भोपाल। बॉलीवुड अभिनेत्री मोनिका बेदी के बहुचर्चित फर्जी पासपोर्ट मामले के बाद भले ही पासपोर्ट के पहले वेरीफिकेशन की प्रक्रिया को और सख्त कर दिया गया हो, लेकिन इसके बाद भी लोग जानकारियां छुपाकर पासपोर्ट बनाने की कोशिश से बाज नहीं आ रहे है. पासपोर्ट कार्यालय में जानकारी छुपाकर पासपोर्ट बनवाने के हर माह करीब एक दर्जन मामले आ रहे हैं. ऐसे मामलों में लोगों के आवेदनों को निरस्त कर दिया जाता है. पूर्व में ऐसे मामलों में पेनल्टी के प्रावधान थे, लेकिन जुलाई 2020 से इस मामले में आवेदन सस्पेंड करने का प्रावधान बनाया गया.
वहीं दूसरी ओर पासपोर्ट बनवाने के नाम पर कई बार लोग धोखाधड़ी का शिकार हो जाते है. पासपोर्ट बनवाने के लिए विदेश मंत्रालय जैसी हूबहू कई फर्जी वेबसाइट बनी हुई है. इसके झांसे में ऐसे लोग आ जाते हैं जिन्हें पासपोर्ट के लिए आवेदन करना होता है. भोपाल स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने लोगों को ऐसी वेबसाइट को लेकर आगाह किया है, साथ ही इन्हें बंद कराने के लिए विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है.
- इस तरह की जानकारियां छुपाते हैं लोग
आमतौर पर कोर्ट केस विचाराधीन होने की स्थिति में लोग जब पासपोर्ट बनवाने के लिए आवेदन करते हैं तो उसमें अपराधिक मामलों का जिक्र ही नहीं किया जाता. आवेदक पासपोर्ट का फॉर्म भरते समय इसमें असत्य जानकारी भरकर दे देते हैं, कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है. इसी तरह कई आवेदक पुराने पासपोर्ट क्षतिग्रस्त होने, गुम हो जाने या फिर अपराधिक प्रकरण के चलते पासपोर्ट कोर्ट में जमा हो जाने की स्थिति में आवेदक मामले की जानकारी छुपाकर नया पासपोर्ट बनवाने की कोशिश भी करते हैं. कई मामलों में लोग अपनी यही जन्मतिथि भी छुपाकर आवेदन करते हैं. इस तरह के पासपोर्ट कार्यालय में हर माह करीब एक दर्जन मामले पहुंच रहे हैं. ऐसे मामले सामने आने पर उनके आवेदन को निरस्त कर दिया जाता है.
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल के मुताबिक अपराधिक मामले होने पर भी पासपोर्ट बनवाने पर रोक नहीं है, लेकिन लोगों को इसके लिए कोर्ट से एनओसी लाना होती है. कोर्ट की एनओसी के साथ आवेदन करने पर आवेदन बनवाए जा सकते हैं. इसके बाद भी कई बार लोग जानकारियां छुपाते हैं जो पुलिस वेरिफिकेशन में सामने आ जाते हैं. उनके मुताबिक डिजिटल रिकॉर्ड होने की वजह से लोगों द्वारा यदि पूर्व में पासपोर्ट बनाया गया है, तो उसका पूरा रिकॉर्ड विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध होता है. दूसरी बार नया पासपोर्ट बनवाने पर इसकी तुरंत जानकारी मिल जाती है.
- आर्टिफिशियल वेटिंग दिखाकर वसूलते ज्यादा रकम
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल ने बताया कि पासपोर्ट के नाम से कई फिशिंग वेबसाइट बनी हुई है. ऐसी वेबसाइट को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं. कई बार लोग अनजाने में वेबसाइट पर पासपोर्ट के लिए आवेदन कर देते हैं. यह वेबसाइट पासपोर्ट के नाम पर आर्टिफिशियल वेटिंग दिखाकर ज्यादा पैसे वसूलती है. साथ ही आवेदन के लिए लोग अपने सभी दस्तावेज इन वेबसाइट पर अपलोड कर देते हैं. इससे भविष्य में इनके साथ धोखाधड़ी की आशंका बनी रहती है. क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल बताती है कि पिछले दिनों उन्हें ऐसी ही शिकायत मिली है. जिसमें पासपोर्ट के लिए 15 दिन की वेटिंग दिखा कर एक आवेदक से करीब 4 हजार रुपए वसूले गए.
- फर्जी वेबसाइड की ऐसे करें पहचान
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल के मुताबिक विदेश मंत्रालय की वेबसाइट passportindia.gov.in है. जब इस वेबसाइट पर आवेदन के लिए जाएंगे तो इसमें इससे मिलती-जुलती साइड से बचने के लिए अलर्ट किया जाता है. जबकि बाकी वेबसाइट के आगे Add लिखा होता है. साथ ही इनका डोमेन नेम डॉट कॉम, डॉट इन, डॉट ओआरजी होता है. उनके मुताबिक ऐसी वेबसाइट को लेकर लगातार शिकायत मिल रही है. इसको लेकर उन्होंने पत्र फिर विदेश मंत्रालय को लिखा है.
- ग्वालियर को छोड़ कहीं नहीं है वेटिंग
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के मुताबिक प्रदेश में पासपोर्ट के 16 केंद्र है. ग्वालियर को छोड़ किसी भी केंद्र पर वेटिंग नहीं है. भोपाल में पासपोर्ट का 600 का स्लॉट है जबकि यहां अधिकतम 260 आवेदन ही जा रहे हैं. इसी तरह इंदौर में 360 स्लॉट है यहां अधिकतम तीन सौ आवेदन ही आ रहे हैं. इसलिए आवेदन के बाद दूसरे दिन की डेट उपलब्ध होती है.
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- जिम्मेदारी तय हुई, गड़बड़ियों पर लगी लगाम
भोपाल पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक सीसीटीएनएस लागू होने के बाद पासपोर्ट बनवाने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन में गड़बड़ियों की शिकायत पर काफी लगाम लगी है. पूर्व में एक थाने में मामले दर्ज होने पर आवेदक दूसरे थाना क्षेत्र में निवास पता कर पुलिस वेरिफिकेशन क्लियर करा लेते थे, लेकिन अब सीसीटीएनएस से अन्य थानों में रिकॉर्ड होने पर भी दर्ज मामलों का पता लग जाता है. भोपाल में तत्काल पासपोर्ट के लिए 5 दिन और सामान्य पासपोर्ट के लिए 21 दिनों में पुलिस वेरिफिकेशन होता है. अधिकारियों के मुताबिक पूर्व में वेरिफिकेशन में गड़बड़ी के मामले में संबंधित पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की गई है.
वहीं अगर विदेश मंत्रालय फर्जी वेबसाइडों पर नकेल कसने का प्रयास करता है, तो फर्जी वेबसाइड की समस्या भी हल की जा सकती है. लोगों से पासपोर्ट के नाम पर हो रही धोखाधड़ी भी कम होगी.