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सूबे में जारी शिलान्यास की सियासत, लोकसभा चुनाव के लिए तो नहीं ये शह-मात का खेल? - सांसद

आम जनता की बात की जाए तो उसे नया विकास कार्य तो नजर नहीं आ रहा, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता के चहते नेताओं ने भूमिपूजन-लोकार्पण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बता दें कि एक सामान्य भूमिपूजन के कार्यक्रम में यदि स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री पहुंचते हैं तो 5 हजार से 12 हजार रुपए का खर्चा आता है, जबकि बड़े कार्यक्रमों में ये खर्च लाखों में भी पहुंच जाता है और ये पैसा जनता द्वारा दिए जाने वाले टैक्स का पैसा होता है.

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Published : Mar 6, 2019, 10:52 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों लोकार्पण को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. हर दिन लोकार्पण को लेकर प्रदेश में नया बवाल मच रहा है. श्रेय लेने की राजनीति में कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसके पीछे की वजह आगामी लोकसभा चुनाव हो सकते हैं क्योंकि चुनावों में इन्हीं कार्यों का बखान करते हुए नेता, जनता के बीच प्रचार करने जाते हैं.

लेकिन, प्रदेश में लोकार्पण और शिलान्यास की जो जंग अब चल रही है, उसकी नींव विधानसभा चुनाव से पहले ही रखी जा चुकी थी. दरअसल, हाल के ऐसे मामलों से कुछ पहले शिलान्यास की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा सामने आया था. ये मुद्दा था विधानसभा चुनाव से पहले सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र में शिवपुरी-देवास फोर-लेन राजमार्ग के उद्धाटन का.

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस कार्यक्रम के मुख्य अथिति थे, लेकिन सिंधिया को इस कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया. इसके बाद जब सिंधिया ने संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को अपनी गलती मानते हुए कांग्रेस सांसद सिंधिया से माफी मांगनी पड़ी थी. उस वक्त पड़ी शिलान्यास-लोकार्पण की सियासी जंग अब तक जारी है, जिसमें कई नए मामले जुड़ चुके हैं.

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मंत्री पीसी शर्मा v/s विधायक विश्वास सारंग

राजधानी भोपाल में बने स्वामी विवेकानंद थीम पार्क का उद्धाटन मंत्री पीसी शर्मा को करना था, लेकिन जैसे ही बीजेपी विधायक को इसकी भनक लगी तो उन्होंने 1 करोड़ 37 लाख की लागत से बने पार्क का एक दिन पहले ही लोकार्पण कर दिया. इसके बाद बीजेपी विधायक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई.

सांसद अनूप मिश्रा v/s सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया

5 मार्च को ग्वालियर के 1000 बिस्तरों वाले अस्पताल का शिलान्यास (भूमिपूजन) कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया, जिसको लेकर बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा ने अपने समर्थकों के साथ विरोध भी किया. इस दौरान प्रदर्शन नहीं रुकने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. बता दें कि साल 2009 में बतौर स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा इसी अस्पताल का शिलान्यास कर चुके हैं, लेकिन इसके 10 साल बाद भी अस्पताल आज तक नहीं बन पाया, जिसके बाद सांसद सिंधिया ने अस्पताल बनाने के लिए फिर से उद्धाटन किया है.

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कांग्रेस v/s बीजेपीः बुरहानपुर ऑडिटोरियम के लोकार्पण पर

बुरहानपुर में धारा 144 लगे होने के बावजूद ताला लगे ऑटोडोरियम भवन का बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने लोकार्पण कर दिया. हालांकि लोकार्पण को प्रशासन ने अवैध घोषित कर दिया है. बता दें कि यहां प्रभारी मंत्री को लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई थी. कांग्रेस का कहना है कि नियम के मुताबिक इस तरह के कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री को बुलाना अनिवार्य होता है.

नेता प्रतिपक्ष के पत्र ने विवाद को दिया नया मोड़

लोकार्पण और शिलान्यास विवादों के बीच 5 मार्च को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी बीजेपी जनप्रतिनिधियों को एक पत्र लिख दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी के सभी जनप्रतिनिधि अपने विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करें. अगर कोई रोके तो बीजेपी सड़कों पर प्रदर्शन करेगी. इसी मुद्दे पर कांग्रेस पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए बीजेपी के सभी महापौर, पूर्व सीएम शिवराज के साथ बैठक भी कर चुके हैं.

