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फसल बीमा राशि पर आमने-सामने कांग्रेस-बीजेपी, एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप

मोदी सरकार ने मप्र के किसानों का फसल बीमा करने से इंकार कर दिया है. जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं.

कमलनाथ, शिवराज
कमलनाथ और शिवराज
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Published : Nov 28, 2019, 12:28 AM IST

भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार ने मप्र के किसानों का फसल बीमा करने से इंकार कर दिया है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में लगातार तीन साल तक राज्य के हिस्से की फसल बीमा राशि नहीं भरे जाने के कारण केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है. इस बात को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं.

फसल बीमा राशि को लेकर कांग्रेस-बीजेपी एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

कांग्रेस जहां शिवराज सिंह कार्यकाल की इस गलती पर सवाल खड़े कर रही है और केंद्र सरकार के भेदभाव को लेकर 28 सांसदों के मौन पर सवाल खड़े कर रही है. तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश भाजपा इसे मध्य प्रदेश सरकार का निकम्मापन बता रही है.

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस कमेटी के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने पूर्व की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि खुद को किसान पुत्र बताने वाले शिवराज सिंह की सरकार 3 सालों तक किसानों के प्रीमियम में मप्र के हिस्से का 40 फीसदी भुगतान केंद्र सरकार को नहीं कर पाई. इस बात से पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के किसान हितेषी होने के दावों की पोल खुलती है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इस वित्तीय वर्ष की बीमा राशि चुका दी है.

भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार ने मप्र के किसानों का फसल बीमा करने से इंकार कर दिया है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में लगातार तीन साल तक राज्य के हिस्से की फसल बीमा राशि नहीं भरे जाने के कारण केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है. इस बात को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं.

फसल बीमा राशि को लेकर कांग्रेस-बीजेपी एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

कांग्रेस जहां शिवराज सिंह कार्यकाल की इस गलती पर सवाल खड़े कर रही है और केंद्र सरकार के भेदभाव को लेकर 28 सांसदों के मौन पर सवाल खड़े कर रही है. तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश भाजपा इसे मध्य प्रदेश सरकार का निकम्मापन बता रही है.

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस कमेटी के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने पूर्व की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि खुद को किसान पुत्र बताने वाले शिवराज सिंह की सरकार 3 सालों तक किसानों के प्रीमियम में मप्र के हिस्से का 40 फीसदी भुगतान केंद्र सरकार को नहीं कर पाई. इस बात से पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के किसान हितेषी होने के दावों की पोल खुलती है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इस वित्तीय वर्ष की बीमा राशि चुका दी है.

Intro:भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार ने मप्र के किसानों का फसल बीमा करने से इंकार कर दिया है। दरअसल शिवराज सिंह के कार्यकाल में लगातार तीन वर्ष तक राज्य के हिस्से की फसल बीमा की राशि नहीं भरे जाने के कारण केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में जो राशि मप्र सरकार को जमा करनी थी,वह कर दी गई है।इस बात को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं।कांग्रेस जहां शिवराज सिंह कार्यकाल की इस गलती पर सवाल खड़े कर रही है और केंद्र सरकार के भेदभाव को लेकर 28 सांसदों के मौन पर सवाल खड़े कर रही है। तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश भाजपा इसे मध्य प्रदेश सरकार का निकम्मा पन बता रही है और बहानेबाजी करार दे रही है।


Body:मप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017 18 में अपने हिस्से का प्रीमियम भुगतान न करने पर प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है।उन्होंने कहा है कि खुद को किसान पुत्र बताने वाले शिवराज सिंह की सरकार 3 सालों तक किसानों के प्रीमियम में मप्र के हिस्से का 40 फ़ीसदी भुगतान केंद्र सरकार को नहीं कर पाई। इस बात से पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के किसान हितेषी होने के दावों की पोल खुलती है। वहीं दूसरी तरफ मौजूदा वित्तीय वर्ष में कमलनाथ सरकार ने नियम अनुसार 505 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं। जिसके बाद भी केंद्र सरकार ने किसानों का फसल बीमा करने से इंकार कर दिया है और पहले शिवराज सिंह कार्यकाल का बकाया 23 सौ करोड़ रुपए चुकाने की शर्त रख दी है। जिसके कारण प्रदेश के लाखों किसान फसल बीमा से वंचित रह गए हैं।

नरेंद्र सलूजा का आरोप है कि इससे पहले भी केंद्र सरकार ने अतिवृष्टि की आपदा राहत राशि में कटौती की है। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से 16 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 60 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है और 55 लाख किसान प्रभावित हुए हैं। मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राष्ट्रीय आपदा कोष से 6621 करोड़ रुपए की मांग की थी। जिसके एवज में मात्र 1000 करोड़ की राशि अब तक जारी की गई है।वहीं दूसरी तरफ फसल बीमा की राशि रुकने के कारण किसानों की मुश्किलें दोगुनी हो गई है। सलूजा ने मांग की है कि मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को प्रदेश के 28 सांसदों के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ तत्काल धरने पर बैठना चाहिए। इस महत्वपूर्ण विषय पारो समझ के परे है।


Conclusion:वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस की सरकार निकम्मी और नाकारी सरकार है।हर मामले में बहाने और बहाने बनाने का काम करते हैं। सरकार एक संवैधानिक व्यवस्था होती है, वह अपना उत्तरदायित्व निभाए। जिस प्रकार की जिम्मेदारी वर्तमान सरकार की है,वो निभाए। सरकारें ठेके पर थोड़े न चला करती हैं। कल बीजेपी की सरकार थी, आज आप की सरकार है। सरकार लगातार चलने वाली व्यवस्था है। जो संवैधानिक तौर पर है। इसलिए कल तक जो बीजेपी की सरकार थी, वह खत्म हो गई। इसलिए कल तक के सारे निर्णय और बंदोबस्त सारी व्यवस्था बंद हो गई।मुझे यह लगता है कि यह भान संवैधानिक तौर पर होना चाहिए।किसानों के प्रति लापरवाही किसानों के प्रति अन्याय और अत्याचार ना करें।बिना किंतु-परंतु के सरकार एक व्यवस्था है। मीठा-मीठा गप गप कड़वा कड़वा थू थू इस तरह से व्यवस्था नहीं चल सकती है।
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