भोपाल। प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले हनीट्रैप मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं, ऐसा सामने आया है कि प्रदेश के अफसरों ने सरकारी खजाने का पैसा एनजीओ के जरिए हनी ट्रैप की आरोपियों पर उड़ाया है. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गई है. सामाजिक न्याय विभाग में अधिकारियों पर सरकारी पैसे की बंदरबांट के आरोप लगे हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने सीएम कमलनाथ से शिकायत की है, जिसमें सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता और सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव जीएस कंसोटिया पर आर्थिक गड़बड़ी में लिप्त एनजीओ को क्लीन चिट देने और सरकारी कामकाज कराने का आरोप लगाया है.
शिकायतकर्ता ने अधिकारियों पर एनजीओ की मान्यता रद्द होने के बाद भी उसे फिर से बहाल कर शासकीय कामकाज कराए जाने के आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि मामले की जांच हो, कमलनाथ सरकार इस मामले पर चुप्पी तोड़े और इसमें लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करे. मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में अजय दुबे ने कहा कि सख्त कार्रवाई के बावजूद भी प्रदेश के कई अधिकारी आज भी आर्थिक गड़बड़ियों और घोटालों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं.
उन्होंने एक मामले का जिक्र कर कहा कि सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता ने 19 सितंबर 2019 को बड़ी आर्थिक गड़बड़ी की जिम्मेदार एक अशासकीय संस्था पर सीहोर कोतवाली में दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई करने की जगह क्लीन चिट देते हुए नए कार्य की अनुशंसा, प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण विभाग जेएस कंसोटिया से की है.
दागी संस्था के विरुद्ध पूर्व सीहोर कलेक्टर गणेश मिश्र ने अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र संचालित करने और पैसा वसूलने के आरोप में 15 मई 2019 को पत्र लिखकर कोतवाली सीहोर में 29 मई 2019 को एफआईआर दर्ज कराई थी. दुबे का कहना है कि पूर्व कलेक्टर की अनुशंसा पर संस्था की मान्यता भी संचालक समाज कल्याण विभाग मध्यप्रदेश ने समाप्त कर दी थी, हाल ही में 18 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण के आदेश पर इस संस्था की मान्यता बहाल की गई और अतिरिक्त कार्य सौंपने की व्यवस्था की जा रही है.
अजय दुबे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि गैरकानूनी कार्य करने वाली संस्था पर एफआईआर दर्ज हो. साथ ही सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता द्वारा चंद महीने में यू-टर्न लेते हुए क्लीनचिट दिए जाने की जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.