भोपाल। सब पर नजर रखने वाली पुलिस पर भी अब सभी की नजर होगी. अब पुलिस अपनी मनमर्जी नहीं चला पाएगी. पुलिस की जिम्मेदारी भी और बढ़ जाएगी. थानों में पुलिस की कार्यप्रणाली पर पब्लिक की नजर होगी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के सभी 1169 थानों और 500 चैकिंयों में सीसीटीवी कैमरे (CCTV cameras installed in mp police station) लगने जा रहे हैं. शिकायत होने पर जब चाहे इन फुटेज को देखा जा सकेगा. इन हाई क्वालिटी कैमरों में वीडियो के साथ ऑडियो रिकॉर्डिंग भी होगी. इसका रिकाॅर्ड डेढ़ साल तक सुरक्षित रखा जाएगा.
एक थाने में लगेंगे औसतन 13 सीसीटीवी कैमरे
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) ने मध्यप्रदेश सहित सभी प्रदेशों के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए हैं. इसके तहत मध्यप्रदेश के सभी 1169 थानों और 500 चैकियों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इनमें सभी जिलों के महिला थानों, रेलवे पुलिस स्टेशन, सीआईडी, विजलेंस, एसटीएफ, सायबर, ट्रैफिक और नारकोटिक्स के थाने भी शामिल होंगे. पुलिस मुख्यालय और सीबीआई कार्यालय में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. एडीजी रेडियो एसके झा बताते हैं कि औसतन सभी थानों में कैमरे लगाए जाने हैं. हालांकि बड़े थानों में 20 कैमरे तक लगाए जाएंगे.
थाने के चप्पे-चप्पे पर होगी तीसरी आंख
थानों में लगाए जाने वाले कैमरों की नजर से एक भी कोना नहीं बचेगा. यह कैमरे थाने के बाहर काॅरिडोर, थाना प्रभारी के कक्ष, विवेचकों के कक्ष, हवालात आदि में लगाए जाएंगे. थानों में लगने वाले कैमरे हाई क्वालिटी के होंगे. इन कैमरों में वीडियो के साथ ऑडियो रिकाॅर्डिंग भी होगी. कैमरे में रिकाडिंग को डेढ़ साल तक सुरक्षित रखा जाएगा.
वर्तमान में 859 थानों में ही लगे कैमरे
मौजूदा वक्त में प्रदेश के 859 थानों में ही सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. इनमें से 400 लोकेशन पर लगे कैमरों की रिकाॅर्डिंग (Video Recording) को सिर्फ एक माह तक ही स्टोरेज रखा जाता है. बाकी 489 लोकेशन पर लगे कैमरों की स्टोरेज कैपीसिटी (Storage of Camera) सिर्फ 15 दिन ही है. भोपाल के दो थानों को छोड़ बाकी सभी थानों और इंदौर के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. हालांकि ग्वालियर और जबलपुर के 85 फीसदी थानों में कैमरे लगे हुए हैं.
सीसीटीवी खराब तो थाना प्रभारी की होगी जिम्मेदारी
थानों में लगने वाले सीसीटीवी की जिम्मेदारी संबंधित थाने के टीआई की होगी. कैमरा खराब होने पर संबंधित थाने के टीआई को इसकी तत्काल सूचना देनी होगी. कैमरे की निगरानी से बचने के लिए थाना स्टाॅफ यदि इसमें किसी तरह की छेड़खानी करता है, तो थाना प्रभारी जिम्मेदार होगा.
30 फीसदी कैमरे नो वर्किंग, एक माह में होंगे ठीक
बताया जाता है कि मौजूदा वक्त में लगे 859 सीसीटीवी कैमरों में से करीब 30 फीसदी कैमरे अभी नाॅट वर्किंग स्थिति में हैं. इन कैमरों को सुधारने के लिए आईटीआई को कांट्रेक्ट दिया गया है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक अगले एक माह में सभी बंद पड़े कैमरों को सुधार लिया जाएगा.
डेढ़ साल तक स्टोरेज रखना बड़ा चुनौती
एडीजी रेडियो एसके झा के मुताबिक सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के बाद पारदर्शिता बढे़गी. अभी तक फरियादी के आरोपों का कोई आधार नहीं होता, लेकिन अब आरोपों की जांच के लिए सीसीटीवी कैमरे बड़ा आधार बनेगा और गड़बड़ी मिलने पर संबंधित पुलिस कर्मचारी अधिकारी की जिम्मेदार तय की जा सकेगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने सीसीटीवी कैमरों की निगराने के लिए जिला और स्टेट लेवल पर एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. जिला स्तर पर कमेटी में कलेक्टर, एसपी और जनप्रतिनिधि होंगे. वहीं राज्य स्तर पर गृह सचिव इसकी निगरानी करेंगे. हालांकि, सीसीटीवी के फुटेज को डेढ़ साल तक स्टोरेज करके रखना है. पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगा. एडीजी रेडियो एसके झा के मुताबिक इसके लिए नेटवर्क वीडियो रिकाॅर्डर और क्लाउड सिस्टम सहित दूसरे विकल्पों भी विचार किया जा रहा है.