस परंपरा निभाने में हमेशा आगे रही है. हमेशा से परंपरा रही है कि अध्यक्ष सरकार का रहता है और उपाध्यक्ष विपक्ष का रहता है.

किसने तोड़ी परंपरा?

कमलनाथ बोले, ये परंपरा बीजेपी ने तोड़ी, इसलिए हमें विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव कराना पड़ा. कमलनाथ ने कहा,मैं यहां आ नहीं रहा था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए, उनके सम्मान के लिए परंपरा निभाने के लिए यहां आया हूं.

कांग्रेस का डिप्टी स्पीकर बनना भी मुश्किल

माननीय कमलनाथ को जो कहना था, वो कह गए.अध्यक्ष पद की लड़ाई में तो कांग्रेस ने वैसे भी सरेंडर कर दिया है. अब विधानसभा उपाध्यक्ष पद भी कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि डिप्टी स्पीकर का पद भी बीजेपी के पास ही चला जाएगा.

सारंग का विश्वास, बीजेपी का होगा डिप्टी स्पीकर

चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग पहले ही कह चुके हैं, कि विधानसभा उपाध्यक्ष पद भी बीजेपी अपने ही पास रखेगी. सारंग ने भी विश्वास के साथ परंपरा की दुहाई दी. उन्होंने कहा कि हमने सत्ता में रहते हुए 15 साल विपक्ष को विधानसभा का उपाध्यक्ष पद दिया था. पता नहीं क्यों पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार का 'सियासी ईमान 'डोल गया. कांग्रेस सरकार ने विपक्षी बीजेपी को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं दिया. अब इस नई परंपरा को बीजेपी भी शिद्दत से निभाएगी. सारंग ने साफ कहा, विधानसभा उपाध्यक्ष भी बीजेपी का ही बनेगा.

कांग्रेस के तरकश में कौन सा तीर बाकी ?

राज्य में कांग्रेस ने 'राजनीतिक लोहा' दिखाया होता और स्पीकर के चुनाव में कुछ चुनौती बीजेपी को दी होती, तो शायद डिप्टी स्पीकर पद के लिए 'सौदेबाजी' की संभावना होती. राजनीति में कमजोर होने पर भी ताकतवार होने का अहसास कराना पड़ता है. या फिर दिखावा ही करना पड़ता है. स्पीकर मामले में कांग्रेस ने आत्मसमर्पण किया, तो डिप्टी स्पीकर का पद भी बीजेपी अपने पास रखने की जिद कर चुकी है. राजनीतिक पंडित अब ये देख रहे हैं, कि क्या कांग्रेस के तरकश में कोई और तीर बाकी है.

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