भोपाल। करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक नर्मदा हमेशा किसी न किसी कारण से चर्चा में बनी रहती है. चाहे नर्मदा की जैव विविधता हो या उसका विपरीत दिशा में बहना. कई बार नर्मदा नदी उस पर बने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट को लेकर शुरू हुए आंदोलन को लेकर भी चर्चा में रही है. अब एक फिर से नर्मदा नदी दो प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा में हैं, खबर है कि इसे लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा आमने-सामने हैं. इनके बीच शीतयुद्ध तो लंबे समय से चल ही रहा है, लेकिन पिछले मंगलवार को एक हाईपावर कमेटी की बैठक में यह युद्ध सतह पर आ गया और बात आमने-सामने की हो गई. खबर है कि अब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा इस पूरे मामले को लेकर दस्तावेजों के साथ दिल्ली चले गए और मुख्यमंत्री पत्नी का जन्मदिन मनाने पंचमढ़ी की वादियों में.
विवादास्पद हुए यह दो प्रोजेक्ट
नर्मदा की चर्चा और विवाद का जिक्र लगभग डेढ़ हजार करोड़ से ऊपर के गोलमाल के पीछे छिपा है. आरोप है कि राजनीतिक संरक्षण में कुछ कंपनियों को एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत करीब 8 हजार 400 करोड़ के दो बड़े प्रोजेक्ट दे दिए गए हैं. नर्मदा नदी पर बनने वाले बांधों के इन प्रोजेक्ट में से एक नरसिंहपुर जिले का चिंकी बैराज और दूसरा खरगोन का है. चिंकी प्रोजेक्ट की बिड 5434 करोड़ की और खरगोन प्रोजेक्ट की बिड 2959 करोड़ रुपए की विगत मार्च 2021 में जारी हुई थी. इस दोनो प्रोजेक्ट की बिड ओपनिंग 23 अप्रेल 2021 हुई थी, जबकि फाइनेंशियल बिड ओपनिंग 13 मई 2021 को हुई. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी ने 8 जून 2021 को इन दोनों प्रोजेक्ट की बिड को एप्रूवल दिया. प्रोजेक्ट एप्रूवल तक तो बात ठीक थी, लेकिन जैसे ही इस मामला कमेटी के सामने रखा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भड़क गए और उन्होंने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इस समय इन्हें अनावश्यक बताया. मुख्यमंत्री की मौजूदगी मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से गृहमंत्री ने कुछ सवाल भी किए और बैठक छोड़कर चले गए. हालांकि दोनों प्रोजेक्ट कमेटी ने एप्रूव कर दिए. यह कहानी लगभग सबको पता है, लेकिन असली बात इसके पीछे है.
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सरकार बदलते ही कुल 1578 करोड़ कॉस्ट बढ़ी
विश्वस्त सूत्रों और प्रमाणों के अनुसार नर्मदा विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) द्वारा पिछले साल ही 10 प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए तैयार किए गए थे. तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय इन दस परियोजनाओं पर करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च होना थे. कमलनाथ सरकार इनकी बिड जारी कर पाती, इसके पहले ही कांग्रेस में बगाबत हो गई और कमलनाथ सरकार गिर गई. खबर यह है कि हाईपावर कमेटी ने जिन दो प्रोजेक्ट को एप्रूव्ड किया है, उनमें चिंकी प्रोजेक्ट 4453 करोड़ और खरगौन का प्रोजेक्ट 2359 करोड़ रुपए का प्रस्तावित था. प्रोजेक्ट की यह अनुमानित राशि फरवरी 2020 में एनवीडीए ने तमाम तकनीकि रिसर्च के बाद तय की थी, लेकिन एक साल बाद मार्च 2021 में इन दोनो प्रोजेक्ट की लागत में लगभग 1578 करोड़ रुपए बढ़ोत्तरी कर दी गई. इनमें चिंकी प्रोजेक्ट में 978 करोड रुपए और खरगौन के प्रोजेक्ट की काॅस्ट 600 करोड़ रुपए बढ़ा दी गई है.
