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प्रशासनिक अधिकारियों पर आर्थिक गड़बड़ी के आरोप, सीएम तक पहुंची शिकायत

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने सीएम कमलनाथ से शिकायत कर मान्यता रद्द होने वाले एनजीओ की फिर से मान्यता बहाल करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की है.

RTI activist Ajay Dubey
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे
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Published : Jan 20, 2020, 9:11 PM IST

Updated : Jan 20, 2020, 9:20 PM IST

भोपाल। प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले हनीट्रैप मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं, ऐसा सामने आया है कि प्रदेश के अफसरों ने सरकारी खजाने का पैसा एनजीओ के जरिए हनी ट्रैप की आरोपियों पर उड़ाया है. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गई है. सामाजिक न्याय विभाग में अधिकारियों पर सरकारी पैसे की बंदरबांट के आरोप लगे हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने सीएम कमलनाथ से शिकायत की है, जिसमें सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता और सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव जीएस कंसोटिया पर आर्थिक गड़बड़ी में लिप्त एनजीओ को क्लीन चिट देने और सरकारी कामकाज कराने का आरोप लगाया है.

प्रशासनिक अधिकारियों पर आर्थिक गड़बड़ी के आरोप

शिकायतकर्ता ने अधिकारियों पर एनजीओ की मान्यता रद्द होने के बाद भी उसे फिर से बहाल कर शासकीय कामकाज कराए जाने के आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि मामले की जांच हो, कमलनाथ सरकार इस मामले पर चुप्पी तोड़े और इसमें लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करे. मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में अजय दुबे ने कहा कि सख्त कार्रवाई के बावजूद भी प्रदेश के कई अधिकारी आज भी आर्थिक गड़बड़ियों और घोटालों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं.

उन्होंने एक मामले का जिक्र कर कहा कि सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता ने 19 सितंबर 2019 को बड़ी आर्थिक गड़बड़ी की जिम्मेदार एक अशासकीय संस्था पर सीहोर कोतवाली में दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई करने की जगह क्लीन चिट देते हुए नए कार्य की अनुशंसा, प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण विभाग जेएस कंसोटिया से की है.

दागी संस्था के विरुद्ध पूर्व सीहोर कलेक्टर गणेश मिश्र ने अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र संचालित करने और पैसा वसूलने के आरोप में 15 मई 2019 को पत्र लिखकर कोतवाली सीहोर में 29 मई 2019 को एफआईआर दर्ज कराई थी. दुबे का कहना है कि पूर्व कलेक्टर की अनुशंसा पर संस्था की मान्यता भी संचालक समाज कल्याण विभाग मध्यप्रदेश ने समाप्त कर दी थी, हाल ही में 18 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण के आदेश पर इस संस्था की मान्यता बहाल की गई और अतिरिक्त कार्य सौंपने की व्यवस्था की जा रही है.

अजय दुबे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि गैरकानूनी कार्य करने वाली संस्था पर एफआईआर दर्ज हो. साथ ही सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता द्वारा चंद महीने में यू-टर्न लेते हुए क्लीनचिट दिए जाने की जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.

भोपाल। प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले हनीट्रैप मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं, ऐसा सामने आया है कि प्रदेश के अफसरों ने सरकारी खजाने का पैसा एनजीओ के जरिए हनी ट्रैप की आरोपियों पर उड़ाया है. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गई है. सामाजिक न्याय विभाग में अधिकारियों पर सरकारी पैसे की बंदरबांट के आरोप लगे हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने सीएम कमलनाथ से शिकायत की है, जिसमें सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता और सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव जीएस कंसोटिया पर आर्थिक गड़बड़ी में लिप्त एनजीओ को क्लीन चिट देने और सरकारी कामकाज कराने का आरोप लगाया है.

प्रशासनिक अधिकारियों पर आर्थिक गड़बड़ी के आरोप

शिकायतकर्ता ने अधिकारियों पर एनजीओ की मान्यता रद्द होने के बाद भी उसे फिर से बहाल कर शासकीय कामकाज कराए जाने के आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि मामले की जांच हो, कमलनाथ सरकार इस मामले पर चुप्पी तोड़े और इसमें लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करे. मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में अजय दुबे ने कहा कि सख्त कार्रवाई के बावजूद भी प्रदेश के कई अधिकारी आज भी आर्थिक गड़बड़ियों और घोटालों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं.

उन्होंने एक मामले का जिक्र कर कहा कि सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता ने 19 सितंबर 2019 को बड़ी आर्थिक गड़बड़ी की जिम्मेदार एक अशासकीय संस्था पर सीहोर कोतवाली में दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई करने की जगह क्लीन चिट देते हुए नए कार्य की अनुशंसा, प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण विभाग जेएस कंसोटिया से की है.

