भोपाल। मध्यप्रदेश में मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर लंबे समय से काम चल रहा है, लेकिन अब तक मेट्रो प्रोजेक्ट के काम में कुछ खास प्रगति होती दिखाई नहीं दे रही है, हालांकि भोपाल में इस कार्य का विधिवत भूमि पूजन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा किया जा चुका है, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से मेट्रो प्रोजेक्ट के काम पर भी काफी असर पड़ा है. यही वजह है कि मेट्रो का काम काफी धीमी गति से चल रहा है. सत्ता में वापस आने के बाद बीजेपी एक बार फिर से मेट्रो प्रोजेक्ट को शुरू करने की कवायद में जुट गई है. भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल के काम को लेकर अब तक किए गए कार्यों की विस्तृत जानकारी के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा समीक्षा की गई है. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को सख्त लहजे में निर्देश दिए हैं कि, चाहे जो भी हो जाए साल 2024 तक इंदौर और भोपाल में मेट्रो रेल के दौड़ने के लिए तय किए गए मार्गों का काम पूरा हो जाना चाहिए.
इस समीक्षा बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव मनोज गोविल, प्रमुख सचिव नीतेश व्यास सहित कई अधिकारी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि, भोपाल और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. जिसे अगले 3-4 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. सीएम ने निर्देश दिए है कि, कार्य को गति प्रदान करने के लिए ज्वाइंट वेन्चर बोर्ड के गठन कर भोपाल और इंदौर मैट्रोपोलिटन क्षेत्र को अधिसूचित करने, भूमि अधिग्रहण आदि के संबंध में कार्रवाई तत्परता के साथ की जाए. प्रोजेक्ट का कार्य तेज गति और पूरी गुणवत्ता के साथ किया जाए. सीएम ने निर्देश दिए कि नागपुर मेट्रो का कार्य तेजी से हुआ है. वहां हुए कार्य का अध्ययन करें और मध्यप्रदेश में मेट्रो निर्माण कार्य को गति प्रदान करें.
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने बताया कि, मध्यप्रदेश सरकार, भारत सरकार, मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी केन्द्र एवं राज्य सरकार की, बोर्ड द्वारा संचालित 50:50 संयुक्त उपक्रम कंपनी (ज्वाइंट वेंचर कंपनी) के रूप में परिवर्तित हो जाएगी. मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कार्रवाई शीघ्र किए जाने के निर्देश दिए हैं. भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की कुल लागत 14442 करोड़ 20 लाख रुपये है. जिसमें भोपाल मेट्रो की लागत 6941 करोड़ 40 लाख और इंदौर मेट्रो की लागत 7500 करोड़ 80 लाख रुपये है .
मेट्रो कार्य के लिए अभी तक मेट्रो कंपनी को मध्यप्रदेश सरकार से 248 करोड़ 96 लाख रुपये और भारत सरकार से 245 करोड़ 23 लाख रुपये वित्त प्राप्त हुआ है. इसमें से मेट्रो कार्य पर अभी तक 138 करोड़ 58 लाख रुपये व्यय किए जा चुके हैं.
बैठक के दौरान अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि, भोपाल मेट्रो के अंतर्गत एम्स से सुभाषनगर तक का कार्य अगस्त 2023, सुभाष नगर से करोंद चौराहे तक का कार्य दिसम्बर 2024 तक और भदभदा चौराहे से रत्नागिरी तिराहे तक का कार्य मई 2024 तक पूरे किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. इसी प्रकार इंदौर मेट्रो के अंतर्गत गांधी नगर से मुमताज बाग तक का कार्य अगस्त 2023 तक, मुमताज बाग से रेल्वे स्टेशन तक का कार्य जुलाई 2024 तक और गांधीनगर से रेल्वे स्टेशन तक का कार्य दिसम्बर 2024 तक पूरे किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
प्रमुख सचिव नीतेश व्यास ने बताया कि, भोपाल और इंदौर दोनों शहरों में मेट्रो के अंतर्गत प्रायोरिटी कॉरिडोर बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं. प्रायोरिटी कॉरिडोर्स पर 5 से 6 स्टेशन आएंगे. भोपाल में 6.3 किमी लंबा और इंदौर में 5.2 किमी लंबा प्रायोरिटी कॉरिडोर बनना है.