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लोकार्पण के दूसरे मामलों पर भी हुआ हंगामा

  • भोपालः 5 मार्च को बैरसिया रोड बस स्टैंड के विकास कार्यों का मंत्री आरिफ अकील ने भूमिपूजन किया. यहां भी बीजेपी नेताओं को नहीं बुलाने पर हंगामा हुआ.
  • 28 फरवरी को 2019 को भोपाल महापौर को मंगलवारा थाने के लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया.
  • भोपालः वॉर्ड के विकास कार्यों का विधायक रामेश्वर शर्मा और कांग्रेस पार्षद ने अलग-अलग भूमिपूजन किया.

एक नजरः इन मामलों से जनता को कितना नफा-नुकसान?
आम जनता की बात की जाए तो उसे नया विकास कार्य तो नजर नहीं आ रहा, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता के चहते नेताओं ने भूमिपूजन-लोकार्पण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बता दें कि एक सामान्य भूमिपूजन के कार्यक्रम में यदि स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री पहुंचते हैं तो 5 हजार से 12 हजार रुपए का खर्चा आता है, जबकि बड़े कार्यक्रमों में ये खर्च लाखों में भी पहुंच जाता है. इन कार्यक्रमों की हकीकत और इनसे आम लोगों को होने वाले लाभ को इसी से समझा जा सकता है कि जिस अस्पताल के भूमि पूजन पर बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा के समर्थक हंगामा मचा रहे हैं, उसका पिछला भूमि पूजन उन्होंने दस साल पहले 2009 में किया था, लेकिन इसका निर्माण अभी तक शुरु भी नहीं हुआ है.

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भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों लोकार्पण को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. हर दिन लोकार्पण को लेकर प्रदेश में नया बवाल मच रहा है. श्रेय लेने की राजनीति में कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसके पीछे की वजह आगामी लोकसभा चुनाव हो सकते हैं क्योंकि चुनावों में इन्हीं कार्यों का बखान करते हुए नेता, जनता के बीच प्रचार करने जाते हैं.

लेकिन, प्रदेश में लोकार्पण और शिलान्यास की जो जंग अब चल रही है, उसकी नींव विधानसभा चुनाव से पहले ही रखी जा चुकी थी. दरअसल, हाल के ऐसे मामलों से कुछ पहले शिलान्यास की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा सामने आया था. ये मुद्दा था विधानसभा चुनाव से पहले सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र में शिवपुरी-देवास फोर-लेन राजमार्ग के उद्धाटन का.

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस कार्यक्रम के मुख्य अथिति थे, लेकिन सिंधिया को इस कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया. इसके बाद जब सिंधिया ने संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को अपनी गलती मानते हुए कांग्रेस सांसद सिंधिया से माफी मांगनी पड़ी थी. उस वक्त पड़ी शिलान्यास-लोकार्पण की सियासी जंग अब तक जारी है, जिसमें कई नए मामले जुड़ चुके हैं.

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मंत्री पीसी शर्मा v/s विधायक विश्वास सारंग

राजधानी भोपाल में बने स्वामी विवेकानंद थीम पार्क का उद्धाटन मंत्री पीसी शर्मा को करना था, लेकिन जैसे ही बीजेपी विधायक को इसकी भनक लगी तो उन्होंने 1 करोड़ 37 लाख की लागत से बने पार्क का एक दिन पहले ही लोकार्पण कर दिया. इसके बाद बीजेपी विधायक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई.

सांसद अनूप मिश्रा v/s सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया

5 मार्च को ग्वालियर के 1000 बिस्तरों वाले अस्पताल का शिलान्यास (भूमिपूजन) कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया, जिसको लेकर बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा ने अपने समर्थकों के साथ विरोध भी किया. इस दौरान प्रदर्शन नहीं रुकने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. बता दें कि साल 2009 में बतौर स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा इसी अस्पताल का शिलान्यास कर चुके हैं, लेकिन इसके 10 साल बाद भी अस्पताल आज तक नहीं बन पाया, जिसके बाद सांसद सिंधिया ने अस्पताल बनाने के लिए फिर से उद्धाटन किया है.

