भोपाल। कोरोना वायरस की दूसरी लहर सुनामी के तरह बढ़ती जा रही है. आलम ये है कि हर राज्य से मौतें और रिकॉर्ड संक्रमितों की खबरे सामने आ रही हैं. ऐसे में जो थोड़े बहुत मरीज कोरोना को मात देकर ठीक हो रहे हैं, उनके लिए म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस अभिशाप बनकर सामने आया है. ब्लैक फंगस के मामले मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में भी दस्तक दे चुके हैं, जोकि सरकार के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन गया है.
आंखों की रोशनी पर ब्लैक फंगस का साया
दरअसल, संक्रमितों के कोरोना की दवाओं के साइड इफेक्ट के तौर पर दिखाई देने वाली भीषण बीमारियों के क्रम में अब कई मरीजों को अपनी आंखों की रोशनी भी गंवानी पड़ रही है. यह ब्लैक फंगस के कारण हो रहा है, जो कोरोना मरीजों को स्टेरॉयड और टोसिलिजुमैब इंजेक्शन के कारण मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है. इस फंगस के कारण अलग-अलग राज्यों के कई लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है. ब्लैक फंगस के मामले मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में भी दस्तक दे चुके हैं, जोकि सरकार के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन गए हैं.
इंदौर-भोपाल में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीज
दरअसल, इंदौर में ऐसे करीब 11 मरीज भर्ती हैं जिन्हें यह संक्रमण हो चुका है. इनमें से 4 मरीजों को बचाने के लिए उनका ऑपरेशन होना है और आंखें निकालने की भी तैयारी की गई है. ब्लैक फंगस के शिकार 2 मरीज एमवाई अस्पताल में और 2 अन्य निजी चिकित्सालय में भर्ती हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्वेता वालिया के मुताबिक एमवाई अस्पताल में पिछले एक महीने में 35 से ज्यादा ऐसे मरीज सामने आ चुके हैं जिनमें इस इंफेक्शन के लक्षण मिले. जबकि भोपाल में करीब 10 दिनों में अलग-अलग हॉस्पिटल्स में लगभग 50 मरीज मिले है जिनमें ये इंफेक्शन मिला है. उन पर लगातार स्वास्थ्य विभाग नजर बनाए है. सभी का इलाज चल रहा है.
एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान नेे इसे लेकर गंभीरता बरतने को कहा है.
मैने डॉक्टर्स से ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर चर्चा की है, और हम लगातार ICMR के संपर्क में हैं. भारत सरकार से भी बात हो रही है. मध्य प्रदेश में हमारी टीम अध्ययन कर रही है. जो भी इलाज होगा हम लोगों को उपलब्ध कराएंगे. इसे लेकर सभी का हमे सुझाव चाहिए. मिलकर लड़ेंगे, कोरोना से जीतेंगे, सबके सहयोग से जीतेंगे - शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, एमपी.
फंगस की चपेट में देश की राजधानी दिल्ली
कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच 'ब्लैक फंगस' का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में भी इस बीमारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि ये बीमारी सीधी आंखों की रोशनी पर असर डालती है. कोरोना संक्रमण से मरीज ठीक भी हो जाए, लेकिन ब्लैक फंगस का सही समय पर इलाज न होने से मरीज की मौत तक हो जाती है.
महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से 8 लोगों की मौत
महाराष्ट्र में भी म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. यहां फंगस की चपेट में आने से कम से कम आठ लोग दम तोड़ चुके हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि ये मरीज कोरोना संक्रमण से पुरी तरह से स्वस्थ हो चुके थे. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 200 फंगल इन्फेक्टेड मरीजों का उपचार चल रहा है. चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख डॉक्टर तात्याराव लहाने की मानें तो म्यूकोरमाइकोसिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
गुजरात में तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले
गुजरात में भी कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. फंगस की वजह से लोगों की आंखों की रोशनी गंवाने के मामलों में यहां भी लगातारा बढ़ोतरी देखी जा रही है. बता दें कि यहा ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार सूरत और गुजरात के अन्य इलाकों से ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण पाया जा रहा है. गुजराज में फंगल के शिकार 7 मरीज अपनी आंख की रोशनी गंवा चुके हैं. बता दें कि यहां 60 अन्य मरीज अभी इलाज का इंतजार कर रहे हैं.
खतरा तो नहीं बन रही दवा?
बता दें कि कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरॉयड और टॉसिलिजूमैब इंजेक्शन दिए जाते हैं. मरीजों का शुगर लेवल 300 से 400 तक पहुंच जाता है. यह स्थिति पहले से डायबिटीज की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसी स्थिति में वह इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.
सावधान! इंदौर में ब्लैक फंगस की दस्तक, कई लोगों ने गंवाई आंखों की रोशनी
ब्लैक फंगल की पहचान इन लक्षणों से होती है
यदि किसी मरीज को हाल ही में कोरोना वायरस हुआ है. उसे यदि आंख के नीचे दर्द व सूजन दिखती है, तो यह संक्रमण का संकेत है. यह संक्रमण तेजी से फैलता है इसलिए आंख के मूवमेंट में भी फर्क पड़ता है. नाक भी बंद हाेने लगती है, मानों साइसन की समस्या हो, नाक के नजदीक भी सूजन आने लगती है. मसूड़ाें में सूजन आ जाती है, यहां तक की उनमें पस तक पड़ने लगता है. मसूड़ों पर इसके प्रभाव से दांत भी कमजोर हाे जाते हैं, तालू की हड्डी काली पड़ने लगती है. दरअसल कोरोना मरीज की इम्यूनिटी कम होती है. इसलिए यह संक्रमण मरीज को आसानी से अपनी सेकंड स्टेज में ले आता है. आंख को डैमेज करने के बाद यह मस्तिष्क को भी डैमेज कर देता है, जिसके कारण मरीज की जान खतरे में जाती है.
स्टोरॉयड देने के लिए प्रोटोकॉल बनेगा
फिलहाल, डॉक्टर मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए अनियंत्रित तौर पर स्टोरॉयड के इंजेक्शन दे रहे हैं. मरीज के शरीर में स्टोरॉयड की मात्रा बढ़ने से फंगल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. अब जबकि यह बीमारी घातक तौर पर फैल रही है, तो मरीजों को स्टोरॉयड कितना दिया जाए, इसे लेकर भी अब प्रोटोकॉल बनने जा रहा है. ऐसे में आज इंदौर में इसे लेकर एक बैठक होने जा रही है, जिसमें शहर के तमाम नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रोटोकॉल के मापदंड तय करेंगे.