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खासगी का बड़ा घोटाला, ट्रस्ट की आड़ में अरबों का गड़बड़झाला, पढ़ें इनसाइड स्टोरी - शिकायतकर्ता विजयपाल सिंह

देवी अहिल्या बाई होलकर और पूरे होलकर राजघराने की धरोहरों के संरक्षण के लिए बनाए गए खासगी ट्रस्ट की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. ट्रस्ट पर कई संपत्तियों को बेचने के आरोप हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट की तमाम संपत्तियों को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों की जांच भी शुरू हो गई है.

khasgi scam
खासगी घोटाला
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Published : Oct 12, 2020, 5:51 PM IST

Updated : Oct 12, 2020, 6:14 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक धरोहर संभाल रहे ट्रस्टों की भूमिका पर सवाल खड़े हैं. इन संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने, यानि पिछले दरवाजे से बेचने का मामला भी सामने आया है. सबसे बड़ा विवाद देवी अहिल्या बाई होलकर और पूरे होलकर राजघराने की धरोहरों के संरक्षण के लिए बनाए गए खासगी ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर है. ट्रस्ट पर कई संपत्तियों को बेचने का आरोप है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि, कोई भी संपत्ति ट्रस्ट नहीं बेंच सकता. इसके बाद खासगी ट्रस्ट के सारे गड़बड़झाले की जांच का रास्ता साफ हो गया है.

खासगी ट्रस्ट क्या है ?

खासगी ट्रस्ट असल में होलकर राजघराने की धरोहरों की देखरेख करने वाली संस्था है. जिसे प्रदेश सरकार ने पुरातन जमीनों की देखरेख की जिम्मेदारी दी थी. खासगी ट्रस्ट के पास कुल 246 संपत्तियों की जिम्मेदारी थी, जिनमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां, 24 बगीचे व कुंड शामिल हैं. ये संपत्तियां देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित हैं. इनमें से अधिकतर संपत्तियों को बेचे जाने और उनपर अवैध निर्माण का मामला सामने आया था.

ऐसे अस्तित्व में आया खासगी ट्रस्ट

1734 में मध्य भारत राज्य बनने से पहले होलकर राजघराने के सूबेदार मल्हार राव होलकर ने देशभर में फैले अहिल्याबाई होलकर के मंदिरों और धार्मिक विरासत के रखरखाव के लिए तत्कालीन पेशवा से व्यवस्था बनाने का अनुरोध किया था. इसके बाद होलकर राजघराने ने राज्य की संपत्तियों के रखरखाव के लिए दौलत और खासगी नामक दो विभाग बनाए. दौलत विभाग राज्य के प्रशासनिक तंत्र व अन्य व्यवस्थाओं के अधीन था, जबकि खासगी विभाग राजाओं की रानियों के आधिपत्य में संचालित किया जाता था. खासगी विभाग की संपत्तियां राजा के परिवार की निजी संपत्तियां मानी जाती थीं. जिनकी मुखिया रानियां होती थीं. 1948 में जब रियासतों का मध्य भारत राज्य में विलीनीकरण हुआ, तो होलकर राज्य के तत्कालीन शासक यशवंत राव होलकर ने केंद्र और राज्य शासन से देश के 28 स्थानों पर स्थापित किए गए, 246 मंदिरों, घाट और धर्मशालाओं के सुचारू संचालन की व्यवस्था स्थापित करने की मांग की.

1962 में बना खासगी ट्रस्ट

1962 में तय हुआ कि, होलकर राज घराने से संबंधित मंदिरों और अन्य धार्मिक क्रियाकलापों के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाए, जिसका नाम खासगी देवी अहिल्याबाई होलकर चैरिटेबल ट्रस्ट रखा गया. इस ट्रस्ट की पहली ट्रस्टी महारानी उषा राजे होलकर बनीं, इसके बाद उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि में उनके पति सतीश मल्होत्रा और रंजीत होलकर चुने गए. इसके अलावा राज्य शासन की ओर से दो शासकीय प्रतिनिधि नामित किए गए, जिनमें तत्कालीन संभागायुक्त बीजे हिरजी, तत्कालीन मुख्य सचिव पीएन श्रीवास्तव शामिल थे.

