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जलजला ला सकते हैं जलाशय: प्रदेश के 62 बांध उम्रदराज, निरीक्षण में हो रही लापरवाही, बढ़ा रही है बर्बादी का खतरा - सीएजी रिपोर्ट में खुलासा 50 साल पुराने हैं ज्यादातर बांध

नदियों पर बने पुराने बांध प्रदेश की बड़ी आबादी के लिए खतरा पैदा (dam need maintenance) कर सकते हैं. हाल ही में पुराने बांधों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजिंग वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट में भी 50 साल पुराने (50 dam complete there life) बाधों को लेकर खतरा जताया गया है.

cm shivraj
सीएम शिवराज
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Published : Feb 17, 2022, 10:29 PM IST

भोपाल। नदियों पर बने पुराने बांध प्रदेश की बड़ी आबादी के लिए खतरा पैदा (dam need maintenance) कर सकते हैं. हाल ही में पुराने बांधों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजिंग वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट में भी 50 साल पुराने (50 dam complete there life) बाधों को लेकर खतरा जताया गया है. मध्यप्रदेश के लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश में 906 बड़े बांध हैं, इसमें से 28 बांध 50 साल से ज्यादा की उम्र पूरी कर चुके हैं, जबकि प्रदेश में 62 बांध ऐसे भी हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. दूसरी तरफ बांधों के रखरखाव को लेकर कैग भी सवाल उठा चुका है. ऐसे देखरेख और रखरखाव में लापरवाही से बूढ़े हो चुके ये बांध आसपास रहने वाली एक बड़ी जनसंख्या के लिए यह मुसीबत बन सकते हैं.

28 बांधों की उम्र 50 से ज्यादा
मध्यप्रदेश में पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाए गए बांधों की संख्या करीबन 4523 बांध हैं. इनमें से 906 बांध बड़े हैं. इनमें से 100 बांध ऐसे हैं, जो 25 साल पुराने जबकि 50 साल उम्र पूरे कर चुके बांधों की संख्या करीबन 28 है. प्रदेश में 62 बांध ऐसे हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. इन उम्रदराज बांधों की लिस्ट में सबसे ऊपर ग्वालियर जिले का टेकनपुर बांध है, जो 127 साल पुराना है. इसकी ऊंचाई 16.47 मीटर है. इसे 1895 में बनाया गया था

यह है प्रदेश के सबसे पुराने बांध

बांधवर्ष
टेकनपुर, डबरा 1895
सारा, मुडवारा1896
जवाहरगढ़, सबलगढ़ 1899
खानपुरा, चाचैडा 1907
दिनारा, करैरा 1907
बीरपुर, विजयपुर 1908
अंतलवास, खाचरौद 1908
बेलगांव, बैहर 1909
वासिनखर, बैहर 1909
लोकपाल सागर, पन्ना 1909
कमेरा, सबलगढ़ 1910
कोटा, जौरा 1910
तिघरा डेम, ग्वालियर 1917
हरसी, करैरा 1917

बांध पुराने, मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं, लापरवाही की हद
इतने पुराने डेम होने के बाद भी इनके नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस को लेकर लापरवाही सामने आती रही है. सीएजी की रिपोर्ट में भी इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 906 बड़े और 3617 छोटे बांध को मिलाकर 4523 बांध हैं, लेकिन स्टेट डेम सेफ्टी आर्गेनाइजेशन द्वारा सिर्फ अब तक सिर्फ 510 बांधों का ही इंस्पेक्शन किया गया है.

ज्यादा बारिश से बढ़ जाती है चिंता
विशेषज्ञों की मानें तो मध्यप्रदेश में ज्यादातर बड़े बांध आजादी के बाद ही बने हैं. बड़े बांधों की लाइफ 100 साल की होती है, लेकिन जिस तरह से बारिश का पैटर्न बदला है, उससे बांधों पर दवाब बढ़ा है. जल संसाधन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी और डेम सेफ्टी माॅनीटरिंग के चेयरमेन एसके खरे के मुताबिक बांधों का निर्माण ही अगले 100 सालों के हिसाब से किया जाता है. अधिकांश बांध इससे भी लंबे समय तक चलते हैं, लेकिन बारिश का बदला पैटर्न चिंता बढ़ा रहा है.

इसका उदाहरण पिछले सालों में ग्वालियर चंबल संभाग में हुई भारी बारिश है और उसके पहले होशंगाबाद संभाग में भी इसी तरह का हालात बन चुके हैं, हालांकि इसको लेकर फ्लड माॅनिटरिंग सिस्टम को विकसित किया गया है. साथ ही डेम के मेंटेनेंस के लिए पूर्व में 549 करोड़ रुपए एप्रूव किए गए थे, जिसके दूसरे चरण का काम किया जा रहा है. रिटायर्ड चीफ इंजीनियर कमलेश खरे के मुताबिक बांधों को इनकी नियमित निरीक्षण और मरम्मत की बेहद जरूरत है, क्योंकि साल दर साल यह कमजोर होते जाते हैं.


