भोपाल। प्यारे मियां यौन शोषण केस की पीड़िता की मौत के मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भोपाल कलेक्टर को पत्र लिखा है, आयोग ने 7 बिंदुओं पर 3 दिन में जवाब मांगा है.
बाल आयोग ने इन बिंदुओं पर मांगा जवाब
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया से 7 बिंदुओं पर 3 दिन में जवाब मांगा है, बाल आयोग ने पहले भी इस मामले में बालिका गृह की अधीक्षक एंतेनिया इक्का की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे और नाराजगी जताई थी.
इन बिंदुओं पर मांगा जवाब
- जब नाबालिग की तबीयत खराब हुई तब बालिका गृह से उसे कितनी देर में भर्ती कराया गया. पीड़िताओं में से कितनी बच्चियों का मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा है और किस डॉक्टर का इलाज चल रहा था.
- नाबालिग तक गोलियां कैसे पहुंची. क्या बच्चियों को डिप्रेशन में नींद की गोलियां प्रिस्क्राइब की गई थी. अगर की गई थी तो गोलियां किसकी देख रेख में दी जा रही थी?
- क्या सिडब्लूसी ने बच्चियों की होम स्टडी एसआईआर कराई है? इसे भी उपलब्ध कराएं?
- सीडब्ल्यूसी भोपाल में कितने मामले लंबित हैं?
- डीसीपीयूसी डब्ल्यूसी द्वारा पांच पीड़िताओं की कितनी बार कॉउंसलिंग कराई गई?
- जिला निरीक्षण कमेटी द्वारा नियमानुसार कितनी बार बालिका गृह का निरीक्षण किया गया? निरीक्षण में पाई गई कमियों की क्या कार्रवाई हुई?
- क्या बालिका गृह में बाल समिति गठित है. अगर समिति गठित है तो समिति ने कभी कोई महत्वपूर्ण जानकारी दी है तो वह भी उपलब्ध कराए.
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क्या है मामला
प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में बुधवार को एक नाबालिग की मौत हो गई थी. जिसके बाद यूपी के हाथरस गैंगरेप जैसी स्थिति देखने को मिली. पीड़िता के मौत के बाद गुरुवार को पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां पुलिस की निगरानी में विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में पीड़िता ही फरियादी भी थी. पीड़िता के परिजन घर पर बेटी के शव का इंतजार कर रहे थे. लेकिन पुलिस उन्हें शव सौंपना ही नहीं चाहती थी. पीड़िता की मां ने बताया कि वह अपनी बेटी के शव का घर पर इंतजार करती रही और पुलिस ने सीधे अंतिम संस्कार विश्राम घाट पर करा दिया.