दागी संस्था के विरुद्ध पूर्व सीहोर कलेक्टर गणेश मिश्र ने अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र संचालित करने और पैसा वसूलने के आरोप में 15 मई 2019 को पत्र लिखकर कोतवाली सीहोर में 29 मई 2019 को एफआईआर दर्ज कराई थी. दुबे का कहना है कि पूर्व कलेक्टर की अनुशंसा पर संस्था की मान्यता भी संचालक समाज कल्याण विभाग मध्यप्रदेश ने समाप्त कर दी थी, हाल ही में 18 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण के आदेश पर इस संस्था की मान्यता बहाल की गई और अतिरिक्त कार्य सौंपने की व्यवस्था की जा रही है.

अजय दुबे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि गैरकानूनी कार्य करने वाली संस्था पर एफआईआर दर्ज हो. साथ ही सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता द्वारा चंद महीने में यू-टर्न लेते हुए क्लीनचिट दिए जाने की जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.

Intro:भोपाल।मप्र में उजागर हुए हनीट्रैप कांड में सामने आया है कि प्रदेश के अफसरों ने सरकारी खजाने का पैसा एनजीओ के जरिए हनी ट्रैप में गिरफ्तार हुई महिलाओं पर उड़ाया है। फिर भी मप्र सरकार के अफसर अपनी कारगुजारियों से बाज नहीं आ रहे हैं। एक और शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास सामाजिक न्याय विभाग में सरकारी पैसे की बंदरबांट की पहुंची है। आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मुख्यमंत्री को एक शिकायत की है। जिसमें सीहोर जिले के कलेक्टर अजय गुप्ता और सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव जी एस कंसोटिया पर आर्थिक गड़बड़ियों में लिप्त एनजीओ को क्लीन चिट देने और सरकारी कामकाज कराने का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह मामला हनी ट्रैप कांड की तरह है।जिसमें एक एनजीओ की मान्यता रद्द होने के बाद भी उसको फिर से बहाल कर शासकीय कामकाज कराए जाने की कोशिश की जा रही है।


Body:मुख्यमंत्री कमलनाथ को की शिकायत में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा है कि आपकी सख्त कार्रवाई के बावजूद भी मध्य प्रदेश के कई अधिकारी आज भी आर्थिक गड़बड़ियों और घपले घोटालों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं।ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है। जिसमें सीहोर जिले के कलेक्टर अजय गुप्ता ने 19 सितंबर 2019 को बड़ी आर्थिक गड़बड़ी की जिम्मेदार एक अशासकीय संस्था न्यू प्रताप शिक्षा समिति सीहोर भोपाल पर सीहोर कोतवाली में दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई करने की जगह क्लीन चिट देते हुए नए कार्य देने की अनुशंसा प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण विभाग जे एस कंसोटिया से की है। गौरतलब है कि दागी संस्था के विरुद्ध पूर्व सीहोर कलेक्टर गणेश मिश्र ने अवैध रूप से नशा मुक्ति केंद्र संचालित करने और पैसा वसूलने के आरोप में 15 मई 2019 को पत्र लिखकर कोतवाली थाना सीहोर में 29 मई 2019 को एफ आई आर दर्ज कराई थी।

अजय दुबे का कहना है कि पूर्व कलेक्टर की अनुशंसा पर संस्था की मान्यता भी संचालक समाज कल्याण विभाग मध्यप्रदेश द्वारा समाप्त की गई थी और 50 हजार का आर्थिक दंड भी भरवा कर शपथ पत्र प्रस्तुत कर गलती स्वीकार करते हुए अवैध नशा मुक्ति केंद्र बंद करने की सूचना दी गई थी। लेकिन हाल ही में 18 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव सामाजिक कल्याण के आदेश पर इस संस्था की मान्यता बहाल की गई और अतिरिक्त कार्य सौंपने की व्यवस्था की जा रही है।


Conclusion:आरटीई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि गैरकानूनी कार्य करने वाली संस्था पर एफ आई आर दर्ज करने के बाद सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता द्वारा चंद महीने में यू-टर्न लेते हुए क्लीनचिट दिए जाने की जांच हो एवं दोषियों को चिन्हित कर कठोर दंड दिया जाए। उन्होंने कहा है कि हम सब जानते हैं कि बहुचर्चित हनीट्रैप कांड में भी कई एनजीओ को अनुचित आर्थिक फायदे दिए गए हैं।इसलिए इस तरह के एनजीओ के आर्थिक घोटालों की जांच एसटीएफ से करवाई जाना चाहिए।
Last Updated : Jan 20, 2020, 9:20 PM IST
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