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National Cancer Awareness Day: ईटीवी भारत पर जानिए कैंसर सर्वाइवर्स की क्या है राय

कैंसर की बीमारी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है और अब तक लाखों लोग इस बीमारी के चपेट में आ गए है, इस बीमारी से बचने के लिए जागरुकता की जरुरत है, इसी के चलते नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे पर ईटीवी भारत ने बात की कुछ कैंसर सर्वाइवर्स से..देखिए रिपोर्ट

NATIONAL CANCER AWARENESS DAY
नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे
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Published : Nov 6, 2020, 7:02 PM IST

भोपाल। कैंसर की बीमारी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. हजारों की संख्या में लोग हर साल कैंसर की चपेट में आ रहे हैं और समय पर इलाज ना मिल पाने के कारण कई मरीज मौत के शिकार हो जाते हैं पर कई खुशनसीब ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सही समय पर इलाज मिलने और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण वे इस बीमारी से जीत जाते हैं. राजधानी भोपाल से भी कई ऐसे मामले हमारे सामने हैं, जहां मरीज ने इस भयंकर बीमारी से अपनी जंग जीती है और आज समाज को इस बीमारी से बचने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं.

कैंसर सर्वाइवर्स से बातचीत

क्या कहना है कैंसर सर्वाइवर का

ब्रेस्ट कैंसर की जंग जीतने वाली ललिता खाब्या कहती हैं कि 'मैंने हमेशा सबका ख्याल रखने पर ध्यान दिया पर कभी खुद का ख्याल नहीं रखा, मुझे अगर कोई परेशानी भी हो रही थी तो मैंने उसे गंभीर रूप से नहीं लिया, जिसके कारण मुझे लगता है कि मैं इस बीमारी की चपेट में आई, लेकिन बीमारी के इलाज के दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया और उनके कारण ही मैं इस बीमारी से ठीक हो पाई हूं.'

रुचिका सचदेवा जो कि एक ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर हैं, वह अपने अनुभव के बारे में बताती हैं कि 'साल 2016 में जब मुझे पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है तो मैं यह जानती थी कि मैं मरने वाली नहीं हूं क्योंकि अगर यह डर होता है तो इंसान टूट जाता है. मुझे पता था कि अब इलाज संभव है और मैं इससे निकल जाऊंगी, यह मुश्किल होगा पर मुझे इससे निकलना था. किसी भी कैंसर पेशेंट को अपने लिए डर नहीं लगता, वह अपने परिवार के लिए डरता है, लेकिन अगर सकारात्मक दृष्टिकोण अपना लिया जाए तो इस बीमारी से जीता जा सकता है.'

एक अन्य कैंसर सर्वाइवर वनीता जालोरी में बताया कि 'वह रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाती थी पर मैंने इसे बंद कर दिया जिसके कारण मेरा वजन बढ़ गया, मोटापा बढ़ने के कारण मुझे कैंसर हुआ पर मेरी जागरूकता के कारण मुझे उसके बारे में जानकारी थी, जब मैंने पहली बार अपनी जांच करवाई तो वह नेगेटिव आयी पर कुछ सालों बाद फिर से समस्याएं हुई और जब मैंने दोबारा से जांच करवाई तो वह पॉजिटिव थी. इस दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया, हमने डॉक्टर की पूरी सलाह मानी और मैंने यह ठान लिया था कि मेरे शरीर में जो यह एक अनचाहा मेहमान आया है इसे भगाना ही है और इसी बात के कारण में ठीक हो पाई हूं.'

असंतुलित लाइफ स्टाइल और जागरुकता की कमी कैंसर का बड़ा कारण

भारत में जागरुकता की कमी और असंतुलित लाइफ स्टाइल के कारण कैंसर के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लोग अपना ख्याल कैसे रखें इस बारे में ललिता कहती है कि सबको इस बारे में जागरुक होना जरूरी है और सबसे ज्यादा जरूरी है एक हेल्दी लाइफस्टाइल और स्वस्थ खान-पान को अपनाना. सभी को एक अच्छी दिनचर्या का पालन करना ही चाहिए खुद को स्वस्थ रखने के लिए. अगर वे फिट रहेंगे तभी आप अपने परिवार का भी ध्यान रख पाएंगे.

बता दें, कि भारत में कैंसर से लड़ने और लोगों में इसे लेकर जागरुकता लाने के लिए हर साल राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस मनाया जाता है, ताकि देश में बढ़ रहे कैंसर के रेट को कम किया जा सके और लोग इसके बारे में जागरुक हो सकें ताकि समय रहते उन्हें समुचित इलाज मिल सके.

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले दिनों 11 लाख से ज्यादा कैंसर के नए मामले सामने आए हैं. 22 लाख से ज्यादा लोग पिछले पांच साल से कैंसर से जूझ रहे हैं. भारत में कैंसर को लेकर ये सबसे ताजा आंकड़ें हैं. भारत की 135 करोड़ की आबादी के लिए कैंसर जानलेवा साबित होती जा रही है. हर साल मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.

भारत में अब तक कैंसर के आंकड़े

  • कैंसर से पीड़ित की अनुमानित संख्या: 25 लाख (लगभग)
  • प्रतिवर्ष कैंसर के नए मरीज: 7 लाख से अधिक
  • कैंसर संबंधित मृत्यु संख्या: 5,56,400

कैंसर को लेकर सामने आए कुछ जरुरी आंकडे़

  • भारत में बच्चेदानी के मुख के कैंसर की वजह से हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु होती है.
  • भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित हर दो महिलाओं में से एक महिला की मौत हो जाती है.
  • तंबाकू जनित रोगों के कारण प्रतिदिन तकरीबन 3,500 व्यक्तियों की मौत हो जाती है.
  • पांच पुरुषों में से एक मृत्यु और महिलाओं में 20 में से एक मृत्यु धूम्रपान के कारण होती है.

