भोपाल। भारत सरकार ने मंगलवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. इस बार मध्य प्रदेश के अर्जुन सिंह धुर्वे को भी इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा. अर्जुन सिंह धुर्वे को कला के क्षेत्र में अहम योगदान देने के लिए दिया जा रहा है. सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग डा. संतोष शुक्ला ने बताया कि अर्जुन सिंह बैगा जनजाति की पहले पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षक रहे. उनके द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अन्य अतिथियों के कार्यक्रमों में बैगा नृत्य की अपनी टीम के साथ आकर्षक प्रस्तुति दी थी.
कौन हैं अर्जुन सिंह धुर्वे
अर्जुन सिंह धुर्वे मध्यप्रदेश की बैगा जनजाति से आते हैं. वह एक गुणी शिल्पकार हैं. वह डिंडौरी के बैगाचक क्षेत्र धुरकुटा से आते हैं. अर्जुन सिंह धुर्वे चार भाई हैं. इनमें यह चौथे नंबर पर हैं. इनकी शादी 1974 में हुई थी, जिनसे उन्हें तीन लड़के हैं. अर्जुन सिंह समाजशास्त्र से एमए के साथ बीएड की शिक्षा प्राप्त की. 12 अगस्त 1953 को जन्मे अर्जुन सिंह के पिता का नाम परसा सिंह धुर्वे और माता का नाम लहरो बाई धुर्वे है. उनकी पत्नी का नाम लमिया बाई धुर्वे है.
अर्जुन सिंह धुर्वे का आदिवासी संग्राहलय में अहम योगदान है. उन्होंने आदिवासी कला के लिए विशेष काम किये हैं. इसके लिए उन्हें 26 जनवरी यानी बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित करेंगे. अर्जु सिंह धुर्वे लंबे समय से आदिवासियों के लिए काम रहे हैं. उन्होंने आदिवासियों की कला को संजोय के रखा है.
1976 से शिक्षक पद में पदस्थ
अर्जुन सिंह 19 नवंबर 1976 में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ हुए थे. 1994 में उच्च श्रेणी शिक्षक और वर्ष 2008 में प्रधान पाठक पद पर पदोन्नत हुए. 31 अगस्त 2015 को अर्जुन सिंह सेवानिवृत्त हो गए. वर्ष 1993-94 में उन्हें जनजातीय संपदा के कलात्मक संवर्धन विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा तुलसी सम्मान से विभूषित किया गया. बैगा प्रधानी नृत्य की प्रस्तुति जो कि बैगा जनजाति का मुख्य नृत्य है, जिसमें बैल, मोर, हाथी, घोड़ा इत्यादि के मुखौटे में राज्य व राज्य के बाहर इन्होंने प्रस्तुति दी थी. इस कला को देश भर में सराहा गया था.
कई जगह दे चुके हैं प्रस्तुति
अर्जुन सिंह वर्ष 2005 में नई दिल्ली इंडिया गेट परेड में बैगा प्रधानी नृत्य के साथ राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के निवास में भी कार्यक्रम की प्रस्तुति दे चुके हैं. उज्जैन सिंहस्थ में लोक उत्सव, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में भी अपनी कला की प्रस्तुति दे चुके हैं.