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कांग्रेस v/s बीजेपीः बुरहानपुर ऑडिटोरियम के लोकार्पण पर

बुरहानपुर में धारा 144 लगे होने के बावजूद ताला लगे ऑटोडोरियम भवन का बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने लोकार्पण कर दिया. हालांकि लोकार्पण को प्रशासन ने अवैध घोषित कर दिया है. बता दें कि यहां प्रभारी मंत्री को लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई थी. कांग्रेस का कहना है कि नियम के मुताबिक इस तरह के कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री को बुलाना अनिवार्य होता है.

नेता प्रतिपक्ष के पत्र ने विवाद को दिया नया मोड़

लोकार्पण और शिलान्यास विवादों के बीच 5 मार्च को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी बीजेपी जनप्रतिनिधियों को एक पत्र लिख दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी के सभी जनप्रतिनिधि अपने विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करें. अगर कोई रोके तो बीजेपी सड़कों पर प्रदर्शन करेगी. इसी मुद्दे पर कांग्रेस पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए बीजेपी के सभी महापौर, पूर्व सीएम शिवराज के साथ बैठक भी कर चुके हैं.

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लोकार्पण के दूसरे मामलों पर भी हुआ हंगामा

  • भोपालः 5 मार्च को बैरसिया रोड बस स्टैंड के विकास कार्यों का मंत्री आरिफ अकील ने भूमिपूजन किया. यहां भी बीजेपी नेताओं को नहीं बुलाने पर हंगामा हुआ.
  • 28 फरवरी को 2019 को भोपाल महापौर को मंगलवारा थाने के लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया.
  • भोपालः वॉर्ड के विकास कार्यों का विधायक रामेश्वर शर्मा और कांग्रेस पार्षद ने अलग-अलग भूमिपूजन किया.

एक नजरः इन मामलों से जनता को कितना नफा-नुकसान?
आम जनता की बात की जाए तो उसे नया विकास कार्य तो नजर नहीं आ रहा, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता के चहते नेताओं ने भूमिपूजन-लोकार्पण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बता दें कि एक सामान्य भूमिपूजन के कार्यक्रम में यदि स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री पहुंचते हैं तो 5 हजार से 12 हजार रुपए का खर्चा आता है, जबकि बड़े कार्यक्रमों में ये खर्च लाखों में भी पहुंच जाता है. इन कार्यक्रमों की हकीकत और इनसे आम लोगों को होने वाले लाभ को इसी से समझा जा सकता है कि जिस अस्पताल के भूमि पूजन पर बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा के समर्थक हंगामा मचा रहे हैं, उसका पिछला भूमि पूजन उन्होंने दस साल पहले 2009 में किया था, लेकिन इसका निर्माण अभी तक शुरु भी नहीं हुआ है.

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सूबे में जारी शिलान्यास की सियासत, लोकसभा चुनाव के लिए तो नहीं ये शह-मात का खेल?





भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों लोकार्पण को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. हर दिन लोकार्पण को लेकर प्रदेश में नया बवाल मच रहा है. श्रेय लेने की राजनीति में कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसके पीछे की वजह आगामी लोकसभा चुनाव हो सकते हैं क्योंकि चुनावों में इन्हीं कार्यों का बखान करते हुए नेता, जनता के बीच प्रचार करने जाते हैं.



लेकिन, प्रदेश में लोकार्पण और शिलान्यास की जो जंग अब चल रही है, उसकी नींव विधानसभा चुनाव से पहले ही रखी जा चुकी थी. दरअसल, हाल के ऐसे मामलों से कुछ पहले शिलान्यास की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा सामने आया था. ये मुद्दा था विधानसभा चुनाव से पहले सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र में शिवपुरी-देवास फोर-लेन राजमार्ग के उद्धाटन का. 



केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस कार्यक्रम के मुख्य अथिति थे, लेकिन सिंधिया को इस कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया. इसके बाद जब सिंधिया ने संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को अपनी गलती मानते हुए कांग्रेस सांसद सिंधिया से माफी मांगनी पड़ी थी. उस वक्त पड़ी शिलान्यास-लोकार्पण की सियासी जंग अब तक जारी है, जिसमें कई नए मामले जुड़ चुके हैं.



मंत्री पीसी शर्मा v/s विधायक विश्वास सारंग

राजधानी भोपाल में बने स्वामी विवेकानंद थीम पार्क का उद्धाटन मंत्री पीसी शर्मा को करना था, लेकिन जैसे ही बीजेपी विधायक को इसकी भनक लगी तो उन्होंने 1 करोड़ 37 लाख की लागत से बने पार्क का एक दिन पहले ही लोकार्पण कर दिया. इसके बाद बीजेपी विधायक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई.



सांसद अनूप मिश्रा v/s सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया

5 मार्च को ग्वालियर के 1000 बिस्तरों वाले अस्पताल का शिलान्यास (भूमिपूजन) कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया, जिसको लेकर बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा ने अपने समर्थकों के साथ विरोध भी किया. इस दौरान प्रदर्शन नहीं रुकने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. बता दें कि साल 2009 में बतौर स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा इसी अस्पताल का शिलान्यास कर चुके हैं, लेकिन इसके 10 साल बाद भी अस्पताल आज तक नहीं बन पाया, जिसके बाद सांसद सिंधिया ने अस्पताल बनाने के लिए फिर से उद्धाटन किया है.



कांग्रेस v/s बीजेपीः बुरहानपुर ऑडिटोरियम के लोकार्पण पर

बुरहानपुर में धारा 144 लगे होने के बावजूद ताला लगे ऑटोडोरियम भवन का बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने लोकार्पण कर दिया. हालांकि लोकार्पण को प्रशासन ने अवैध घोषित कर दिया है. बता दें कि यहां प्रभारी मंत्री को लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई थी. कांग्रेस का कहना है कि नियम के मुताबिक इस तरह के कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री को बुलाना अनिवार्य होता है.



नेता प्रतिपक्ष के पत्र ने विवाद को दिया नया मोड़

लोकार्पण और शिलान्यास विवादों के बीच 5 मार्च को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी बीजेपी जनप्रतिनिधियों को एक पत्र लिख दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी के सभी जनप्रतिनिधि अपने विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करें. अगर कोई रोके तो बीजेपी सड़कों पर प्रदर्शन करेगी. इसी मुद्दे पर कांग्रेस पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए बीजेपी के सभी महापौर, पूर्व सीएम शिवराज के साथ बैठक भी कर चुके हैं. 



लोकार्पण के दूसरे मामलों पर भी हुआ हंगामा

⦁    भोपालः 5 मार्च को बैरसिया रोड बस स्टैंड के विकास कार्यों का मंत्री आरिफ अकील ने भूमिपूजन किया. यहां भी बीजेपी नेताओं को नहीं बुलाने पर हंगामा हुआ.

⦁    28 फरवरी को 2019 को भोपाल महापौर को मंगलवारा थाने के लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया.

⦁    भोपालः वॉर्ड के विकास कार्यों का विधायक रामेश्वर शर्मा और कांग्रेस पार्षद ने अलग-अलग भूमिपूजन किया.



एक नजरः इन मामलों से जनता को कितना नफा-नुकसान?

अगर आम जनता की बात की जाए तो उसे नया विकास कार्य तो नजर नहीं आ रहा, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं ने भूमिपूजन-लोकार्पण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बता दें कि एक सामान्य भूमिपूजन के कार्यक्रम में यदि स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री पहुंचते हैं तो 5 हजार से 12 हजार रुपए का खर्चा आता है, जबकि बड़े कार्यक्रमों में ये खर्च लाखों में भी पहुंच जाता है. इन कार्यक्रमों की हकीकत और इनसे आम लोगों को होने वाले लाभ को इसी से समझा जा सकता है कि जिस अस्पताल के भूमि पूजन पर बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा के समर्थक हंगामा मचा रहे हैं, उसका पिछला भूमि पूजन उन्होंने दस साल पहले 2009 में किया था, लेकिन इसका निर्माण अभी तक शुरु भी नहीं हुआ है.


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