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भाजपा शासित राज्य में गाय के नाम पर एक साल में मिला मात्र 1.50 लाख रुपये का चंदा

भाजपा सरकार गो-संरक्षण को लेकर हमेशा पहल करती आई है और अब जब पार्टी सत्ता में है तो भाजपा मुखर होकर गो-संरक्षण के लिए अपनी आवाज उठा रही है. इसके बावजूद भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में गो संरक्षण के लिए लोग दान देने आगे नहीं आ रहे हैं. राज्य सरकार पिछले एक साल में मात्र 1.50 लाख रुपये ही जुटा पायी है. गोदान के लिए इतनी मुखर पहल और इतनी बुलंद आवाज के बावजूद चंदा न जुटा पाना अपने आप में शर्मनाक बात है.

cow donation
गो दान
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Published : May 31, 2021, 10:52 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में गाय के नाम पर राजनीति जमकर हुई. कांग्रेस और बीजेपी ने गो-संरक्षण के लिए हर साल एक एक हजार गोशाला बनाने की कदम उठाए. इसके बाद भी आम लोग गो-संरक्षण के नाम पर दान देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. यहां तक कि इसके लिए राज्य सरकार ने गो-संरक्षण के दान के लिए इनकम टैक्स में छूट का भी प्रावधान किया. इसके बाद भी पिछले एक साल में मुश्किल से एक लाख का दान ही मिल पाया है. दान में प्राप्त राशि इतनी कम है कि 100 गायों को एक माह तक चारा भी नहीं खिलाया जा सकता. उधर, अधिकारियों के मुताबिक इस को लेकर पूर्व में पर्याप्त प्रचार भी किया गया, लेकिन लोग इसके लिए आगे नहीं आए.

प्रचार के बावजूद नहीं मिल रहा गो सवंर्धन के लिए दान.

पिछले एक साल में मिला 1.60 लाख का दान
प्रदेश में गोशालाओं के संचालन के लिए गोपालन और पशुधन संवर्धन बोर्ड ने इन लोगों को दान के लिए प्रेरित करने आयकर में छूट का प्रावधान किया था. कुछ में यदि कोई व्यक्ति गोशालाओं के लिए दान करता है, तो उसे आयकर में लाभ मिलता. बोर्ड ने दान के लिए अलग-अलग 6 कैटेगरी बनाई हैं. इसके तहत दानदाता गोशाला के लिए बोरवेल बायोगैस बैल दान चारा खिलाने और शेड निर्माण के लिए दान कर सकते थे. दान 1100 रुपये से 15 लाख रुपये तक का किया जा सकता था, लेकिन दानदाताओं ने अधिकतम 2100 रुपये तक की ही राशि दान की. इस तरह मुश्किल से पिछले एक साल में 1,06,467 रुपये का दान ही प्राप्त हो सका.

दान के लिए बनाई गई थी यह कैटेगरी

  • एक गोवंश को 15 दिन तक खिलाने के लिए 1100 रुपये जबकि एक माह तक खिलाने के लिए 2100 रुपये निर्धारित किए गए.
  • एक गाय को एक साल तक की खुराक के लिए 21,000 रुपये निर्धारित किए गए.
  • एक गोवंश के शेड के लिए 15000 रुपये की राशि निर्धारित की गई है.
  • 11 गोवंश के शेड के लिए 1.51 लाख रुपये और 51 गोवंश के शेड के लिए 7.50 लाख रुपये का दान निर्धारित किया गया.

अधिकारी बोले प्रचार के बाद भी आगे नहीं आए लोग
उधर, गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के डायरेक्टर आरके रोकड़े के मुताबिक लोगों को दान के लिए प्रोत्साहित करने पर्याप्त प्रचार-प्रसार भी किया गया, लेकिन इसके बाद भी लोग बड़ी संख्या में दान के लिए आगे नहीं आए. उम्मीद है कि भविष्य में लोग गो-संरक्षण के नाम पर दान करेंगे. उनके मुताबिक लोगों से दान के रूप में प्राप्त पूरी राशि सिर्फ गायों के लिए ही खर्च की जाती है.