अवैध कॉलोनियों और होटलों का हो चुका निर्माण

खासगी ट्रस्ट के नाम से देपालपुर में मंगलेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर कब्जा कर प्राइवेट कॉलोनी का निर्माण किया जा चुका है.फिल्म शूटिंग के लिए मशहूर महेश्वर में पहाड़ी पर स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर कब्जा कर पहाड़ी के नीचे एक व्यक्ति ने होटल बना लिया है.

संपत्तियों को कब-कब बेचा गया

1983

लगभग 37 साल पहले राजस्थान के पुष्कर से खासगी ट्रस्ट की जमीनों को बेचने का सिलसिला शुरू हुआ था. इसी साल में वहां स्थित दुकानों और बाड़ों के साथ ही तीन सम्पत्तियों को बेच दिया गया.

2003

हरिद्वार के कुशावर्त घाट से हनुमान मंदिर के पास लगभग 11 एकड़ से ज्यादा की जमीन को बेच दिया गया था.

2006

इंदौर की अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनाई गई रामेश्वर स्थित ट्रस्ट की 14 एकड़ जमीन को महज एक करोड़ रुपये में बेच दिया गया. जिसकी वास्तविक कीमत इससे कहीं ज्यादा है.

2009

इंदौर स्थित होलकर बाड़ा, मंदिर और कुशावर्त घाट की संपत्तियों को बेच दिया गया. जिसके लगभग 3 साल बाद वर्ष 2012 में मध्य प्रदेश सरकार में इस मामले की पहली बार शिकायत दर्ज की गई.

2012

इस साल तक इंदौर जिले के हातोद में बने राम मंदिर, बिल्केश्वर मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा और निर्माण हो चुका था. साथ ही रुक्मिणी कुंड के पास दीवारों को बनाकर इस कुंड को बंद कर दिया गया. इसी साल इंदौर की तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन को लिखित में इस बात की शिकायत की गई थी.

2020

इंदौर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया, जिसमें 26 राज्यों में 246 संपत्तियां, जो खासगी ट्रस्ट के पास थी. उन्हें अब राज्य शासन को सौंपने का आदेश दिया गया है, साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि, आम जनता यहां पहुंच सके, ऐसी व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए.

EOW कर रही मामले की जांच

खासगी ट्रस्ट मामले में सरकार द्वारा जांच करने के लिए टीम का गठन कर दिया गया है. इस टीम में 2 एसपी सहित 39 सदस्यों को शामिल किया गया है. खासगी ट्रस्ट मामले में सीएम शिवराज ने उच्च स्तरीय बैठक ली थी और तत्काल ही इस मामले की जांच करने का जिम्मा ईओडब्ल्यू को दिया है. जांच दल अपने काम में जुटा हुआ है.

प्रशासन ने संपत्तियों को कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की

खासगी ट्रस्ट मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने एक्शन लिया. पर्यटन नगरी महेश्वर में ऐतिहासिक किला ,राजवाड़ा, प्राचीन मंदिर,नर्मदा घाट, हवामहल और खेती की जमीन पर खासगी ट्रस्ट के कब्जे को हटाते हुए प्रशासन ने 102 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है.

शिकायतकर्ता विजयपाल सिंह की मुख्य भूमिका

खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को लेकर हुई गड़बड़ियों पर विजय पाल सिंह आवाज उठाते रहे हैं. इंदौर हाईकोर्ट में भी उनके द्वारा अहम दस्तावेज पेश किए गए थे. शिकायतकर्ता विजयपाल सिंह के मुताबिक कोर्ट के माध्यम से साल 2016 में हरिद्वार कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा, राघवेंद्र सिखौली उनकी पत्नी निकिता और भाई अनिरुद्ध के खिलाफ धारा 420, 120 बी, 427, 468, 471 और 506 में मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन दिसंबर 2019 में हरिद्वार पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी और केस खत्म कर दिया, जिसके बाद आरोपियों ने शिकायतकर्ता विजय पर ही राष्ट्रद्रोह, 151ए, 182, 340 धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.