दो कंपनियों पर दिखाई मेहरबानी
दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों प्रोजेक्ट में बिड डालने वाले कंपनियां एक ही हैं. बिड के नियमानुसार न्यूनतम 3 कंपनियां होना जरूरी है. इसलिए दोनों प्रोजेक्ट में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, हैदराबाद, आरवीआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद और एलएनटी लिमिटेड मुंबई यह तीनों कंपनियां ही हैं. इसमें खरगोन जिले का 2959 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मेघा इंजीनियरिंग को दिया गया है, इसमें मेघा इंजीनियरिंग एल-1 थी, जबकि आरवीआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड एल-2 और एलएनटी एल-3. वहीं दूसरे चिंकी प्रोजेक्ट नरसिंहपुर आरवीआर एल-1 थी, जिसने 5376.09 करेाड़ रुपए की बोली लगाकार यह परियोजना अपने नाम अवार्ड कराई. इसमें एल-2 मेघा इंजीनियरिंग और एल-3 एलएनटी मुंबई है.
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खरगोन का प्रोजेक्ट मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा. लिमिटेड को 2929.69 करोड़ में टेंडर की अनुमानित लागत से सिर्फ माइनस एक प्रतिशत यानी 13.61 करोड़ कम पर अवार्ड किया गया. जबकि आरवीआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 2943 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी, जो एसओआर रेट से माइनेस 0.54 फीसदी कम थी. इन दोनों कंपनियों के सपोर्ट में तीसरा टेंडर डालने वाले कंपनी एलएनटी ने एसओआर रेट से 22.56 फीसदी जाकर 3627 करोड़ रुपए की फाइनेंशियल बिड भरी थी. इसी तरह दूसरे चिंकी प्रोजेक्ट नरसिंहपुर में भी इन्हीं तीनों कंपनियों ने ही बिड भरी थी, इनमें आरवीआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने एसओआर से माइनस 1.08 प्रतिशत कम की बोली लगाकर यानी 5434.79 करोड़ रुपए में से मात्र 36.41 करोड़ रुपए कम पर यह परियोजना हासिल की है. इसमें भी एलएनटी ने एसओआर से करीब ढाई प्रतिशत ऊपर की बोली लगाई थी.
माइनस बोली पर अवार्ड होता है प्रोजेक्ट
ई-टीवी भारत ने 2016 से 2020 तक के एनवीडीए के प्रोजेक्ट की जानकारी जुटाई तो पता चला कि किसी भी प्रोजेक्ट में एसओआर की दरों से ऊपर के प्रोजेक्ट अवार्ड नहीं हुए हैं. सामान्यतः 5 से 12 प्रतिशत तक ब्लो एसओआर प्रोजेक्ट ही पिछले चार सालों में अवार्ड हुए हैं. जल संसाधन विभाग के टेंडर में भी यही स्थिति है. इसके बावजूद सपोर्ट एल-3 रहने वाली कंपनी ने दोनों ही टेंडर में एसओआर से ज्यादा राशि डाली है. सूत्रों का दावा है कि एलएनटी को बाकी आठ परियोजनाओं में से कम से कम दो परियोजना निश्चित रूप से अवार्ड की जाएंगी.
हाईपावर कमेटी में यह थे नरोत्तम के आरोप
8 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इन दोनों प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का मुददा उठाते हुए अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी. नरोत्तम मिश्रा का आरोप था कि सभी जानते हैं प्रोजेक्ट में कितने का एचडीपीई पाइप लगना है और इसमें कितना कमीशन खाया जाता है, यह सब जानते हैं. गृहमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे कौन से कारण है कि एक साल में इन परियोजनाओं की लागत 23 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई. एक साल पहले इन दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 6812 करोड़ थी, जो बढ़कर 8393 करोड़ रुपए हो गई है.
ये है हाइपावर कमेटी का स्वरूप
हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं. सचिव मुख्य सचिव होते हैं एवं गृहमंत्री के अलावा सभी तकनीकि विभागों के मंत्री और प्रशासनिक मुखिया इसके सदस्य होते हैं. हाईपावर कमेटी के समक्ष राज्य के विकास संबंधी वह सभी प्रोजेक्ट अंतिम स्वीकृति के लिए आते हैं. एनवीडीए ने भी 8 जून की बैठक में कुल तीन प्रोजेक्ट भेजे थे, इनमें दो प्रोजेक्ट के अलावा एक और प्रोजेक्ट था, जिसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई।
गृहमंत्री दस्तावेजों के साथ दिल्ली गए
हाई पावर कमेटी में मुख्यमंत्री के सामने गुस्साए नरोत्तम मिश्रा अभी भी उसी तेवर में हैं. सूत्रों की मानें तो नरोत्तम मिश्रा गुरूवार को दिल्ली पहुंच गए हैं. वे अपने साथ टेंडर से जुड़े तमाम दस्तावेज लेकर गए हैं. जहां वे पार्टी वरिष्ठ नेताओं के सामने इस मुददे को रखेंगे.