एमपी में गौशालाएं सरकारी अनुदान से वंचित! गायों का भरण-पोषण करना हुआ मुश्किल

गौरतलब है कि आयकर के सेक्शन 80 (G) के तहत चैरिटेबल संस्थाओं को डोनेशन या दान देकर टैक्स कटौती का लाभ पाने का विकल्प मिलता है. कटौती का क्लेम पचास फीसदी तक हो सकता है. इस तरह यदि कोई व्यक्ति 1,00,000 रुपये का दान करता है तो उसे 50,000 रुपये की आयकर में छूट मिलेगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश में गाय के नाम पर राजनीति जमकर हुई. कांग्रेस और बीजेपी ने गो-संरक्षण के लिए हर साल एक एक हजार गोशाला बनाने की कदम उठाए. इसके बाद भी आम लोग गो-संरक्षण के नाम पर दान देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. यहां तक कि इसके लिए राज्य सरकार ने गो-संरक्षण के दान के लिए इनकम टैक्स में छूट का भी प्रावधान किया. इसके बाद भी पिछले एक साल में मुश्किल से एक लाख का दान ही मिल पाया है. दान में प्राप्त राशि इतनी कम है कि 100 गायों को एक माह तक चारा भी नहीं खिलाया जा सकता. उधर, अधिकारियों के मुताबिक इस को लेकर पूर्व में पर्याप्त प्रचार भी किया गया, लेकिन लोग इसके लिए आगे नहीं आए.

प्रचार के बावजूद नहीं मिल रहा गो सवंर्धन के लिए दान.

पिछले एक साल में मिला 1.60 लाख का दान
प्रदेश में गोशालाओं के संचालन के लिए गोपालन और पशुधन संवर्धन बोर्ड ने इन लोगों को दान के लिए प्रेरित करने आयकर में छूट का प्रावधान किया था. कुछ में यदि कोई व्यक्ति गोशालाओं के लिए दान करता है, तो उसे आयकर में लाभ मिलता. बोर्ड ने दान के लिए अलग-अलग 6 कैटेगरी बनाई हैं. इसके तहत दानदाता गोशाला के लिए बोरवेल बायोगैस बैल दान चारा खिलाने और शेड निर्माण के लिए दान कर सकते थे. दान 1100 रुपये से 15 लाख रुपये तक का किया जा सकता था, लेकिन दानदाताओं ने अधिकतम 2100 रुपये तक की ही राशि दान की. इस तरह मुश्किल से पिछले एक साल में 1,06,467 रुपये का दान ही प्राप्त हो सका.

दान के लिए बनाई गई थी यह कैटेगरी

  • एक गोवंश को 15 दिन तक खिलाने के लिए 1100 रुपये जबकि एक माह तक खिलाने के लिए 2100 रुपये निर्धारित किए गए.
  • एक गाय को एक साल तक की खुराक के लिए 21,000 रुपये निर्धारित किए गए.
  • एक गोवंश के शेड के लिए 15000 रुपये की राशि निर्धारित की गई है.
  • 11 गोवंश के शेड के लिए 1.51 लाख रुपये और 51 गोवंश के शेड के लिए 7.50 लाख रुपये का दान निर्धारित किया गया.

अधिकारी बोले प्रचार के बाद भी आगे नहीं आए लोग
उधर, गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के डायरेक्टर आरके रोकड़े के मुताबिक लोगों को दान के लिए प्रोत्साहित करने पर्याप्त प्रचार-प्रसार भी किया गया, लेकिन इसके बाद भी लोग बड़ी संख्या में दान के लिए आगे नहीं आए. उम्मीद है कि भविष्य में लोग गो-संरक्षण के नाम पर दान करेंगे. उनके मुताबिक लोगों से दान के रूप में प्राप्त पूरी राशि सिर्फ गायों के लिए ही खर्च की जाती है.

एमपी में गौशालाएं सरकारी अनुदान से वंचित! गायों का भरण-पोषण करना हुआ मुश्किल

गौरतलब है कि आयकर के सेक्शन 80 (G) के तहत चैरिटेबल संस्थाओं को डोनेशन या दान देकर टैक्स कटौती का लाभ पाने का विकल्प मिलता है. कटौती का क्लेम पचास फीसदी तक हो सकता है. इस तरह यदि कोई व्यक्ति 1,00,000 रुपये का दान करता है तो उसे 50,000 रुपये की आयकर में छूट मिलेगी.

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