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सीएम कमलनाथ की किसानों से अपील, कहा- पराली ना जलाएं-पर्यावरण बचाएं

सीएम कमलनाथ ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि प्रदेश के पर्यावरण की चिंता करते हुए खेत में पराली ना जलाएं. साथ ही सीएम कमलनाथ ने किसानों की फसलों को हुए नुकसान की हर हाल में भरपाई की बात कही.

सीएम कमलनाथ
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Published : Nov 8, 2019, 6:02 AM IST

भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति बन गई है, माना जा रहा है कि आसपास के इलाकों में किसानों के पराली जलाने से यह हालात बने हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए सीएम कमलनाथ ने प्रदेश के किसानों से अपील की है कि प्रदेश के पर्यावरण की चिंता करते हुए खेत में पराली ना जलाएं.

सीएम कमलनाथ ने किसानों से की पराली ना जलाने की अपील

सीएम कमलनाथ ने कहा कि किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई के लिये शासन अपने स्तर पर निरंतर प्रयासरत है. राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से इसके लिये मदद भी मांगी है. नुकसान की भरपाई के लिये हमारी सरकार वचनबद्ध है.

सीएम कमलनाथ ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि अभी सबसे ज्यादा चिंता पर्यावरण संरक्षण की है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बारे में बताया है कि साफ हवा में सांस लेने का हक सबको है. बाकी प्रदेशों में हवा में जो जहर फैल रहा है उससे हम अपने प्रदेश को समय रहते बचायें. आशा है कि आप सभी समय की जरूरत का ध्यान रखेंगे और प्रदेश की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे.

पराली के हैं कई फायदे

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाये बिना उसी के साथ गेहॅू की बुआई की जाये, सिंचाई के साथ जब पराली सडे़गी, तो अपने आप खाद में बदल जायेगी और उसका पोषक तत्व मिट्टी में मिलकर गेहूं की फसल को अतिरिक्त लाभ देगा. अब तो ऐसे यंत्र भी उपलब्ध हैं. जो ट्रेक्टर में आसानी से लगकर खड़े डंठलों को काटकर इकट्ठा कर सकते हैं और उन्हीं में बुआई भी की जा सकती है. दोनों विकल्प किसानों के लिये फायदेमंद हैं. पराली जलाने से ज्यादा उसका उपयोग भूसे और पशु चारे में तब्दील करने में है.

भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति बन गई है, माना जा रहा है कि आसपास के इलाकों में किसानों के पराली जलाने से यह हालात बने हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए सीएम कमलनाथ ने प्रदेश के किसानों से अपील की है कि प्रदेश के पर्यावरण की चिंता करते हुए खेत में पराली ना जलाएं.

सीएम कमलनाथ ने किसानों से की पराली ना जलाने की अपील

सीएम कमलनाथ ने कहा कि किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई के लिये शासन अपने स्तर पर निरंतर प्रयासरत है. राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से इसके लिये मदद भी मांगी है. नुकसान की भरपाई के लिये हमारी सरकार वचनबद्ध है.

सीएम कमलनाथ ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि अभी सबसे ज्यादा चिंता पर्यावरण संरक्षण की है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बारे में बताया है कि साफ हवा में सांस लेने का हक सबको है. बाकी प्रदेशों में हवा में जो जहर फैल रहा है उससे हम अपने प्रदेश को समय रहते बचायें. आशा है कि आप सभी समय की जरूरत का ध्यान रखेंगे और प्रदेश की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे.

पराली के हैं कई फायदे

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाये बिना उसी के साथ गेहॅू की बुआई की जाये, सिंचाई के साथ जब पराली सडे़गी, तो अपने आप खाद में बदल जायेगी और उसका पोषक तत्व मिट्टी में मिलकर गेहूं की फसल को अतिरिक्त लाभ देगा. अब तो ऐसे यंत्र भी उपलब्ध हैं. जो ट्रेक्टर में आसानी से लगकर खड़े डंठलों को काटकर इकट्ठा कर सकते हैं और उन्हीं में बुआई भी की जा सकती है. दोनों विकल्प किसानों के लिये फायदेमंद हैं. पराली जलाने से ज्यादा उसका उपयोग भूसे और पशु चारे में तब्दील करने में है.

Intro:भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति बन गई है माना जा रहा है कि आसपास के इलाकों में किसानों द्वारा नरवाई जलाने से यह हालात बने हैं इन परिस्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के किसान भाइयों से अपील की है उन्होंने कहा है कि...
प्यारे किसान भाईयों,
अतिवृष्टि से आपकी फसलो को काफी नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई के लिये शासन अपने स्तर पर निरंतर प्रयासरत है। हमने केन्द्र सरकार से इसके लिये मदद भी मांगी हैं।आपके नुक़सान की भरपाई के लिये हमारी सरकार वचनबद्ध है।
इन सबके बीच आपसे एक महत्वपूर्ण विषय पर अपील करता हूँ कि आप किसान भाई प्रदेश के पर्यावरण की चिंता करते हुए खेत में पराली (नरवाई) न जलाए।
Body:अपनी अपील में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आगे कहा है कि फसल के बाद डंठल या ठूँठ जिन्हें हम पराली कहते हैं, जलाने से चौतरफा नुकसान है। पराली जलाने से जमीन के पोषक तत्वों के नुकसान के साथ प्रदूषण भी फैलता है और ग्रीनहाउस गैंसे भी पैदा होती है। जो वातावरण को बेहद नुकसान पहुँचाती है। ये तथ्य जानकार बताते हैं कि पराली जलाने से अधजला कार्बन,कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड तथा राख उत्पन्न होती है।जो वातावरण में गैसीय प्रदूषण के साथ धूल कणों की मात्रा में भी वृद्धि करती है।इसके साथ ही पराली जलाने पर मिट्टी के साथ वे कृषि सहयोगी सूक्ष्म जीवाणु तथा जीव भी जल जाते हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में सहायक होते हैं।

कृषि विशेषज्ञों का भी मानना है कि पराली (नरवाई) जलाये बिना उसी के साथ गेहॅू की बुआई की जाये, सिंचाई के साथ जब पराली सडे़गी,तो अपने आप खाद में बदल जायेगी और उसका पोषक तत्व मिट्टी में मिलकर गेहॅू की फसल को अतिरिक्त लाभ देगा। अब तो ऐसे यंत्र भी उपलब्ध हैं।जो ट्रेक्टर में आसानी से लगकर खड़े डंठलों को काटकर इकट्ठा कर सकते हैं और उन्हीं में बुआई भी की जा सकती है। दोनों विकल्प किसानों के लिये फायदेमंद है।पराली जलाने से ज्यादा उसका उपयोग भूसे और पशु चारे में तब्दील करने में है। जलाने की बजाये इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन, कार्डबोर्ड और कागज बनाने में करने का सुझाव भी विशेषज्ञों का है।
Conclusion:अंत में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि...
साथियों, अभी सबसे ज्यादा चिंता पर्यावरण संरक्षण की है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बारे में बताया है कि साफ हवा में साँस लेने का हक सबको है। आप आबोहवा के पहरूएँ हैं और हरियाली के जनक। जलाने के बजाये उसका अन्य उपयोग करें ताकि उन्नत खेती, पशु चारे की उपलब्धता और स्वच्छ प्राणवायु सभी को मिल सके। बाकि प्रदेशो में हवा में जो जहर फैल रहा है उससे हम अपने प्रदेश को समय रहते बचायें। आशा है आप सभी समय की जरूरत का ध्यान रखेंगे और प्रदेश की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे।
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