भोपाल। मध्यप्रदेश में तीन नवंबर को संपन्न हुए 28 सीटों के विधानसभा उपचुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर अभी तक सवाल खड़े हो रहे हैं. कांग्रेस ने छह विधानसभा सीटों पर हुए मतदान के दिन घोषित किए गए मत प्रतिशत में और दूसरे दिन घोषित किए गए मत प्रतिशत में अंतर को लेकर गड़बड़ी की आशंका जताई है और चुनाव आयोग से बड़े हुए मत प्रतिशत पर सफाई मांगी है. कांग्रेस का कहना है कि छह विधानसभा क्षेत्रों में मतदान के दिन के प्रतिशत और मतदान के दूसरे दिन के प्रतिशत में काफी अंतर देखने को मिल रहा है. खास बात यह है कि एक सीट पर तो मतदान का प्रतिशत ही कम हो गया है. ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग को हकीकत सामने लाना चाहिए.
तीन नवंबर को 28 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान के बाद मतदान के प्रतिशत की समीक्षा करने पर मध्यप्रदेश कांग्रेस ने पाया है कि विधानसभा क्षेत्रों में मतदान के दिन घोषित किया गया अंतिम मत प्रतिशत और दूसरे दिन घोषित किए गए मत प्रतिशत में काफी अंतर है. जिन छह विधानसभा क्षेत्रों में हुए मतदान के प्रतिशत में अंतर पाया गया है. वह सुरखी, सुमावली, अशोकनगर, आगर, ब्यावरा और दिमनी हैं. इन सभी विधानसभा क्षेत्रों के जो मत प्रतिशत मतदान समाप्त होने के समय घोषित किए गए थे, वह दूसरे दिन 6-6 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, इसलिए कांग्रेस ने इसमें हेरफेर की आशंका जताई है. कांग्रेस का कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए, राजनीतिक दलों के लिए और चुनाव आयोग की अस्मिता बचाए रखने के लिए चिंता का विषय है, इसलिए आयोग को सफाई देना चाहिए.
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इन छह विधानसभाओं के मतदान में कांग्रेस ने जताई गड़बड़ी की आशंका
विधानसभा क्षेत्र | 3 नवंबर को मतदान प्रतिशत | 4 नवंबर को मतदान प्रतिशत |
सुरखी | 70.55% | 73.72% |
सुमावली | 63.04% | 69.31% |
आगर | 80.55% | 83.77% |
अशोकनगर | 69.79% | 75.24% |
ब्यावरा | 80.01% | 81.74% |
दिमनी | 61.06 % | 60.90% |
मत प्रतिशत में अंतर पर चुनाव आयोग को देना चाहिए सफाई- कांग्रेस
मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि चुनाव आयोग ने मतदान के दिन मतदान के प्रतिशत की जो घोषणा की थी और दूसरे दिन जो मतदान प्रतिशत की घोषणा की उसमें बहुत बड़ा अंतर है, कहीं-कहीं छह प्रतिशत तक का अंतर है. कहीं-कहीं तो छह प्रतिशत घट गया है, तो यह अपने आप में आशंका पैदा करता है. जो तकनीक ईवीएम की है, वह सभी जानते हैं. जो कैलकुलेशन है. मशीन एक बार जो गणना रिकॉर्ड कर लेती है, उसमें परिवर्तन संभव नहीं है. तो इतनी बड़ी तादाद में शहरी मतदान क्षेत्रों में जहां दो-तीन किलोमीटर की परिधि की विधानसभा होती है. वहां इस तरह मतदाता प्रतिशत में हेरफेर होना आशंका को जन्म देता है. इसकी गहन जांच होनी चाहिए. चुनाव आयोग को इस पर अपना पक्ष रखना चाहिए, इतनी बड़ी संख्या में अंतर नजर आ रहा है. तो यह चिंता का विषय है, राजनीतिक दलों के लिए लोकतंत्र के लिए और चुनाव आयोग की अस्मिता बचाए रखने के लिए भी चिंता का विषय है.
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा शंका निश्चित है, अभी तक चुनाव आयोग के जो आंकड़े आते थे, उसमें दशमलव में अंतर होता था. अंतिम घोषणा के बाद .01 प्रतिशत और .05 प्रतिशत इधर-उधर होता था. यहां तो 6-6 और 7-7 प्रतिशत का अंतर है, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है.