कोर्ट का फैसला

  • खासगी की सभी संपत्तियों को उसके मूल स्वरूप में लाने के दिए आदेश.
  • कोर्ट ने डीएम हरिद्वार को कमीश्नर इंदौर के अधीन करते हुए दिए निर्देश.
  • आदेश में कोर्ट ने हरिद्वार स्थित खासगी ट्रस्ट की संपत्ति आम जनता के लिए उपलब्ध कराने को कहा.
  • ये निर्देश न सिर्फ हरिद्वार बल्कि देश में स्थित खासगी संपत्तियों को लेकर हैं.
  • एमपी सरकार से सुनिश्चित करने को कहा कि, खासगी ट्रस्ट की कोई भी संपत्ति विक्रय न हो.
  • सभी कुएं, बावड़ी, घाट, मंदिर, धर्मशाला और धरोहर को ऐतिहासिक स्वरूप में संरक्षित किया जाए.

खासगी ट्रस्ट का पक्ष

प्रशासन की कार्रवाई के बाद खासगी ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि, जो भी संपत्तियां बेची गई हैं, उन्हें बेचने में सरकार के प्रतिनिधियों की भी पूरी सहमति थी. साथ ही उनका धार्मिक महत्व नहीं था.

प्रशासनिक अधिकारियों पर भी लगे आरोप

खासगी ट्रस्ट मामले में कुछ सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं. जिनमें सबसे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह का नाम शामिल है. इसके अलावा इस सूची में भारत सरकार के प्रतिनिधि बीके हिरजी और PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन श्रीवास्तव का नाम भी शामिल है. ये सभी अधिकारी खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. इसी मीटिंग में प्रापर्टी बेचने पर आपसी सहमति दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

खासगी ट्रस्ट को लेकर मामला और भी उलझता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में सतीश मल्होत्रा की अपील में उषा राजे और उनके करीबियों को भी पक्षकार बनाया गया है. वहीं इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी सरकार और पाल समाज की ओर से दायर की गई है. वहीं खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां भी लगातार सामने आ रही है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक धरोहर संभाल रहे ट्रस्टों की भूमिका पर सवाल खड़े हैं. इन संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने, यानि पिछले दरवाजे से बेचने का मामला भी सामने आया है. सबसे बड़ा विवाद देवी अहिल्या बाई होलकर और पूरे होलकर राजघराने की धरोहरों के संरक्षण के लिए बनाए गए खासगी ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर है. ट्रस्ट पर कई संपत्तियों को बेचने का आरोप है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि, कोई भी संपत्ति ट्रस्ट नहीं बेंच सकता. इसके बाद खासगी ट्रस्ट के सारे गड़बड़झाले की जांच का रास्ता साफ हो गया है.

खासगी ट्रस्ट क्या है ?

खासगी ट्रस्ट असल में होलकर राजघराने की धरोहरों की देखरेख करने वाली संस्था है. जिसे प्रदेश सरकार ने पुरातन जमीनों की देखरेख की जिम्मेदारी दी थी. खासगी ट्रस्ट के पास कुल 246 संपत्तियों की जिम्मेदारी थी, जिनमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां, 24 बगीचे व कुंड शामिल हैं. ये संपत्तियां देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित हैं. इनमें से अधिकतर संपत्तियों को बेचे जाने और उनपर अवैध निर्माण का मामला सामने आया था.

