भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार गिराने की धमकियों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार बचाने के हर संभव प्रयास तेज कर दिए हैं. एक तरफ निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायकों को कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी की कमजोर कड़ियों पर सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर दी गई है.
कांग्रेस को तोड़ने के लिए जो कदम शिवराज सरकार ने अपनाया था, उसी कोशिश में अब कमलनाथ सरकार जुट गई है. जिससे उनकी सरकार पूरे 5 साल चल सके. जिसकी शुरूआत उन्होंने बीजेपी के विजय राघौगढ़ विधायक संजय पाठक की जबलपुर में मौजूद खदानों की लीज निरस्त कर शुरू की है. हालांकि, कांग्रेस इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की गई कार्रवाई बता रही है, लेकिन राजनीतिक पंडित कमलनाथ की सरकार बचाने की कवायद से जोड़कर देख रहे हैं.
दरअसल, संजय पाठक के पिता सत्येंद्र पाठक दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे थे. संजय पाठक भी कांग्रेस के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते थे, लेकिन माइनिंग कारोबार के चलते शिवराज सरकार ने उनके व्यापार पर निशाना साधा और कारोबार बचाने के लिए संजय पाठक ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अब चर्चा है कि एक बार फिर अपना कारोबार बचाने के लिए संजय पाठक कहीं फिर कांग्रेस का हाथ न पकड़ लें. चर्चा तो यहां तक है कि इसी तरह के कई कारोबारियों पर कमलनाथ की नजर है.
इस मामले में मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कमलनाथ सरकार बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करती. संजय पाठक के ऊपर जो कार्रवाई हुई है, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई है. अगर बदले की भावना से काम करना होता तो कांग्रेस सरकार को बने 6 महीने हो गए, अब तक कब की खदानें बंद हो चुकी होती.