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सिर्फ सैल्यूट तक सीमित कांग्रेस सेवादल! 'अपमान' के दलदल में फंसकर तोड़ रहा 'दम'

मप्र में केवल सैल्यूट तक सीमित रह गया कांग्रेस सेवादल, जबकि सेवादल से दो साल बाद में गठित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लहलहाती फसल से बीजेपी गदगद है. सम्मान के अभाव में सेवादल अपमान के बोझ तले दबता जा रहा है और कांग्रेस में अलग-थलग पड़ा सेवादल सिर्फ नेताओं की सलामी और तिरंगे को सैल्यूट करने तक सीमित रह गया है.

Congress Seva Dal in Madhya Pradesh is limited to salute only
केवल सैल्यूट तक सीमित कांग्रेस सेवादल
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Published : Oct 11, 2021, 7:40 PM IST

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जैसा स्वरूप आज है, ठीक वैसे ही सहयोग के लिए कांग्रेस ने तब सेवादल का गठन किया था. आरएसएस से दो साल पहले बना सेवादल सेवा के नाम पर खाद-पानी के अभाव में सूखा दलदल बनकर रह गया है, जबकि 1925 में गठित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की फसल पूरे देश में लहलहा रही है. उसकी कई वजहें हैं, यहां तक जनसंघ और भाजपा भी उसके प्रकल्पों में माने जाते हैं, इसके उलट सेवादल अपने वजूद के लिए तरस रहा है और जिन उद्देश्यों को लेकर इसका गठन किया गया था, उन पर खरा नहीं उतर रहा है. यह केवल कार्यक्रमों के आयोजन और बड़े नेताओं के सैल्यूट तक ही सिमटा नजर आ रहा है.

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तब सेवादल ने गेट पर प्रधानमंत्री को रोक दिया

1959 में कांग्रेस के नासिक अधिवेशन में शामिल होने जा रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को गेट पर रोक दिया गया क्योंकि गेट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं ने उचित बैज नहीं लगाने के कारण ऐसा किया था. कांग्रेस में सेवादल को फौजी अनुशासन और जज्बे के लिए जाना जाता रहा है, एक वक्त में कांग्रेस में शामिल होने से पहले सेवादल की ट्रेनिंग लेनी अनिवार्य होती थी, इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की कांग्रेस में एंट्री सेवादल के जरिए ही कराई थी, नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सेवादल को कांग्रेस का सच्चा सिपाही कहते आ रहे हैं.

फ्लैग हॉस्टिंग और सैल्यूट तक सिमटा सेवादल

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार सजी थामस मानते हैं कि कांग्रेस में कार्यक्रमों की कमी नजर आती है, सेवादल जैसा संगठन आज की स्थिति में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में फ्लैग होस्टिंग और सलामी में सैल्यूट तक ही सीमित रह गया है. कांग्रेस को सेवादल को अपना महत्वपूर्ण अंग मानना चाहिए, साथ ही संगठन में पूछ-परख और सम्मान देना जरूरी है, भाजपा के सभी विंग लगातार एक्टिव नजर आते हैं, लेकिन कांग्रेस में सेवादल की स्थिति कमजोर है, यदि कार्यक्रम होते भी हैं और सक्रियता भी बनी हुई है तो भी वो दिखाई नहीं देती है, यानि पब्लिसिटी बिल्कुल भी नहीं है.

सिर्फ सैल्यूट तक सीमित कांग्रेस सेवादल

कांग्रेस में सेवादल की अलग भूमिका

मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि कांग्रेस में सेवादल की भूमिका अलग है, उसके अलावा अन्य सभी संगठन के अपने कार्यक्रम हैं, उनके दायित्व भी अलग हैं. सेवादल कांग्रेस को बूथ स्तर पर मजबूती प्रदान करता है और कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने का काम भी करता है. राजीव सिंह मानते हैं कि आरएसएस जैसे संगठन से सेवादल की तुलना ठीक नहीं है. राहुल गांधी ने तो सेवादल को नया स्वरूप दिया है और इससे युवाओं को जोड़ने के लिए यूथ ब्रिग्रेड भी बनाई है.