ऐसे अस्तित्व में आया खासगी ट्रस्ट

1734 में मध्य भारत राज्य बनने से पहले होलकर राजघराने के सूबेदार मल्हार राव होलकर ने देशभर में फैले अहिल्याबाई होलकर के मंदिरों और धार्मिक विरासत के रखरखाव के लिए तत्कालीन पेशवा से व्यवस्था बनाने का अनुरोध किया था. इसके बाद होलकर राजघराने ने राज्य की संपत्तियों के रखरखाव के लिए दौलत और खासगी नामक दो विभाग बनाए. दौलत विभाग राज्य के प्रशासनिक तंत्र व अन्य व्यवस्थाओं के अधीन था, जबकि खासगी विभाग राजाओं की रानियों के आधिपत्य में संचालित किया जाता था. खासगी विभाग की संपत्तियां राजा के परिवार की निजी संपत्तियां मानी जाती थीं. जिनकी मुखिया रानियां होती थीं. 1948 में जब रियासतों का मध्य भारत राज्य में विलीनीकरण हुआ, तो होलकर राज्य के तत्कालीन शासक यशवंत राव होलकर ने केंद्र और राज्य शासन से देश के 28 स्थानों पर स्थापित किए गए, 246 मंदिरों, घाट और धर्मशालाओं के सुचारू संचालन की व्यवस्था स्थापित करने की मांग की.

1962 में बना खासगी ट्रस्ट

1962 में तय हुआ कि, होलकर राज घराने से संबंधित मंदिरों और अन्य धार्मिक क्रियाकलापों के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाए, जिसका नाम खासगी देवी अहिल्याबाई होलकर चैरिटेबल ट्रस्ट रखा गया. इस ट्रस्ट की पहली ट्रस्टी महारानी उषा राजे होलकर बनीं, इसके बाद उनके द्वारा नामित प्रतिनिधि में उनके पति सतीश मल्होत्रा और रंजीत होलकर चुने गए. इसके अलावा राज्य शासन की ओर से दो शासकीय प्रतिनिधि नामित किए गए, जिनमें तत्कालीन संभागायुक्त बीजे हिरजी, तत्कालीन मुख्य सचिव पीएन श्रीवास्तव शामिल थे.

अवैध कॉलोनियों और होटलों का हो चुका निर्माण

खासगी ट्रस्ट के नाम से देपालपुर में मंगलेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर कब्जा कर प्राइवेट कॉलोनी का निर्माण किया जा चुका है.फिल्म शूटिंग के लिए मशहूर महेश्वर में पहाड़ी पर स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर कब्जा कर पहाड़ी के नीचे एक व्यक्ति ने होटल बना लिया है.

संपत्तियों को कब-कब बेचा गया

1983

लगभग 37 साल पहले राजस्थान के पुष्कर से खासगी ट्रस्ट की जमीनों को बेचने का सिलसिला शुरू हुआ था. इसी साल में वहां स्थित दुकानों और बाड़ों के साथ ही तीन सम्पत्तियों को बेच दिया गया.

2003

हरिद्वार के कुशावर्त घाट से हनुमान मंदिर के पास लगभग 11 एकड़ से ज्यादा की जमीन को बेच दिया गया था.

2006

इंदौर की अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनाई गई रामेश्वर स्थित ट्रस्ट की 14 एकड़ जमीन को महज एक करोड़ रुपये में बेच दिया गया. जिसकी वास्तविक कीमत इससे कहीं ज्यादा है.

2009

इंदौर स्थित होलकर बाड़ा, मंदिर और कुशावर्त घाट की संपत्तियों को बेच दिया गया. जिसके लगभग 3 साल बाद वर्ष 2012 में मध्य प्रदेश सरकार में इस मामले की पहली बार शिकायत दर्ज की गई.

2012

इस साल तक इंदौर जिले के हातोद में बने राम मंदिर, बिल्केश्वर मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा और निर्माण हो चुका था. साथ ही रुक्मिणी कुंड के पास दीवारों को बनाकर इस कुंड को बंद कर दिया गया. इसी साल इंदौर की तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन को लिखित में इस बात की शिकायत की गई थी.

2020

इंदौर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया, जिसमें 26 राज्यों में 246 संपत्तियां, जो खासगी ट्रस्ट के पास थी. उन्हें अब राज्य शासन को सौंपने का आदेश दिया गया है, साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि, आम जनता यहां पहुंच सके, ऐसी व्यवस्था जल्द से जल्द की जाए.

