भोपाल। आज मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण आया है, जिसको लेकर अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया है. सीएम का कहना है कि सर्वेक्षण के तथ्य सिद्ध करते हैं कि एमपी की इकॉनोमिक कंडीशन मजबूत है. एक तरफ हमने वित्तीय अनुशासन और सुशासन के साथ सर्वसमावेशी विकास किया है, वहीं दूसरी तरफ राज्य के बजट का आकार तथा कर संग्रहण भी लगातार बढ़ा है.
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आज मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण आया है। सर्वेक्षण के तथ्य सिद्ध करते हैं कि मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत है। एक तरफ हमने वित्तीय अनुशासन और सुशासन के साथ सर्वसमावेशी विकास किया है,वहीं दूसरी तरफ राज्य के बजट का आकार तथा कर संग्रहण भी लगातार बढ़ा है।#MPEconomicSurvey2023 pic.twitter.com/5YW1HFWtBj
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 28, 2023आज मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण आया है। सर्वेक्षण के तथ्य सिद्ध करते हैं कि मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत है। एक तरफ हमने वित्तीय अनुशासन और सुशासन के साथ सर्वसमावेशी विकास किया है,वहीं दूसरी तरफ राज्य के बजट का आकार तथा कर संग्रहण भी लगातार बढ़ा है।#MPEconomicSurvey2023 pic.twitter.com/5YW1HFWtBj
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एमपी की आर्थिक स्थिति मजबूत: सीएम शिवराज ने कहा कि "आज मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण आया है. सर्वेक्षण के तथ्य सिद्ध करते हैं कि मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत है. एक तरफ हमने वित्तीय अनुशासन और सुशासन के साथ सर्वसमावेशी विकास किया है, वहीं दूसरी तरफ राज्य के बजट का आकार तथा कर संग्रहण भी लगातार बढ़ा है. वर्ष 2022-23 में मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास दर में 16.43% की वृद्धि हुई है. वर्ष 2001-02 में सकल घरेलू उत्पाद ₹71,594 करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹13 लाख 22 हजार करोड़ हो गया है. इसके अलावा वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय ₹11,718 थी, आज बढ़कर ₹1,40,500 हो गई है."
आरोप ना लगाए, आंकड़े देखें: प्रदेश के मुखिया शिवराज ने कहा कि "हम पर अक्सर या आरोप लगाया जाता है कि हम कर्जा ले रहे हैं, लेकिन यदि आप आंकड़े देखेंगे 2005 में ऋण जीएसडीपी अनुपात मतलब जीएसडीपी के अनुपात में जो कर्जा लेते थे, वह 39.5% था. लेकिन कोविड की कठिनाइयों के बावजूद 2020-21 में घटकर 22.6% हो गया है. यह अपने आप में सिद्ध करता है कि जीएसडीपी के अनुपात में ऋण का प्रतिशत लगातार घटा है. पिछले साल हमारा पूंजीगत व्यय 37 हजार 89 करोड रुपया था, हमने एक साल में उसको 23.18% बढ़ाया जिससे अब यह बढ़कर 45 हजार 685 करोड रुपया हो गया है."
मध्यप्रदेश है सबसे आगे: सीएम शिवराज ने आर्थिक सर्वेक्षण पर यह भी कहा कि "औद्योगिक विकास दर जो 2001-02 में -0.61% थी, वह 2022 में बढ़कर 24% हुई है. यदि आप राजस्व संग्रहण की बढ़ती हुई गति को देखेंगे, तो हमने लगातार राज्य के करों के संग्रहण को भी बढ़ाया है और यह विगत तीन वर्षो का औसत 7.94% है. किसानों को 13.41% तथा एमएसएमई क्षेत्र को ऋण में 30.22 % बढ़ोतरी हुई है. स्ट्रीट वेंडरों को ऋण देने में मध्यप्रदेश सबसे आगे है, हमने 5 लाख 25 स्ट्रीट वेंडरों को ₹521 करोड़ से अधिक का ऋण दिया है."
एमपी सरकार ने बुलवाया झूठ: इसके अलावा मध्यप्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण पर विपक्ष का कहना है कि "सरकार झूठ बोलती हैं, सरकार ने राज्यपाल से झूठ बुलवाया है. आम आदमी लगातार कर्ज में है और सरकार पर तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है."