भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की सुगबुहाट के बीच बीजेपी आदिवासियों को लुभाने के लिए रामलीला कराने जा रही है. आदिवासियों में गहरी पैठ बनाने के लिए बीजेपी आदिवासी बाहुल्य इलाकों में रामलीला कराएगी. लेकिन बीजेपी की कोशिशों को कांग्रेस ने तगड़ा झटका देते हुए कह दिया कि आदिवासी राम को नहीं बल्कि प्रकृति को मानते हैं. अगर बीजेपी को कुछ करना है तो उनको हक दिलाने की बात करें.
बीजेपी राम का नाम जपकर सत्ता में आई और अब फिर राम का नाम उसे आदिवासियों में फिर पैठ कराएगा. यही वजह है कि भगवान राम की रामलीलाओं का मंचन आदिवासी इलाकों में कराया जाएगा. रामलीला के आयोजनो में खास बात ये होगी कि रामलीला के कलाकार भी आदिवासी होगें और रामलीला उनकी बोली में कराने की तैयारी में जुट गई है, लेकिन पार्टी के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए कांग्रेस ने उनके आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार को मैदान में उतार दिया है.
उमंग सिंघार ने रामलीला के मंचन पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी आदिवासियो को भ्रमित कर रही है. आदिवासी तो कभी भगवान राम को मानते ही नहीं बल्कि आदिवासी को प्रकृति की पूजन करता है. कांग्रेस भी इसका समर्थन करती है.
मामला आदिवासियों से जुड़ा है और आदिवासी नेता के बयान पर सवाल उठाते हुए बीजेपी भगवान राम और उनका आदिवासियों के साथ के किस्से बताते हुए कह रही है कि उमंग सिंघार आदिवासियों को भ्रमित कर रहे हैं. उमंग सर्टिफिकेट देने वाले कौन होते हैं.
आदिवासी क्षेत्रों को राम से जोड़ने की पहल, होगा रामलील का आयोजन
आईए अब आपको बताते है कि आखिर आदिवासियों को अपना बनाने की होड़ बीजेपी और कांग्रेस में क्यों मची है.
प्रदेश में आदिवासियों के लिए किसने क्या किया
'ये रामलीला नहीं, BJP की वोटलीला है'
वहीं संघ भी धर्म परिवर्तन के खिलाफ लगातार वन ग्रामों और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जनजागरुक अभियान चला रहा है. संघ आदिवासियों को बता रहा है कि वे हिंदू हैं. कांग्रेस कार्यकाल में आदिवासियों को फार्म दिए गए उनमें गैर हिंदू कालम दिया गया. जिसे लेकर बवाल मचा. संघ और बीजेपी ने इसके लिए लगातार आवाज उठाई.