भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में राम, गौ माता और धर्म की चर्चा तेज हो गई है. उपचुनाव में मिली जीत के बाद मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई शिवराज सरकार ( Shivraj government) के एजेंडे में राम, गौ माता और धर्म नजर आ रहा है. इसके पीछे 15 महीने की कमलनाथ सरकार के कामकाज के तरीके को जिम्मेदार माना जा रहा है. 2018 विधानसभा चुनाव के पहले से ही जिस तरह कमलनाथ ने सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे के साथ आगे बढ़ना शुरू किया था और सरकार बनाने के बाद हाईटेक गौशाला, राम वन गमन,ओम सर्किट और महाकाल और ओमकारेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए भारी-भरकम राशि जारी की थी. उसके बाद शिवराज सिंह को अपनी कार्यशैली और कामकाज के तरीके को बदलना पड़ा और सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व को एक बार फिर कट्टर हिंदुत्व से टक्कर देने की कोशिश की जा रही है.
एमपी की सियासत में गाय, राम और धर्म पर फोकस
उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार की जो कार्यशैली नजर आ रही है उसको देखकर लगता है कि शिवराज सरकार कमलनाथ के सॉफ्ट हिंदुत्व को टारगेट करने के लिए एक बार फिर कट्टर हिंदुत्व की राजनीति को बढ़ावा दे रही है. शिवराज सरकार को भगवान राम और गौ सेवा की याद आने लगी है. यहां तक कि मध्यप्रदेश में लव जिहाद के मुद्दे को उछाल कर कानून बनाने के पहले ही जोर शोर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है. भोपाल में स्थित तुलसी मानस प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में पहुंचे शिवराज सिंह ने राजधानी भोपाल में श्रीराम सांस्कृतिक और पुरातात्विक संग्रहालय बनाने का ऐलान किया. लव जेहाद को बड़ी समस्या बताकर लव जेहाद के खिलाफ मध्य प्रदेश में कानून लाने का ऐलान शिवराज सरकार ने किया.जिसके साथ साथ अनुसूचित जाति और जनजाति के धर्मांतरण के मुद्दे को भी हवा दी गई. इसके अलावा शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश में गौ कैबिनेट के गठन करने का ऐलान किया है, जिसमें सरकार के 6 विभागों संरक्षण के लिए काम करेंगे.
शिवराज सरकार के गौ मिशन पर कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा के पास ना कोई नीति रही है और ना ही किसी तरह का विकास का रास्ता रहा है. हमारी सरकार ने 15 महीने जो काम किए उन्हीं कामों का अनुसरण बीजेपी कर रही है. जो धर्म के नाम पर ठेकेदारी करते थे, उनके पास धर्म के नाम पर 15 साल में कोई उपलब्धि नहीं है. हमने राम वन गमन पथ, गौशाला निर्माण, ओम सर्किट का निर्माण और महाकाल मंदिर के जीर्णोद्धार और उन्नयन के लिए 300 करोड़ रुपए की योजना बनाई थी. अब भाजपा की कलई खुलती जा रही है, इसलिए अपना चेहरा छुपाने के लिए हमारे किए हुए कामों को आगे बढ़ा रहे हैं.
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भाजपा धर्म और संस्कृति की रक्षक
बीजेपी के प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि 2003 में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार गठित हुई थी. तब ही से हमने पंच 'ज' अभियान चलाया था. जो जंगल, जमीन जानवर और जनता के लिए लेकर बनाया गया था. भाजपा की सरकार जमीन पर काम करने वाली सरकार है. यह धर्म और संस्कृति की रक्षा करने वाली सरकार है. यह हमेशा हमारा एजेंडा रहा है. निश्चित रूप से कुछ मामलों में हम लोग प्रचार-प्रसार नहीं करते हैं, लेकिन जिस तरह कांग्रेस सरकार ने अपनी झूठी डफली और राग अपनाया था. जिस तरीके से अपने कार्यकर्ताओं को गौशाला के नाम पर नकली जमीन आवंटित की थी. उसको देखकर भाजपा का साफ फैसला है कि जनता तक बातें पहुंचानी चाहिए. निश्चित रूप से वह कैबिनेट और लव जिहाद का मामला हो, यह सब सभी समाज की आवश्यकताएं हैं और हमारी सरकारें ने पूरा करेगी.
