भोपाल। सीएम कमलनाथ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात इस बार बेहद अहम मानी जा रही है. माना जा रहा है कि इस बार की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नया नाम तय हो जाएगा. प्रदेश के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि सीएम एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं, प्रदेश अध्यक्ष पद पर वे मंत्रिमंडल के ही किसी सदस्य को बैठाना चाहते हैं.
कहा जा रहा है कि अगर कमलनाथ मंत्रिमंडल में से किसी सदस्य को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया बनाया जाएगा तो ये फैसला सीएम कमलनाथ के लिए काफी राहत भरा हो सकता है क्योंकि इस फैसले का सीधा संबंध कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है. सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही कांग्रेस सरकार में इतने मंत्री पद खाली नहीं हैं, जितने इन विधायकों को दिए जा सकें. ऐसे में मंत्रिमंडल का ही कोई सदस्य कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनता है तो मंत्रिमंडल में एक सदस्य की जगह खाली होगी. भविष्य में जब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो इस पद पर किसी नए विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है.
कमलनाथ मंत्रिमंडल के सदस्यों में अध्यक्ष पद के दावेदारों के नाम की बात करें तो गृहमंत्री बाला बच्चन आदिवासी समूह से आते हैं. वन मंत्री उमंग सिंघार भी इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन दोनों नेताओं के आलवा उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी का नाम भी तेजी से उभर का सामने आ रहा है, जबकि सिंधिया गुट प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावा करता है तो राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का नाम भी सामने आ सकता है.
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि सामान्यतः इन चीजों पर फैसला आलाकमान करता है. आलाकमान निश्चित रूप से मुख्यमंत्री से चर्चा करके ही ऐसे निर्णय लेता है. जो भी फैसला आएगा, कांग्रेस उसे स्वीकार करेगी. कांग्रेस के पास ऐसे योग्य और युवा चेहरे भी हैं और मंत्री भी हैं. जो संगठन के लिए अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर हैं. मंत्रिमंडल सदस्यों के दावेदारों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जिस नाम को पार्टी और पार्टी आलाकमान तय करेगा, पूरी पार्टी उसका स्वागत करेगी.