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बीजेपी का मिशन लोटस-3 शुरू, इस बार पहुंचना नहीं रास्ता रोकना है लक्ष्य

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Published : Jun 3, 2020, 7:04 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 11:35 AM IST

मिशन लोटस टू की सफलता के बाद बीजेपी अब मिशन लोटस 3 पर काम कर रही है, जिसका लक्ष्य है कांग्रेस के चाणक्य को राज्यसभा पहुंचने से रोकना.

bjp mission lotus 3
बीजेपी का मिशन लोटस 3

भोपाल। बीजेपी ऑपरेशन लोटस टू की सफलता के बाद अब मिशन लोटस 3 पर काम कर रही है और बीजेपी का ये मिशन 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, एमपी में 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है और इन तीनों पर बीजेपी की नजर है. जिसमें खासतौर से बीजेपी दिग्विजय सिंह को राज्यसभा पहुंचने से रोकने के लिए इस मिशन पर काम कर रही है, जिसमें संघ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

बीजेपी का मिशन लोटस-3 शुरू

बीजेपी का मिशन लोटस 3

मध्यप्रदेश में 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी पूरी तरह तैयार है, जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में सियासत को ध्यान में रखकर बीजेपी मिशन लोटस थ्री पर काम कर रही है, जिसमें दिग्विजय सिंह को चुनावी अखाड़े में मात देना है. पिछले एक महीने के आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी के खाते में सिर्फ एक ही सीट आ सकती थी, लेकिन कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर परिस्थितियों को बदल दिया है, मौजूदा समय में बीजेपी 2 सीटें जीतने की स्थिति में है. फिलहाल बीजेपी के पास 107 वोट है, जबकि कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं और चार निर्दलीय के अलावा तीन अन्य विधायक राज्यसभा चुनाव में मतदान करेंगे, संख्या के हिसाब से एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 52 वोटों की आवश्यकता होगी. इस हिसाब से बीजेपी के पास 107 वोट है, जिसके जरिए वो 2 सीटों पर अपनी जीत निश्चित मान रही है.

दिग्विजय सिंह को रोकने के लिए बीजेपी ने झोंकी ताकत

इस बार बीजेपी एक बड़ा दांव खेलने जा रही है, जिसके जरिए वो अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी दिग्विजय सिंह को राज्यसभा पहुंचने से रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. सूत्रों के अनुसार इस समय बीजेपी और संघ के नेता फूल सिंह बरैया और उनके समर्थकों को ये जता रहे हैं कि कांग्रेस अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ काम करती है. जिसके पीछे सबसे बड़े उदाहरण के तौर पर प्रदेश की राजनीति की दो बड़ी घटनाओं के बारे में फूल सिंह बरैया को समझाया जा रहा है. जिसमें सबसे पहले 1980 की घटना जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तो वो सर्वाधिक समर्थन के बावजूद शिवभानु सिंह सोलंकी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे और कमलनाथ के मतों के साथ मिलाकर अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

क्या कामयाब होगा ये मिशन

दूसरी बड़ी घटना 1993 की है, जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही थी. तब जमुना देवी का एक बड़ा दावा पेश हुआ था, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिला और दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इन दो बड़ी घटनाओं को याद कराते हुए सबसे बड़ी नजीर पेश कर फूल सिंह बरैया को समझाया जा रहा है. साथ ही उनके प्रत्याशी बनने को लेकर भी ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें दूसरे स्थान पर लाया गया है क्योंकि पहले स्थान पर दिग्विजय सिंह हैं, जिन्हें कमलनाथ का साथ मिल रहा है, यदि दिग्विजय सिंह दूसरे नंबर पर आते हैं तो वो चुनाव हार जाएंगे और यदि फूल सिंह बरैया दूसरे नंबर पर रहेंगे तो वो भी चुनाव हार जाएंगे.

उपचुनाव पर पड़ेगा असर

खासतौर से अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से आने वाले विधायकों को बीजेपी समझाने का प्रयास कर रही है कि भले ही फूल सिंह बरैया का नाम दूसरे स्थान पर हो लेकिन उन्हें पहला वोट दें और यदि वो ऐसा करते हैं तो फूल सिंह बरैया चुनाव जीत सकते हैं, यदि बरैया को पहले स्थान पर वोट नहीं दिया तो वो चुनाव हार जाएंगे, बीजेपी यही बात कांग्रेस के अनुसूचित जाति जनजाति के विधायकों को समझाने का प्रयास कर रही है कि कांग्रेस हमेशा की तरह इस बार भी एससी-एसटी के खिलाफ है, उनका सिर्फ पक्षधर होने का दिखावा करती है. लिहाजा अगर बीजेपी ये समझाने में सफल होती है तो इस सफलता के साथ बीजेपी का मिशन लोटस थ्री भी कामयाब हो जाएगा. दिग्विजय सिंह को राज्यसभा से बाहर कर बीजेपी अपने इस मिशन में कामयाब हो जाएगी. जिसका फायदा उसे आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी होगा.
ये हैं दोनों पार्टी के उम्मीदवार

कमलनाथ सरकार बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बारे में यही कहा जाता था कि वो पीछे से सरकार चला रहे हैं, दिग्विजय सिंह बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती भी हैं. ऐसे में बीजेपी फूल सिंह बरैया के जरिए दिग्विजय सिंह को कमजोर करना चाहती है. जिसका फायदा उसे आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी होगा. अब देखना ये होगा कि बीजेपी अपने इस मिशन में कितनी कामयाब हो पाती है. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया उम्मीदवार हैं.

