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निर्माण क्षेत्र के मजूदरों पर रोटी का संकट, हर दिन नई परेशानियों से हो रहे रूबरू - Construction sector

राजधानी भोपाल में चल रहे कंस्ट्रक्शन जैसी गतिविधियों पर भी लॉकडाउन लग गया है. ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित वह मजदूर हो रहे हैं जो निर्माण क्षेत्र में काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब उन पर रोटी का संकट मंडराने लगा है.

Bread crisis on the existence of construction sector
निर्माण क्षेत्र के मजूदरों पर रोटी का संकट
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Published : Apr 25, 2020, 11:28 PM IST

भोपाल। लॉकडाउन के कारण देशभर में कंस्ट्रक्शन सहित सारे उद्योग धंधे ठर पड़े हैं. लॉकडाउन में निर्माण काम में लगे मजदूर भी लॉकडाउन हो गए हैं. ऐसे में मजदूरों के लिए रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. क्योंकि यह मजदूर रोज काम करते हैं. लेकिन अब इन्हें रोठी तक नसीब नहीं हो रही है.

निर्माण क्षेत्र के मजूदरों पर रोटी का संकट

मजदूरों का कहना है कि इस संकट में उन्हें अपना गुजारा करना बहुत मुश्किल नजर आ रहा है. कभी नगर निगम से सहायता मिल जाती है तो कभी कुछ समाजसेवी उनके भोजन का प्रबंध कर देते हैं. लेकिन मजदूरों का कहना है कि आखिर कब तक हम ऐसे जीवन जीते रहेंगे. हालांकि सरकार की तरफ से समय-समय पर उन्हें सहायता मिलती है लेकिन सरकार की वो राहत उनकी रोजी रोटी के लिए उतनी संपूर्ण नहीं है जितनी कि वह अपने मेहनत से अपनी रोटी कमा लेते थे.

बता दें राजधानी भोपाल में हजारों मजदूर काम करते हैं. ये मजदूर शहर की बड़ी-बड़ी इमारतों में काम कर अपना गुजारा चलाते हैं. लेकिन एक महीने से लॉकडाउन के कारण कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बंद हो गई हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं मजदूरों के हाथों में भी मानो ताला लग गया हो. लेकिन फिर भी उनके हौसले नहीं हारे हैं वह मुश्किल की घड़ी में सरकार के साथ हैं.

भोपाल। लॉकडाउन के कारण देशभर में कंस्ट्रक्शन सहित सारे उद्योग धंधे ठर पड़े हैं. लॉकडाउन में निर्माण काम में लगे मजदूर भी लॉकडाउन हो गए हैं. ऐसे में मजदूरों के लिए रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. क्योंकि यह मजदूर रोज काम करते हैं. लेकिन अब इन्हें रोठी तक नसीब नहीं हो रही है.

निर्माण क्षेत्र के मजूदरों पर रोटी का संकट

मजदूरों का कहना है कि इस संकट में उन्हें अपना गुजारा करना बहुत मुश्किल नजर आ रहा है. कभी नगर निगम से सहायता मिल जाती है तो कभी कुछ समाजसेवी उनके भोजन का प्रबंध कर देते हैं. लेकिन मजदूरों का कहना है कि आखिर कब तक हम ऐसे जीवन जीते रहेंगे. हालांकि सरकार की तरफ से समय-समय पर उन्हें सहायता मिलती है लेकिन सरकार की वो राहत उनकी रोजी रोटी के लिए उतनी संपूर्ण नहीं है जितनी कि वह अपने मेहनत से अपनी रोटी कमा लेते थे.

बता दें राजधानी भोपाल में हजारों मजदूर काम करते हैं. ये मजदूर शहर की बड़ी-बड़ी इमारतों में काम कर अपना गुजारा चलाते हैं. लेकिन एक महीने से लॉकडाउन के कारण कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बंद हो गई हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं मजदूरों के हाथों में भी मानो ताला लग गया हो. लेकिन फिर भी उनके हौसले नहीं हारे हैं वह मुश्किल की घड़ी में सरकार के साथ हैं.

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