भोपाल। कैंसर की बीमारी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. हजारों की संख्या में लोग हर साल कैंसर की चपेट में आ रहे हैं और समय पर इलाज ना मिल पाने के कारण कई मरीज मौत के शिकार हो जाते हैं पर कई खुशनसीब ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सही समय पर इलाज मिलने और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण वे इस बीमारी से जीत जाते हैं. राजधानी भोपाल से भी कई ऐसे मामले हमारे सामने हैं, जहां मरीज ने इस भयंकर बीमारी से अपनी जंग जीती है और आज समाज को इस बीमारी से बचने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं.

कैंसर सर्वाइवर्स से बातचीत

क्या कहना है कैंसर सर्वाइवर का

ब्रेस्ट कैंसर की जंग जीतने वाली ललिता खाब्या कहती हैं कि 'मैंने हमेशा सबका ख्याल रखने पर ध्यान दिया पर कभी खुद का ख्याल नहीं रखा, मुझे अगर कोई परेशानी भी हो रही थी तो मैंने उसे गंभीर रूप से नहीं लिया, जिसके कारण मुझे लगता है कि मैं इस बीमारी की चपेट में आई, लेकिन बीमारी के इलाज के दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया और उनके कारण ही मैं इस बीमारी से ठीक हो पाई हूं.'

रुचिका सचदेवा जो कि एक ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर हैं, वह अपने अनुभव के बारे में बताती हैं कि 'साल 2016 में जब मुझे पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है तो मैं यह जानती थी कि मैं मरने वाली नहीं हूं क्योंकि अगर यह डर होता है तो इंसान टूट जाता है. मुझे पता था कि अब इलाज संभव है और मैं इससे निकल जाऊंगी, यह मुश्किल होगा पर मुझे इससे निकलना था. किसी भी कैंसर पेशेंट को अपने लिए डर नहीं लगता, वह अपने परिवार के लिए डरता है, लेकिन अगर सकारात्मक दृष्टिकोण अपना लिया जाए तो इस बीमारी से जीता जा सकता है.'

एक अन्य कैंसर सर्वाइवर वनीता जालोरी में बताया कि 'वह रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाती थी पर मैंने इसे बंद कर दिया जिसके कारण मेरा वजन बढ़ गया, मोटापा बढ़ने के कारण मुझे कैंसर हुआ पर मेरी जागरूकता के कारण मुझे उसके बारे में जानकारी थी, जब मैंने पहली बार अपनी जांच करवाई तो वह नेगेटिव आयी पर कुछ सालों बाद फिर से समस्याएं हुई और जब मैंने दोबारा से जांच करवाई तो वह पॉजिटिव थी. इस दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया, हमने डॉक्टर की पूरी सलाह मानी और मैंने यह ठान लिया था कि मेरे शरीर में जो यह एक अनचाहा मेहमान आया है इसे भगाना ही है और इसी बात के कारण में ठीक हो पाई हूं.'

असंतुलित लाइफ स्टाइल और जागरुकता की कमी कैंसर का बड़ा कारण

भारत में जागरुकता की कमी और असंतुलित लाइफ स्टाइल के कारण कैंसर के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लोग अपना ख्याल कैसे रखें इस बारे में ललिता कहती है कि सबको इस बारे में जागरुक होना जरूरी है और सबसे ज्यादा जरूरी है एक हेल्दी लाइफस्टाइल और स्वस्थ खान-पान को अपनाना. सभी को एक अच्छी दिनचर्या का पालन करना ही चाहिए खुद को स्वस्थ रखने के लिए. अगर वे फिट रहेंगे तभी आप अपने परिवार का भी ध्यान रख पाएंगे.

बता दें, कि भारत में कैंसर से लड़ने और लोगों में इसे लेकर जागरुकता लाने के लिए हर साल राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस मनाया जाता है, ताकि देश में बढ़ रहे कैंसर के रेट को कम किया जा सके और लोग इसके बारे में जागरुक हो सकें ताकि समय रहते उन्हें समुचित इलाज मिल सके.

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले दिनों 11 लाख से ज्यादा कैंसर के नए मामले सामने आए हैं. 22 लाख से ज्यादा लोग पिछले पांच साल से कैंसर से जूझ रहे हैं. भारत में कैंसर को लेकर ये सबसे ताजा आंकड़ें हैं. भारत की 135 करोड़ की आबादी के लिए कैंसर जानलेवा साबित होती जा रही है. हर साल मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.

भारत में अब तक कैंसर के आंकड़े

  • कैंसर से पीड़ित की अनुमानित संख्या: 25 लाख (लगभग)
  • प्रतिवर्ष कैंसर के नए मरीज: 7 लाख से अधिक
  • कैंसर संबंधित मृत्यु संख्या: 5,56,400

कैंसर को लेकर सामने आए कुछ जरुरी आंकडे़

  • भारत में बच्चेदानी के मुख के कैंसर की वजह से हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु होती है.
  • भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित हर दो महिलाओं में से एक महिला की मौत हो जाती है.
  • तंबाकू जनित रोगों के कारण प्रतिदिन तकरीबन 3,500 व्यक्तियों की मौत हो जाती है.
  • पांच पुरुषों में से एक मृत्यु और महिलाओं में 20 में से एक मृत्यु धूम्रपान के कारण होती है.
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