भोपाल। प्रदेश के स्वाथ्य विभाग ने एक भी नसबंदी नहीं कराने पर वेतन रोकने और सेवाएं समाप्त कराने का फरमान जारी किया है. इस मामले में पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा है. तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने इसे अधिकारियों की गलती बताया है और फरमान जारी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने की बात कही है. बीजेपी का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों पर इस तरह से दवाब नहीं बनाया जा सकता, ये हिटरशाही है. कमलनाथ के सरकार के मंत्री पीसी शर्मा इसे रूटीन आदेश बताया.
इस मामले में कमलनाथ सरकार के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि यह एक रूटीन आदेश है, आज वैसे भी हर परिवार मध्यप्रदेश और देश में सजग है कि छोटा परिवार सुखी परिवार होता है. कोई भी एक या दो से ज्यादा संतान नहीं चाहता है. अपने बच्चों की परवरिश ठीक से कर सके और ठीक से पढ़ा लिखा सके, ये लोगों की धारणा बन गई है कि हमें सीमित परिवार रखना है. जहां तक इस आदेश का सवाल है, तो यह एक सामान्य आदेश है, इसमें किसी को डरने की जरूरत नहीं है.
नसबंदी कराने का टारगेट पूरा कराए जाने के लिए जारी किए गए स्वास्थ्य विभाग के फरमान की विपक्ष ने कड़ी निंदा की है और निशाना सीधा सरकार पर साधा है. विभाग के आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को कम से कम एक नसबंदी का केस लाना ही होगा और यदि वे ऐसा नहीं कराएंगे तो उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएंगी और वेतन भी रोका जाएगा.
विश्वास सारंग का कहना है कि बीजेपी इस योजना के खिलाफ नहीं है लेकिन सरकार ने टारगेट पूरा कराने के लिए जिस तरह का फरमान जारी किया है, ये सरकार की मानसिकता को दिखा रहा है, इसे सरकार की दमनकारी नीति बताते हुए सारंग ने राज्य सरकार पर हिटलर शाही करने का आरोप लगाया है.
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल का कहना है कि फरमान उनके लिए है जो टारगेट अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं, ये टारगेट पूरा करने के लिए अधिकारियों का फरमान है. ऐसे अधिकारी जो आखिरी माह में नसबंदी का टारगेट पूरा कराने के लिए कर्मचारियों की बलि लेने का काम कर रहे हैं, उन अधिकारियों पर राज्य सरकार को सख्त कार्रवाई करना चाहिए.