भोपाल। बीजेपी ऑपरेशन लोटस टू की सफलता के बाद अब मिशन लोटस 3 पर काम कर रही है और बीजेपी का ये मिशन 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, एमपी में 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है और इन तीनों पर बीजेपी की नजर है. जिसमें खासतौर से बीजेपी दिग्विजय सिंह को राज्यसभा पहुंचने से रोकने के लिए इस मिशन पर काम कर रही है, जिसमें संघ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

बीजेपी का मिशन लोटस-3 शुरू

बीजेपी का मिशन लोटस 3

मध्यप्रदेश में 19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी पूरी तरह तैयार है, जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में सियासत को ध्यान में रखकर बीजेपी मिशन लोटस थ्री पर काम कर रही है, जिसमें दिग्विजय सिंह को चुनावी अखाड़े में मात देना है. पिछले एक महीने के आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी के खाते में सिर्फ एक ही सीट आ सकती थी, लेकिन कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर परिस्थितियों को बदल दिया है, मौजूदा समय में बीजेपी 2 सीटें जीतने की स्थिति में है. फिलहाल बीजेपी के पास 107 वोट है, जबकि कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं और चार निर्दलीय के अलावा तीन अन्य विधायक राज्यसभा चुनाव में मतदान करेंगे, संख्या के हिसाब से एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 52 वोटों की आवश्यकता होगी. इस हिसाब से बीजेपी के पास 107 वोट है, जिसके जरिए वो 2 सीटों पर अपनी जीत निश्चित मान रही है.

दिग्विजय सिंह को रोकने के लिए बीजेपी ने झोंकी ताकत

इस बार बीजेपी एक बड़ा दांव खेलने जा रही है, जिसके जरिए वो अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी दिग्विजय सिंह को राज्यसभा पहुंचने से रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. सूत्रों के अनुसार इस समय बीजेपी और संघ के नेता फूल सिंह बरैया और उनके समर्थकों को ये जता रहे हैं कि कांग्रेस अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ काम करती है. जिसके पीछे सबसे बड़े उदाहरण के तौर पर प्रदेश की राजनीति की दो बड़ी घटनाओं के बारे में फूल सिंह बरैया को समझाया जा रहा है. जिसमें सबसे पहले 1980 की घटना जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तो वो सर्वाधिक समर्थन के बावजूद शिवभानु सिंह सोलंकी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे और कमलनाथ के मतों के साथ मिलाकर अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

क्या कामयाब होगा ये मिशन

दूसरी बड़ी घटना 1993 की है, जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही थी. तब जमुना देवी का एक बड़ा दावा पेश हुआ था, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिला और दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इन दो बड़ी घटनाओं को याद कराते हुए सबसे बड़ी नजीर पेश कर फूल सिंह बरैया को समझाया जा रहा है. साथ ही उनके प्रत्याशी बनने को लेकर भी ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि उन्हें दूसरे स्थान पर लाया गया है क्योंकि पहले स्थान पर दिग्विजय सिंह हैं, जिन्हें कमलनाथ का साथ मिल रहा है, यदि दिग्विजय सिंह दूसरे नंबर पर आते हैं तो वो चुनाव हार जाएंगे और यदि फूल सिंह बरैया दूसरे नंबर पर रहेंगे तो वो भी चुनाव हार जाएंगे.

उपचुनाव पर पड़ेगा असर

खासतौर से अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से आने वाले विधायकों को बीजेपी समझाने का प्रयास कर रही है कि भले ही फूल सिंह बरैया का नाम दूसरे स्थान पर हो लेकिन उन्हें पहला वोट दें और यदि वो ऐसा करते हैं तो फूल सिंह बरैया चुनाव जीत सकते हैं, यदि बरैया को पहले स्थान पर वोट नहीं दिया तो वो चुनाव हार जाएंगे, बीजेपी यही बात कांग्रेस के अनुसूचित जाति जनजाति के विधायकों को समझाने का प्रयास कर रही है कि कांग्रेस हमेशा की तरह इस बार भी एससी-एसटी के खिलाफ है, उनका सिर्फ पक्षधर होने का दिखावा करती है. लिहाजा अगर बीजेपी ये समझाने में सफल होती है तो इस सफलता के साथ बीजेपी का मिशन लोटस थ्री भी कामयाब हो जाएगा. दिग्विजय सिंह को राज्यसभा से बाहर कर बीजेपी अपने इस मिशन में कामयाब हो जाएगी. जिसका फायदा उसे आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी होगा.
ये हैं दोनों पार्टी के उम्मीदवार

कमलनाथ सरकार बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बारे में यही कहा जाता था कि वो पीछे से सरकार चला रहे हैं, दिग्विजय सिंह बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती भी हैं. ऐसे में बीजेपी फूल सिंह बरैया के जरिए दिग्विजय सिंह को कमजोर करना चाहती है. जिसका फायदा उसे आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी होगा. अब देखना ये होगा कि बीजेपी अपने इस मिशन में कितनी कामयाब हो पाती है. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया उम्मीदवार हैं.

Last Updated : Jun 4, 2020, 11:35 AM IST
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