भोपाल। साल 2004 में भोपाल की रशीदा बी और चंपा देवी जो कि भोपाल के गैस पीड़ितों के लिए सामाजिक कार्य कर रही थीं, उन्हें संयुक्त रूप से अमेरिका में गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस पुरस्कार की राशि 57 लाख रुपए से इन दोनों महिलाओं ने चिंगारी ट्रस्ट बनाया और उसमें समस्त राशि दान कर दी. तब से यह संस्था गैस पीड़ित बच्चों के लिए सामाजिक कार्य कर रही हैं. उनमें शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है.
सन 2014 से शिक्षक के पद पर चिनगारी ट्रस्ट में कार्यरत सूर्य प्रकाश सिंह ने बताया कि चिंगारी संस्था के द्वारा हम शिक्षक सभी प्रकार के डिसएबल बच्चों पर कार्य करते हैं वह भी निशुल्क हमारा काम बच्चों की फिजियो थेरेपी के साथ-साथ स्पीच थेरेपी का भी है. जो बच्चे बोल नहीं पाते जो बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होते हैं, उन्हें विशेष प्रकार की पद्धति से शिक्षा दी जाती है.
उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है उन्हें सेल्फ डिपेंड बनाया जाता है. साथ ही बच्चों को घर से लाने और ले जाने के साथ-साथ निशुल्क भोजन की भी यहां व्यवस्था करते हैं. यहां आने वाले सभी बच्चे भोपाल के ही हैं. जिनमें अधिकांश भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित बच्चे हैं. यहां लगभग 300 बच्चों पंजीकृत है और 175 बच्चे यहां नियमित रूप से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
सूर्य प्रकाश सिंह ने कहा कि इन दिनों लॉकडाउन है. लेकिन बच्चों की शिक्षा दीक्षा चालू है क्योंकि अगर मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चों को अगर 15 दिन तक शिक्षा और ट्रेनिंग ना मिले तो बच्चे पिछला सबक भूल जाते हैं. यहां बच्चों को अलग-अलग समय में बुलाया जाता है. दिनभर स्कूल चलता है, सोशल डिस्टेंसिंग और प्रशासन द्वारा बताए गए सारे नियमों का पालन किया जाता है.
चिंगारी ट्रस्ट के शिक्षकों ने बताया कि जब बच्चे हम से सीख लेते हैं और सेल्फ डिपेंड हो जाते हैं, तो हम लोगों को सबसे ज्यादा खुशी होती है और बच्चों के पेरेट्ंस की खुशी तो देखते ही बनती है. यही हमारी कमाई है.