भोपाल। नगर निगम में जब से बीजेपी की परिषद बनी है, तब से लगातार बीजेपी पार्षदों के क्षेत्र में विकास की कार्य हो रहे हैं, लेकिन कांग्रेस पार्षदों को अनदेखा किया जा रहा है. इससे नाराज कांग्रेस पार्षद 1 दिन पहले ही नगर निगम आयुक्त से मिलने पहुंचे थे और उन्हें इसकी शिकायत भी की थी और अपना ज्ञापन उनके गेट पर चस्पा भी किया था, लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस पार्षद दल ने बीजेपी की एमआईसी यानी मेयर इन काउंसिल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
नेता प्रतिपक्ष ने बीजेपी एमआईसी पर लगाए गंभीर आरोप: नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी का कहना है कि "एमआईसी को 10 करोड़ तक के भुगतान का अधिकार हैं, जिसके लिए एमआईसी का निर्णय ही मान होता है और उसे सार्वजनिक नहीं किया जाता. ऐसे में इसका ही फायदा उठाते हुए कई बड़े टेंडरों को इसके अंदर लाकर भुगतान की फर्जी तरीके से प्रक्रिया की जा रही है, जिसमें 9 करोड़ 85 लाख में नगर निगम के नए भवन बनाने की बात भी कही गई है, जो कि मुमकिन ही नहीं है. ऐसे में एक बार भुगतान होने के बाद अगली बार फिर इतने का ही भुगतान हो जाएगा और इसी तरह अन्य अन्य विभागों से नगर निगम इसका भुगतान करेगा, क्योंकि बड़ा भुगतान करने की अलग प्रक्रिया होती है और उसको परिषद में रखा जाता है. ऐसे में बड़े भुगतान को पार्ट में कर-कर के एमआईसी के सदस्य हेराफेरी कर रहे हैं, अब इसको लेकर कांग्रेस पार्षद दल लोकायुक्त जाने की तैयारी में है."
भाजपा नहीं चाहती कांग्रेस के वार्डों में विकास: इधर कांग्रेस पार्षद वीनू सक्सेना का कहना है कि उनके क्षेत्र में पार्षद निधि से कई विकास कार्य होने हैं, लेकिन उसे सेंशन ही नहीं किया जा रहा. जब भी इसको लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं तो हर बार वह कोई ना कोई बहाना बना देते हैं, जबकि पास ही नगर निगम अध्यक्ष का वार्ड है और उस वार्ड में लगातार धड़ल्ले से काम अधिकारी करवा रहे हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि चुनावी साल में बीजेपी के लोग चाहते हैं कि कांग्रेस के वार्डों में कोई विकास का कार्य नहीं हो और इसे रोकने के लिए भुगतान पर ही रोक लगा दी जाती है.
नगर निगम परिषद की बैठक में कांग्रेस उठाएगी मुद्दे: वहीं कांग्रेस के पार्षद मोहम्मद सरवर का कहना है कि "बीजेपी के एमआईसी ने 524 उन संकल्प पत्र को भी पारित कर दिया है, जो उसके कार्यकाल के है ही नहीं. जो उस समय के यानी 2022 के वह संकल्प हैं, जिनको वह सभी अपने वार्ड में काम करा रहे हैं, जिसमें नाला नाली के निर्माण के साथ ही अन्य ऐसे काम हैं, जो संकल्प पत्र में शामिल किए गए हैं और इसमें भी बिना टेंडरों के अपने ही ठेकेदारों को काम दिया जा रहा है. इससे साफ है कि नगर निगम परिषद में जमकर बजट के पैसे खर्च किया जा रहा है." वहीं इसको लेकर अन्य कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि "अब वह लोकायुक्त ने भी इसकी शिकायत करेंगे और 20 मई को होने वाली नगर निगम परिषद की बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे, क्योंकि बैठक में सिर्फ 2 ही मुद्दे रखे गए हैं और वह भी नाम बदलने के हैं. एक पार्क का है और एक अन्य जगह के नाम का."