EOW कर रही मामले की जांच

खासगी ट्रस्ट मामले में सरकार द्वारा जांच करने के लिए टीम का गठन कर दिया गया है. इस टीम में 2 एसपी सहित 39 सदस्यों को शामिल किया गया है. खासगी ट्रस्ट मामले में सीएम शिवराज ने उच्च स्तरीय बैठक ली थी और तत्काल ही इस मामले की जांच करने का जिम्मा ईओडब्ल्यू को दिया है. जांच दल अपने काम में जुटा हुआ है.

प्रशासन ने संपत्तियों को कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की

खासगी ट्रस्ट मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने एक्शन लिया. पर्यटन नगरी महेश्वर में ऐतिहासिक किला ,राजवाड़ा, प्राचीन मंदिर,नर्मदा घाट, हवामहल और खेती की जमीन पर खासगी ट्रस्ट के कब्जे को हटाते हुए प्रशासन ने 102 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है.

शिकायतकर्ता विजयपाल सिंह की मुख्य भूमिका

खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को लेकर हुई गड़बड़ियों पर विजय पाल सिंह आवाज उठाते रहे हैं. इंदौर हाईकोर्ट में भी उनके द्वारा अहम दस्तावेज पेश किए गए थे. शिकायतकर्ता विजयपाल सिंह के मुताबिक कोर्ट के माध्यम से साल 2016 में हरिद्वार कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा, राघवेंद्र सिखौली उनकी पत्नी निकिता और भाई अनिरुद्ध के खिलाफ धारा 420, 120 बी, 427, 468, 471 और 506 में मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन दिसंबर 2019 में हरिद्वार पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी और केस खत्म कर दिया, जिसके बाद आरोपियों ने शिकायतकर्ता विजय पर ही राष्ट्रद्रोह, 151ए, 182, 340 धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.

कोर्ट का फैसला

  • खासगी की सभी संपत्तियों को उसके मूल स्वरूप में लाने के दिए आदेश.
  • कोर्ट ने डीएम हरिद्वार को कमीश्नर इंदौर के अधीन करते हुए दिए निर्देश.
  • आदेश में कोर्ट ने हरिद्वार स्थित खासगी ट्रस्ट की संपत्ति आम जनता के लिए उपलब्ध कराने को कहा.
  • ये निर्देश न सिर्फ हरिद्वार बल्कि देश में स्थित खासगी संपत्तियों को लेकर हैं.
  • एमपी सरकार से सुनिश्चित करने को कहा कि, खासगी ट्रस्ट की कोई भी संपत्ति विक्रय न हो.
  • सभी कुएं, बावड़ी, घाट, मंदिर, धर्मशाला और धरोहर को ऐतिहासिक स्वरूप में संरक्षित किया जाए.

खासगी ट्रस्ट का पक्ष

प्रशासन की कार्रवाई के बाद खासगी ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि, जो भी संपत्तियां बेची गई हैं, उन्हें बेचने में सरकार के प्रतिनिधियों की भी पूरी सहमति थी. साथ ही उनका धार्मिक महत्व नहीं था.

प्रशासनिक अधिकारियों पर भी लगे आरोप

खासगी ट्रस्ट मामले में कुछ सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं. जिनमें सबसे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह का नाम शामिल है. इसके अलावा इस सूची में भारत सरकार के प्रतिनिधि बीके हिरजी और PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन श्रीवास्तव का नाम भी शामिल है. ये सभी अधिकारी खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. इसी मीटिंग में प्रापर्टी बेचने पर आपसी सहमति दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

खासगी ट्रस्ट को लेकर मामला और भी उलझता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में सतीश मल्होत्रा की अपील में उषा राजे और उनके करीबियों को भी पक्षकार बनाया गया है. वहीं इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी सरकार और पाल समाज की ओर से दायर की गई है. वहीं खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां भी लगातार सामने आ रही है.

Last Updated : Oct 12, 2020, 6:14 PM IST
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