पूरी तरह सक्रिय है सेवादल

मप्र कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक व पूर्व विधायक रजनीश सिंह का कहना है कि प्रदेश में सेवादल पूरी तरह सक्रिय है, जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने और संगठन के विस्तार का काम किया जा रहा है. बूथ स्तर तक सेवादल के कार्यकर्ता कांग्रेस की ताकत बने हुए हैं, मप्र में होने वाले उपचुनाव में भी सेवादल ने अपने प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं और वे सभी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं.

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मप्र सेवादल में रही उथल-पुथल

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की हार के बाद सेवादल की मप्र इकाई और सभी जिला इकाइयों को भंग कर दिया गया था, मप्र कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक डॉ. सतेंद्र यादव ने मार्च 2020 में अपना इस्तीफा सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप दिया था, बाद में वापस भी ले लिया था. जुलाई 2020 में रजनीश सिंह को सेवादल के मुख्य संगठक के पद पर नियुक्त किया गया. उनकी ताजपोशी से पहले सेवादल के मुख्य संगठक सत्येंद्र यादव से न तो इस्तीफा लिया गया और न ही उन्हें हटाने की बात कही गई.

Congress Seva Dal in Madhya Pradesh is limited to salute only
केवल सैल्यूट तक सीमित कांग्रेस सेवादल

राहुल गांधी लाए थे सेवादल यूथ ब्रिग्रेड

वर्ष 2018 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सेवादल में नई जान फूंकने के उद्देश्य से युवा ब्रिग्रेड शुरु करने को मंजूरी दी थी, सेवादल की युवा ब्रिग्रेड के साथ 16 से 45 वर्ष तक कोई भी व्यक्ति जुड़ सकता है. सेवादल के यूथ ब्रिग्रेड की सक्रियता कहीं दिखाई नहीं देती है, वहीं कांग्रेस के ही एनएसयूआई और युवा कांग्रेस जैसे संगठन के कार्यकर्ताओं की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है.

सेवादल के गठन को पूरे हुए 98 साल

1923 में कर्नाटक में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में सरोजिनी नायडू ने हिंदुस्तानी सेवादल बनाने का प्रस्ताव रखा था, इसके पहले चेयरमेन जवाहरलाल नेहरू बनाए गए थे, इसी संगठन को बाद में कांग्रेस सेवादल के रूप में जाना जाने लगा, कांग्रेस के बेलगाम सम्मेलन (1924) में पहली बार सेवादल को सेनिटेशन और सिक्योरिटी की व्यवस्था का काम दिया गया था.

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जैसा स्वरूप आज है, ठीक वैसे ही सहयोग के लिए कांग्रेस ने तब सेवादल का गठन किया था. आरएसएस से दो साल पहले बना सेवादल सेवा के नाम पर खाद-पानी के अभाव में सूखा दलदल बनकर रह गया है, जबकि 1925 में गठित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की फसल पूरे देश में लहलहा रही है. उसकी कई वजहें हैं, यहां तक जनसंघ और भाजपा भी उसके प्रकल्पों में माने जाते हैं, इसके उलट सेवादल अपने वजूद के लिए तरस रहा है और जिन उद्देश्यों को लेकर इसका गठन किया गया था, उन पर खरा नहीं उतर रहा है. यह केवल कार्यक्रमों के आयोजन और बड़े नेताओं के सैल्यूट तक ही सिमटा नजर आ रहा है.

20 माह में 654 सुसाइड! बेरोजगारी-तंगी, घरेलू कलह बन रही आत्महत्या की वजह, बच्चे भी जान देने में नहीं हैं पीछे

तब सेवादल ने गेट पर प्रधानमंत्री को रोक दिया

1959 में कांग्रेस के नासिक अधिवेशन में शामिल होने जा रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को गेट पर रोक दिया गया क्योंकि गेट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं ने उचित बैज नहीं लगाने के कारण ऐसा किया था. कांग्रेस में सेवादल को फौजी अनुशासन और जज्बे के लिए जाना जाता रहा है, एक वक्त में कांग्रेस में शामिल होने से पहले सेवादल की ट्रेनिंग लेनी अनिवार्य होती थी, इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की कांग्रेस में एंट्री सेवादल के जरिए ही कराई थी, नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सेवादल को कांग्रेस का सच्चा सिपाही कहते आ रहे हैं.

