भोपाल। अयोध्या में मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के साथ ही मध्यप्रदेश में सियासत गरमाई हुई है, लेकिन तमाम सियासी बयानबाजी के बाद भी सच्चाई यह है कि राज्य सरकार पिछले 16 सालों में मध्यप्रदेश में राम वन गमन पथ को जमीन पर उतारने में विफल रही है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यदि प्रदेश में इसे बेहतर तरीके से विकसित किया गया तो पर्यटन के हिसाब से बड़ा लाभदायक होगा.
16 साल में यह हुआ प्रस्ताव का हाल
मध्य प्रदेश में सबसे पहले 2004 में राम वन गमन पथ का प्रस्ताव सरकार के समक्ष आया था, उस वक्त मध्य प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार थी. इसके बाद 3 साल तक प्रस्ताव धूल खाता रहा, 3 साल बाद यह प्रस्ताव फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने लाया गया और उन्होंने राम पथ खोजने की घोषणा की. इसके बाद शुरुआती सर्वे का काम किया गया. वनवास के दौरान भगवान श्रीराम मध्यप्रदेश में जिन स्थानों पर रुके थे, ऐसे एक दर्जन स्थानों को विकसित करने के लिए वास्तु विदों को डीपीआर बनाने को कहा गया. साल 2008 में संस्कृति विभाग ने एक समिति बनाकर इस पर शोध भी कराया, लेकिन इसके बाद इस दिशा में काम आगे शुरू नहीं हो पाया.
बीजेपी के मुद्दे को कांग्रेस ने छीना
पिछले 14 साल में जिस राम वन गमन पथ के मुद्दे को बीजेपी भूल चुकी उसे 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में शामिल किया. कांग्रेस ने राम वन गमन पथ यात्रा शुरू की, लेकिन उसे रोक दिया गया. पिछली कमलनाथ सरकार बीजेपी के इस मुद्दे को छीनते हुए कैबिनेट में राम वन गमन पथ परियोजना के लिए ट्रस्ट बनाने की मंजूरी दी. कमलनाथ सरकार ने इसके लिए 20 करोड़ का बजट भी मंजूर किया.
राम वन गमन पथ विकसित हुआ तो बढ़ेगा पर्यटन
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया के मुताबिक मध्य प्रदेश की सियासत में राम मंदिर से जुड़े तथ्यों का भरपूर उपयोग किया गया, लेकिन राम वन गमन पथ को लेकर जो प्रयास किए जाने चाहिए थे वह नहीं हुए, उम्मीद है अब सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी. माना जा रहा है कि अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के साथ ही यह क्षेत्र बड़ा धार्मिक तीर्थ बनकर उभरे का और इसका फायदा मध्यप्रदेश को भी मिल सकता है, बशर्ते सरकार इसको बेहतर तरीके से विकसित करे.
11 साल एमपी में बिताए
हजारों साल पहले त्रेतायुग में भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान वर्तमान मध्यप्रदेश में जिन स्थानों से होकर गुजरे थे, वहां राम वन गमन पथ का निर्माण किया जाना है. पुरानी कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने 14 साल के वनवास के दौरान मध्य प्रदेश में करीब 11 साल बिताए और इस दौरान भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ चित्रकूट से लेकर अमरकंटक तक करीब 200 किलोमीटर पैदल यात्रा की.
मुद्दे को लेकर सियासत जारी
उधर राम मंदिर निर्माण को लेकर दिग्विजय सिंह के ट्वीट और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा सुंदरकांड कराने से शुरू हुई सियासी बयानबाजी बीजेपी-कांग्रेस के बीच जारी है. कांग्रेस ने अब बीजेपी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चित्रकूट में राम वन गमन पथ बनाने की घोषणा की थी जो 15 साल बाद भी आज तक पूरा नहीं हो पाया, जबकि कांग्रेस ने अपने 15 महीने के कार्यकाल के दौरान ही इस मुद्दे पर काम शुरू किया. उधर शिवराज सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने पलटवार करते हुए कहा है कि कमलनाथ सरकार अपने एक भी वादे पूरे नहीं कर पाई. राम वन गमन पथ बनाने का वचन भी उसने पूरा नहीं किया.
एमपी में कहां-कहां रुके राजाराम
चित्रकूट, पन्ना, छतरपुर, उमरिया, अशोकनगर, सतना, विदिशा, होशंगाबाद और महेश्वर के साथ-साथ नर्मदा के तट के किनारे भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान लंबा वक्त गुजारा है. इसके अलावा ओरछा प्रदेश में एक ऐसा स्थान है. जहां भगवान श्रीराम राजा के रूप में विराजे हैं.