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राज्यसभा चुनाव में कौन किस पर भारी? बीजेपी-कांग्रेस 2-2 सीटें जीतने का कर रही दावा

मध्यप्रदेश में 19 जून को तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से दो-दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, दोनों दलों का दावा है कि 3 में से 2 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे.

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Published : Jun 17, 2020, 9:14 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में 19 जून को तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से दो-दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और दोनों दलों का दावा है कि 3 में से 2 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. मध्यप्रदेश विधानसभा के वोटों के गणित के लिहाज से बीजेपी मजबूत नजर आ रही है और दो सीटें उसके खाते में जाती दिख रही हैं, लेकिन कांग्रेस का शुरू से दावा है कि वो 2 सीटें जीतने जा रही है.

राज्यसभा चुनाव में कौन किस पर भारी?

कमलनाथ सरकार गिरने के बाद मध्य प्रदेश में फिलहाल 206 सदस्यों की विधानसभा है. इस हिसाब से हर प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 52 वोट हासिल करना होगा. मौजूदा स्थिति में बीजेपी के पास 107 विधायक और कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं. इसके अलावा चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक हैं. वोटों के गणित के लिहाज से भाजपा 2 सीटें आसानी से जीत सकती है. कांग्रेस का दावा है कि वो भी 2 सीटें जीत रही है. ऐसी स्थिति में मतदान के दिन कोई नया सियासी समीकरण देखने मिल सकता है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार जीत दर्ज करेंगे. कांग्रेस के कुछ विधायकों और अन्य 7 विधायकों से उम्मीद है कि वो कांग्रेस का साथ देंगे. 15 महीने हमारी सरकार को समर्थन दिया है और राज्यसभा चुनाव में भी हमारा साथ देंगे.

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि बिल्कुल स्पष्ट है जिस प्रकार की संख्या बीजेपी और कांग्रेस विधायकों की है, उसके लिहाज से कांग्रेस सिर्फ एक राज्यसभा सीट ही जीत सकती है, उन्होंने कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस से फूल सिंह बरैया जीतेंगे या दिग्विजय सिंह, वो कांग्रेस के विधायकों से पता कर सकते हैं क्योंकि संकट कांग्रेस में ज्यादा है और दिग्विजय सिंह के खिलाफ है.

बीजेपी का मानना है कि भाजपा के दोनों प्रत्याशी सुमेर सिंह सोलंकी और ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा चुनाव जरूर जीतेंगे, इधर बीजेपी सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार अभी तक नहीं हुआ है, परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं कि पार्टी में उपज रहे असंतोष को रोकने के लिए बीजेपी मंत्रिमंडल विस्तार टाल रही है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में 19 जून को तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से दो-दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और दोनों दलों का दावा है कि 3 में से 2 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. मध्यप्रदेश विधानसभा के वोटों के गणित के लिहाज से बीजेपी मजबूत नजर आ रही है और दो सीटें उसके खाते में जाती दिख रही हैं, लेकिन कांग्रेस का शुरू से दावा है कि वो 2 सीटें जीतने जा रही है.

राज्यसभा चुनाव में कौन किस पर भारी?

कमलनाथ सरकार गिरने के बाद मध्य प्रदेश में फिलहाल 206 सदस्यों की विधानसभा है. इस हिसाब से हर प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 52 वोट हासिल करना होगा. मौजूदा स्थिति में बीजेपी के पास 107 विधायक और कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं. इसके अलावा चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक हैं. वोटों के गणित के लिहाज से भाजपा 2 सीटें आसानी से जीत सकती है. कांग्रेस का दावा है कि वो भी 2 सीटें जीत रही है. ऐसी स्थिति में मतदान के दिन कोई नया सियासी समीकरण देखने मिल सकता है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार जीत दर्ज करेंगे. कांग्रेस के कुछ विधायकों और अन्य 7 विधायकों से उम्मीद है कि वो कांग्रेस का साथ देंगे. 15 महीने हमारी सरकार को समर्थन दिया है और राज्यसभा चुनाव में भी हमारा साथ देंगे.

बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि बिल्कुल स्पष्ट है जिस प्रकार की संख्या बीजेपी और कांग्रेस विधायकों की है, उसके लिहाज से कांग्रेस सिर्फ एक राज्यसभा सीट ही जीत सकती है, उन्होंने कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस से फूल सिंह बरैया जीतेंगे या दिग्विजय सिंह, वो कांग्रेस के विधायकों से पता कर सकते हैं क्योंकि संकट कांग्रेस में ज्यादा है और दिग्विजय सिंह के खिलाफ है.

बीजेपी का मानना है कि भाजपा के दोनों प्रत्याशी सुमेर सिंह सोलंकी और ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा चुनाव जरूर जीतेंगे, इधर बीजेपी सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार अभी तक नहीं हुआ है, परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं कि पार्टी में उपज रहे असंतोष को रोकने के लिए बीजेपी मंत्रिमंडल विस्तार टाल रही है.

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