फ्लैग हॉस्टिंग और सैल्यूट तक सिमटा सेवादल

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार सजी थामस मानते हैं कि कांग्रेस में कार्यक्रमों की कमी नजर आती है, सेवादल जैसा संगठन आज की स्थिति में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में फ्लैग होस्टिंग और सलामी में सैल्यूट तक ही सीमित रह गया है. कांग्रेस को सेवादल को अपना महत्वपूर्ण अंग मानना चाहिए, साथ ही संगठन में पूछ-परख और सम्मान देना जरूरी है, भाजपा के सभी विंग लगातार एक्टिव नजर आते हैं, लेकिन कांग्रेस में सेवादल की स्थिति कमजोर है, यदि कार्यक्रम होते भी हैं और सक्रियता भी बनी हुई है तो भी वो दिखाई नहीं देती है, यानि पब्लिसिटी बिल्कुल भी नहीं है.

सिर्फ सैल्यूट तक सीमित कांग्रेस सेवादल

कांग्रेस में सेवादल की अलग भूमिका

मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रभारी महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि कांग्रेस में सेवादल की भूमिका अलग है, उसके अलावा अन्य सभी संगठन के अपने कार्यक्रम हैं, उनके दायित्व भी अलग हैं. सेवादल कांग्रेस को बूथ स्तर पर मजबूती प्रदान करता है और कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने का काम भी करता है. राजीव सिंह मानते हैं कि आरएसएस जैसे संगठन से सेवादल की तुलना ठीक नहीं है. राहुल गांधी ने तो सेवादल को नया स्वरूप दिया है और इससे युवाओं को जोड़ने के लिए यूथ ब्रिग्रेड भी बनाई है.

पूरी तरह सक्रिय है सेवादल

मप्र कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक व पूर्व विधायक रजनीश सिंह का कहना है कि प्रदेश में सेवादल पूरी तरह सक्रिय है, जमीनी स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने और संगठन के विस्तार का काम किया जा रहा है. बूथ स्तर तक सेवादल के कार्यकर्ता कांग्रेस की ताकत बने हुए हैं, मप्र में होने वाले उपचुनाव में भी सेवादल ने अपने प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं और वे सभी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं.

अरुण यादव के जख्मों पर अब गृह मंत्री ने छिड़का नमक! बोले, कमलनाथ-दिग्विजय कर लेते हैं उनकी फसल पर कब्जा

मप्र सेवादल में रही उथल-पुथल

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की हार के बाद सेवादल की मप्र इकाई और सभी जिला इकाइयों को भंग कर दिया गया था, मप्र कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक डॉ. सतेंद्र यादव ने मार्च 2020 में अपना इस्तीफा सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप दिया था, बाद में वापस भी ले लिया था. जुलाई 2020 में रजनीश सिंह को सेवादल के मुख्य संगठक के पद पर नियुक्त किया गया. उनकी ताजपोशी से पहले सेवादल के मुख्य संगठक सत्येंद्र यादव से न तो इस्तीफा लिया गया और न ही उन्हें हटाने की बात कही गई.

Congress Seva Dal in Madhya Pradesh is limited to salute only
केवल सैल्यूट तक सीमित कांग्रेस सेवादल

राहुल गांधी लाए थे सेवादल यूथ ब्रिग्रेड

वर्ष 2018 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सेवादल में नई जान फूंकने के उद्देश्य से युवा ब्रिग्रेड शुरु करने को मंजूरी दी थी, सेवादल की युवा ब्रिग्रेड के साथ 16 से 45 वर्ष तक कोई भी व्यक्ति जुड़ सकता है. सेवादल के यूथ ब्रिग्रेड की सक्रियता कहीं दिखाई नहीं देती है, वहीं कांग्रेस के ही एनएसयूआई और युवा कांग्रेस जैसे संगठन के कार्यकर्ताओं की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है.

सेवादल के गठन को पूरे हुए 98 साल

1923 में कर्नाटक में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में सरोजिनी नायडू ने हिंदुस्तानी सेवादल बनाने का प्रस्ताव रखा था, इसके पहले चेयरमेन जवाहरलाल नेहरू बनाए गए थे, इसी संगठन को बाद में कांग्रेस सेवादल के रूप में जाना जाने लगा, कांग्रेस के बेलगाम सम्मेलन (1924) में पहली बार सेवादल को सेनिटेशन और सिक्योरिटी की व्यवस्था का काम दिया गया था.

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