भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति बन गई है, माना जा रहा है कि आसपास के इलाकों में किसानों के पराली जलाने से यह हालात बने हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए सीएम कमलनाथ ने प्रदेश के किसानों से अपील की है कि प्रदेश के पर्यावरण की चिंता करते हुए खेत में पराली ना जलाएं.
सीएम कमलनाथ ने कहा कि किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई के लिये शासन अपने स्तर पर निरंतर प्रयासरत है. राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से इसके लिये मदद भी मांगी है. नुकसान की भरपाई के लिये हमारी सरकार वचनबद्ध है.
सीएम कमलनाथ ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि अभी सबसे ज्यादा चिंता पर्यावरण संरक्षण की है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बारे में बताया है कि साफ हवा में सांस लेने का हक सबको है. बाकी प्रदेशों में हवा में जो जहर फैल रहा है उससे हम अपने प्रदेश को समय रहते बचायें. आशा है कि आप सभी समय की जरूरत का ध्यान रखेंगे और प्रदेश की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे.
पराली के हैं कई फायदे
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाये बिना उसी के साथ गेहॅू की बुआई की जाये, सिंचाई के साथ जब पराली सडे़गी, तो अपने आप खाद में बदल जायेगी और उसका पोषक तत्व मिट्टी में मिलकर गेहूं की फसल को अतिरिक्त लाभ देगा. अब तो ऐसे यंत्र भी उपलब्ध हैं. जो ट्रेक्टर में आसानी से लगकर खड़े डंठलों को काटकर इकट्ठा कर सकते हैं और उन्हीं में बुआई भी की जा सकती है. दोनों विकल्प किसानों के लिये फायदेमंद हैं. पराली जलाने से ज्यादा उसका उपयोग भूसे और पशु चारे में तब्दील करने में है.