भोपाल। मध्यप्रदेश में लंबे समय से कर्मचारी नई तबादला नीति का इंतजार कर रहे हैं. इसका मसौदा भी तैयार हो चुका था, पर अब इसे कैबिनेट में नहीं लाया जाएगा. चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि तीन साल से जमे अधिकारी- कर्मचारियों को बदला जाए. इससे बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी प्रभावित होंगे. ऐसे में फिलहाल तबादलों से प्रतिबंध हटाना उचित नहीं रहेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कैबिनेट की बैठक के बाद अनौपचारिक चर्चा में अपने मंत्रियों से कहा कि ये चुनावी साल है, लिहाजा तबादलों से बैन हटाना ठीक नहीं है. तबादलों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज ने मंत्रियों से कहा कि कुछ जिलों से भ्रष्टाचार की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं. इन जिलों में प्रभारी मंत्री खुद जाएं और इस तरह की शिकायते खुद देखें. साथ ही संबंधित अधिकारी- कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई करें.
शिक्षा विभाग में चुनिंदा ट्रांसफर संभव : वहीं, शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया था लेकिन लेकिन सीएम शिवराज के ऐलान के बाद अब नए सिरे से इस पर विचार होगा. शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो टीचर्स के ट्रांसफर को लेकर जल्द फैसला ले लिया जाएगा. हो सकता है कि 20 जून के बाद तबादले की प्रक्रिया शुरू की जाए. लेकिन एक तय सीमा में ही तबादले होंगे. एमपी सरकार ने पिछले साल स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर पॉलिसी को मंजूरी दी थी. यह व्यवस्था इस साल 2023-24 से लागू होना थी, इसके तहत शिक्षा विभाग में सभी संवर्गों के लिए स्थानांतरण प्रक्रिया 31 मार्च से 15 मई के बीच पूरी करना थी, लेकिन वरिष्ठ पदों पर प्रभार देने की प्रक्रिया के कारण स्थानांतरण प्रक्रिया में देर हो गई है.
पहले 31 अप्रैल से हटना था बैन : बता दें कि एमपी में पहले 31 अप्रैल से ट्रांसफर से बैन हटाने की तैयारी की गई थी. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 से पहले अधिकारी-कर्मचारियों के थोकबंद तबादले किए जाने को लेकर विभागों ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया था. माना जा रहा था कि एक माह के अंदर 45 हजार से ज्यादा ट्रांसफर होंगे. सत्ता पक्ष के विधायकों की नाराजगी दूर करने और उनकी मांग पूरी करने के लिए तबादलों का ये दौर शुरू होना था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कैबिनेट के सदस्यों से चर्चा के बाद फैसला लिया था कि 31 अप्रैल से तबादलों से प्रतिबंध हट जाएगा. गौरतलब है कि बीते साल 2 महीने के लिए ट्रांसफर से बैन हटाया गया था.