सीएजी ने भी जताई थी आपत्ति
मध्यप्रदेश के कई बांधों की उम्र और मेंटेनेंस को लेकर कैग भी अपनी रिपोर्ट में चिंता जता चुका है. कैग की रिपोर्ट में मंदसौर जिले में चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. 1960 में बने गांधी सागर राष्ट्रीय महत्व के पांच जलाशयों में से एक है. 23 दिसंबर 2021 को जारी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट में गांधी सागर बांध को तत्काल मरम्मत की जरूरत बताई गई है.

12 साल से धूल खा रही हैं सिफारिशें

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक बांध की मरम्मत और सुधार को लेकर बांध सुरक्षा निरीक्षण पैनल यानी डीएसआईपी और केन्द्रीय जल आयोग की सिफारिशें पिछले 12 साल से मध्यप्रदेश, राजस्थान और भारत सरकार के विभागों में धूल खा रही हैं. गांधी सागर बांध दो बार टूटने की कगार पर आ चुका है. 2019 में इस बांध के 2.06 मीटर ऊपर तक पानी बह रहा था. यदि बांध को नुकसान पहुंचा तो मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना, भिंड और राजस्थान के काटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर में बड़े पैमाने पर तबाही होगी.
- सीएजी ने रिपोर्ट में कहा कि गांधी सागर बांध संभाग के अंतर्गत छोटा बांध मंदसौर जून 2018 में टूट गया, जिसका पिछले तीन सालों से कोई निरीक्षण नहीं किया गया था।
- सीएजी के रिपोर्ट ने आपत्ति जताई कि प्रदेश के 150 बड़े बांधों और 351 छोटे बांधों में पिछले तीन सालों के दौरान कोई समीक्षा भी नहीं की गई है.

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मंत्री बोले लगातार कराया जा रहा निरीक्षण
इस मामले में जब जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से बात की गई तो उनका कहना है कि बांधों का लगातार निरीक्षण कराया जाता है. कैग की रिपोर्ट के बाद बांधों की वस्तुस्थिति का आंकलन करने के लिए तकनीकी टीम भेजने के निर्देश दिए गए थे, जहां भी कमियां नजर आएंगे उन्हें दुरूस्त किया जाएगा.

भोपाल। नदियों पर बने पुराने बांध प्रदेश की बड़ी आबादी के लिए खतरा पैदा (dam need maintenance) कर सकते हैं. हाल ही में पुराने बांधों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजिंग वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट में भी 50 साल पुराने (50 dam complete there life) बाधों को लेकर खतरा जताया गया है. मध्यप्रदेश के लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश में 906 बड़े बांध हैं, इसमें से 28 बांध 50 साल से ज्यादा की उम्र पूरी कर चुके हैं, जबकि प्रदेश में 62 बांध ऐसे भी हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. दूसरी तरफ बांधों के रखरखाव को लेकर कैग भी सवाल उठा चुका है. ऐसे देखरेख और रखरखाव में लापरवाही से बूढ़े हो चुके ये बांध आसपास रहने वाली एक बड़ी जनसंख्या के लिए यह मुसीबत बन सकते हैं.

28 बांधों की उम्र 50 से ज्यादा
मध्यप्रदेश में पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाए गए बांधों की संख्या करीबन 4523 बांध हैं. इनमें से 906 बांध बड़े हैं. इनमें से 100 बांध ऐसे हैं, जो 25 साल पुराने जबकि 50 साल उम्र पूरे कर चुके बांधों की संख्या करीबन 28 है. प्रदेश में 62 बांध ऐसे हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. इन उम्रदराज बांधों की लिस्ट में सबसे ऊपर ग्वालियर जिले का टेकनपुर बांध है, जो 127 साल पुराना है. इसकी ऊंचाई 16.47 मीटर है. इसे 1895 में बनाया गया था

यह है प्रदेश के सबसे पुराने बांध

बांधवर्ष
टेकनपुर, डबरा 1895
सारा, मुडवारा1896
जवाहरगढ़, सबलगढ़ 1899
खानपुरा, चाचैडा 1907
दिनारा, करैरा 1907
बीरपुर, विजयपुर 1908
अंतलवास, खाचरौद 1908
बेलगांव, बैहर 1909
वासिनखर, बैहर 1909
लोकपाल सागर, पन्ना 1909
कमेरा, सबलगढ़ 1910
कोटा, जौरा 1910
तिघरा डेम, ग्वालियर 1917
हरसी, करैरा 1917

