भोपाल। कोरोना संकट के बीच बीजेपी ने कमलनाथ सरकार गिराकर आनन-फानन में अपनी सरकार बना ली. शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेकर कामकाज भी संभाल लिया. लेकिन शिवराज सिंह का मंत्रिमंडल अभी तक अस्तित्व में नहीं आया है. संकट की इस परिस्थिति में अकेले शिवराज सिंह संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. वहीं ऐसी आपात स्थिति में बिना मंत्रिमंडल के शिवराज सिंह के काम करने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं.
खासकर ऐसे विभाग जिनका लॉकडाउन के समय पर अपना महत्व है,वो विभाग भी मंत्रिविहीन काम कर रहे हैं. जिनमें गृह विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग,पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग,खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग और लगभग सभी विभाग हैं. जिनकी इन विशेष परिस्थितियों में कोई ना कोई भूमिका है. विपक्ष का आरोप है कि शिवराज सिंह इस संकट से निपटने में नाकाम साबित हो रहे हैं.जिलों के प्रभारी मंत्री नहीं होने के कारण कामकाज प्रभावित हो रहा है.
इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कोरोना संक्रमण जिस तरह प्रदेश में विकराल और कठिन दौर में प्रवेश कर चुका है. ऐसे समय में मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल का ना होना चिंता का विषय है. अकेले शिवराज सिंह सभी विभागों के काम नहीं देख सकते हैं. आज गृह मंत्रालय से जुड़ी शिकायतें आ रही हैं. आम नागरिकों के साथ पुलिस सख्ती कर रही है. छतरपुर में मजदूर के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया है. इसी तरह स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए स्वास्थ्य मंत्री की नितांत आवश्यकता है. इसलिए शिवराज सिंह को जल्द से जल्द मंत्रिमंडल का गठन करना चाहिए. साथ ही प्रभारी मंत्रियों द्वारा जिले की मानिटरिंग अच्छे से हो सकती है,इसलिए यह काम तत्काल करना चाहिए.
वहीं इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का संवैधानिक और विवेक अधिकार है कि वह मंत्रिमंडल का गठन अपनी प्राथमिकता के आधार पर करें. जिस प्रकार का संकट अभी पूरे देश समाज और मध्यप्रदेश में है. कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन है. प्राथमिकता तमाम तरह के प्रबंधन को लेकर है. आम आदमी,गरीब आदमी,किसान सबकी चिंता समान रूप से करना है. उन तमाम प्रबंध को करने में मुख्यमंत्री लगे हुए हैं. वह जब अपनी दृष्टि से उचित समझेंगे. वे निश्चित तौर पर बीजेपी नेतृत्व से विमर्श करके मंत्रिमंडल का गठन कर लेंगे.