राजनीतिक विश्लेषक की राय
इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक दीपक तिवारी का कहना है कि कमलनाथ के कारण भाजपा हिंदुत्व के रास्ते पर गौ रक्षा और इस तरह की चीजों पर आई है. यह कहना गलत होगा. यह शुरू से भाजपा और संघ के एजेंडे के हिस्से हैं. यह जरूर है कि भाजपा को लगा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी भी हिंदुत्व की राह पर चलने लगी है, तो यह और कट्टर हिंदुत्व की तरफ जाने लगे हैं. हालांकि अब हिंदुत्व और कट्टर हिंदुत्व का मुद्दा के असर कितना होगा इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल होगा क्योंकि मध्यप्रदेश में कभी भी सांप्रदायिक राजनीति निर्णायक नहीं रही है, लेकिन 2014 के बाद सांप्रदायिक राजनीति के कारण एक विभाजन बढ़ा है. उसका लाभ बीजेपी लेना चाह रही है. कमलनाथ ने भाजपा का अनुसरण किया था, भाजपा ने कमलनाथ का अनुसरण नहीं किया है.
2018 विधानसभा चुनाव में राम और गाय बना था मुद्दा
जहां तक शिवराज सिंह की बात करें,तो शिवराज सिंह अपनी घोषणाओं को लेकर विपक्ष के निशाने पर तो रहते ही हैं. यहां तक कि उन्हें पार्टी के नेता भी घोषणावीर की उपाधि दे चुके हैं. ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने पर कमलनाथ ने शिवराज सिंह की उन घोषणाओं को निशाना बनाया है जो घोषणाएं धार्मिक एजेंडे को ध्यान रखते हुए 13 साल मुख्यमंत्री रहते हुए की थी. जिसमें राम वन गमन पथ के निर्माण की घोषणा के अलावा मध्यप्रदेश में गौ और गौशालाओं की दुर्दशा का मुद्दा काफी बड़ा मुद्दा था. कांग्रेस ने बाकायदा राम वन गमन पथ पर रथ यात्रा निकाली थी और अपने वचन पत्र में मध्यप्रदेश में एक हजार गौशाला में बनाने का ऐलान किया था. सरकार बनते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन योजनाओं पर फोकस करने के साथ-साथ मध्य प्रदेश के धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ उन्नयन के लिए भी काफी पैसा खर्च किया था.
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कमलनाथ लाए थे एक हजार गौशाला का फॉर्मूला
शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2004 में राम वन गमन पथ का ऐलान किया था लेकिन अपनी दूसरी घोषणाओं की तरह है वह इस घोषणा को भूल गए थे और कमलनाथ ने चालाकी से इसको मुद्दा बनाते हुए विधानसभा चुनाव 2018 में जमकर भुनाया और सरकार बनने के बाद राम वन गमन पथ की योजना पर काम शुरू किया था. कमलनाथ ने 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वचन पत्र में 1000 हाईटेक गौशाला में निर्मित करने का ऐलान किया था. सरकार में आते ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और बताया जाता है कि करीब 864 गौशाला इन निर्मित हो चुकी है जिनका काम कमलनाथ सरकार के समय पर शुरू हुआ था.
कमलनाथ के धर्म और गौ सेवा से जुड़े कामकाज
- महाकाल मंदिर के जीर्णोद्धार और उन्नयन के लिए एक कमलनाथ सरकार ने एक अलग योजना बनाई. इसके लिए अलग से मंत्री परिषद का गठन किया गया और 300 करोड़ रुपए का बजट रखा गया. जिसमें महाकाल मंदिर के जीर्णोद्धार,उन्नयन और पर्यटकों को सुविधाएं बढ़ाने के लिए काम किया गया था. इसके अलावा महेश्वर मंदिर में करोड़ों की बेशकीमती जमीन से सालों से चला आ रहा अतिक्रमण हटवाया था. वहीं महाकाल मंदिर की तरह ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए भी योजना बनाने का काम शुरू किया था.
- कमलनाथ सरकार में मध्यप्रदेश में धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से ओम सर्किट के निर्माण का ऐलान किया था. इस ऐलान के तहत उज्जैन के महाकालेश्वर, महेश्वर मंदिर और ओमकारेश्वर मंदिर को जोड़कर पर्यटन सर्किट बनाया जाना प्रस्तावित था.
- सरकारी गौशालाओं में शिवराज सिंह के सरकार के समय पर गायों के भोजन पर महज तीन रुपए प्रति गाय पर खर्च किए जाते थे. कमलनाथ सरकार ने इस को बढ़ाकर 30 रूपए करीब किया था.
- इसके अलावा पंडितों और मौलवियों और अन्य धार्मिक स्थल के धर्म गुरुओं का मानदेय बढ़ाने का काम भी कमलनाथ सरकार ने किया था.