बांध पुराने, मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं, लापरवाही की हद
इतने पुराने डेम होने के बाद भी इनके नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस को लेकर लापरवाही सामने आती रही है. सीएजी की रिपोर्ट में भी इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 906 बड़े और 3617 छोटे बांध को मिलाकर 4523 बांध हैं, लेकिन स्टेट डेम सेफ्टी आर्गेनाइजेशन द्वारा सिर्फ अब तक सिर्फ 510 बांधों का ही इंस्पेक्शन किया गया है.

ज्यादा बारिश से बढ़ जाती है चिंता
विशेषज्ञों की मानें तो मध्यप्रदेश में ज्यादातर बड़े बांध आजादी के बाद ही बने हैं. बड़े बांधों की लाइफ 100 साल की होती है, लेकिन जिस तरह से बारिश का पैटर्न बदला है, उससे बांधों पर दवाब बढ़ा है. जल संसाधन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी और डेम सेफ्टी माॅनीटरिंग के चेयरमेन एसके खरे के मुताबिक बांधों का निर्माण ही अगले 100 सालों के हिसाब से किया जाता है. अधिकांश बांध इससे भी लंबे समय तक चलते हैं, लेकिन बारिश का बदला पैटर्न चिंता बढ़ा रहा है.

इसका उदाहरण पिछले सालों में ग्वालियर चंबल संभाग में हुई भारी बारिश है और उसके पहले होशंगाबाद संभाग में भी इसी तरह का हालात बन चुके हैं, हालांकि इसको लेकर फ्लड माॅनिटरिंग सिस्टम को विकसित किया गया है. साथ ही डेम के मेंटेनेंस के लिए पूर्व में 549 करोड़ रुपए एप्रूव किए गए थे, जिसके दूसरे चरण का काम किया जा रहा है. रिटायर्ड चीफ इंजीनियर कमलेश खरे के मुताबिक बांधों को इनकी नियमित निरीक्षण और मरम्मत की बेहद जरूरत है, क्योंकि साल दर साल यह कमजोर होते जाते हैं.


सीएजी ने भी जताई थी आपत्ति
मध्यप्रदेश के कई बांधों की उम्र और मेंटेनेंस को लेकर कैग भी अपनी रिपोर्ट में चिंता जता चुका है. कैग की रिपोर्ट में मंदसौर जिले में चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. 1960 में बने गांधी सागर राष्ट्रीय महत्व के पांच जलाशयों में से एक है. 23 दिसंबर 2021 को जारी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट में गांधी सागर बांध को तत्काल मरम्मत की जरूरत बताई गई है.

12 साल से धूल खा रही हैं सिफारिशें

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक बांध की मरम्मत और सुधार को लेकर बांध सुरक्षा निरीक्षण पैनल यानी डीएसआईपी और केन्द्रीय जल आयोग की सिफारिशें पिछले 12 साल से मध्यप्रदेश, राजस्थान और भारत सरकार के विभागों में धूल खा रही हैं. गांधी सागर बांध दो बार टूटने की कगार पर आ चुका है. 2019 में इस बांध के 2.06 मीटर ऊपर तक पानी बह रहा था. यदि बांध को नुकसान पहुंचा तो मध्यप्रदेश के श्योपुर, मुरैना, भिंड और राजस्थान के काटा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर में बड़े पैमाने पर तबाही होगी.
- सीएजी ने रिपोर्ट में कहा कि गांधी सागर बांध संभाग के अंतर्गत छोटा बांध मंदसौर जून 2018 में टूट गया, जिसका पिछले तीन सालों से कोई निरीक्षण नहीं किया गया था।
- सीएजी के रिपोर्ट ने आपत्ति जताई कि प्रदेश के 150 बड़े बांधों और 351 छोटे बांधों में पिछले तीन सालों के दौरान कोई समीक्षा भी नहीं की गई है.

गूगल ने अमन को बनाया करोड़पति, 300 गलती ढूंढने पर मिले 66 करोड़ रुपये

मंत्री बोले लगातार कराया जा रहा निरीक्षण
इस मामले में जब जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से बात की गई तो उनका कहना है कि बांधों का लगातार निरीक्षण कराया जाता है. कैग की रिपोर्ट के बाद बांधों की वस्तुस्थिति का आंकलन करने के लिए तकनीकी टीम भेजने के निर्देश दिए गए थे, जहां भी कमियां नजर आएंगे उन्हें दुरूस्त किया जाएगा.

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