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बच्चा चोरी के शक में लोग करते हैं मॉब लिंचिंग, सोशल मीडिया की अफवाहें बनती हैं वजह

बच्चा चोर गिरोह की अफवाह को लेकर कुछ असामाजिक तत्व भीड़ को उकसाते हैं, जिसका नतीजा मॉब लिंचिंग के रूप में सामने आता है. जागरूकता की कमी, आर्थिक कमजोरी और अशिक्षा कई बार मॉब लिंचिंग की वजह बन जाते हैं.

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Published : Aug 13, 2019, 9:56 AM IST

बच्चा चोरी के शक में लोग करते हैं मॉब लिंचिंग

भोपाल। देश के तीन प्रमुख हिंदीभाषी राज्यों में बच्चा चोरी की अफवाहों पर उन्मादी भीड़ की पिटाई से बेकसूरों की जान जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है. पुलिस अपनी मुस्तैदी का दावा करती है और यह भी कहती है कि लोग जागरूक हो जाएं, अफवाहों पर ध्यान न दें और कानून को हाथ में लेने वालों में कानून का खौफ रहे, तभी मॉब लिंचिंग की घटनाएं रुक सकती हैं.

मध्यप्रदेश में पुलिस रख रही है अफवाहों पर नज़र
मध्य प्रदेश में बच्चा चोर गिरोह की अफवाहों के कारण बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे अफवाहों से भरे मैसेज पर नजर रख रही है. पुलिस की ओर से खासतौर पर व्हाट्सएप और फेसबुक पर नजर रखी जा रही है. बीते 20 दिनों में भोपाल, उज्जैन, देवास, इंदौर, सागर, छतरपुर, भिंड, मुरैना सहित अन्य स्थानों पर भीड़ द्वारा बच्चा चोरी के शक में कई लोगों को पीटा गया.
फेक मैसेज का सहारा लेकर उकसा रहे हैं लोगों को
सूत्रों का कहना है कि अफवाह फैलाने वाले सोशल मीडिया खासकर व्हाट्सएप और फेसबुक पर फेक मैसेज का सहारा ले रहे हैं. पुलिस के सामने ऐसे फेक मैसेज भी आए हैं, जिनमें गिरफ्त से छुड़ाए गए बाल मजदूरों को चोरी किए गए बच्चे बताया गया है. इतना ही नहीं कई वीभत्स तस्वीरों को भी बच्चा चोरों से जोड़कर वायरल किया गया है. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने अधिकारियों से सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे अफवाहों पर खास नजर रखने को कहा है.
गरीबों या मानसिक बीमारों को बनाते हैं निशाना
पुलिस के मुताबिक, राज्य में बच्चा चोरी के शक में जिन लोगों को भीड़ द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, उनमें अधिकांश मानसिक रोगी या गरीब तबके से जुड़े लोग हैं. ऐसे लोगों की हालत को देखकर कुछ लोग उन्हें आसानी से बच्चा चोर बताते हुए भीड़ को उकसाते हैं. पुलिस भीड़ को उकसाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी जारी कर चुकी है.
बिहार में भी मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं
बिहार की राजधानी पटना में हाल के दिनों में बच्चा चोरी की अफवाह उड़ने की 20 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. ये घटनाएं गांधी मैदान, दीघा, राजीव नगर, फुलवारीशरीफ, मोकामा, दुल्हिनबाजार, बाढ़ व नौबतपुर थाना क्षेत्र में हुई हैं. इन घटनाओं में कम से कम दो बेकसूरों की जान जा चुकी है और पिटाई से घायल कई लोग आज भी मौत से जूझ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश भी मॉब लिंचिंग से अछूता नहीं
उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, गोंडा और इटावा समेत अन्य स्थानों पर भीड़ द्वारा बच्चा चोरी के शक में कई लोगों को पीटा गया. पुलिस विभाग के अधिकारी मानते हैं कि ऐसी घटनाओं में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया का योगदान है. ऐसे कृत्यों को अंजाम देने वालों के खिलाफ आने वाले समय में कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कानून के जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता पदम कीर्ति ने बताया, "पुलिस पेट्रोलिंग ग्राउंड लेवल पर नहीं हो रही है। इसी कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। जितनी भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं या तो वह ग्रामीण क्षेत्र में हो रही हैं, या फिर उन क्षेत्रों में हो रही है, जहां अशिक्षित लोग ज्यादा हैं।"
उन्होंने कहा कि शिक्षा और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण भी ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं. धार्मिक उन्माद के कारण भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। मारने वाले सोच रहे हैं कि सरकार उन्हें बचाएगी। मध्य प्रदेश में इसे रोकने के लिए कानून बनाया जा रहा है, जिसमें दस साल सजा का प्रावधान है। लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है। इसमें तो मार्डर का एक्ट 302/24 का कानून बनाया जाना चाहिए। कानून का भय लोगों से खत्म हो रहा है। इसीलिए घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे निपटने के लिए बहुत सख्त कानून बनाएं जाने की जरूरत है.

भोपाल। देश के तीन प्रमुख हिंदीभाषी राज्यों में बच्चा चोरी की अफवाहों पर उन्मादी भीड़ की पिटाई से बेकसूरों की जान जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है. पुलिस अपनी मुस्तैदी का दावा करती है और यह भी कहती है कि लोग जागरूक हो जाएं, अफवाहों पर ध्यान न दें और कानून को हाथ में लेने वालों में कानून का खौफ रहे, तभी मॉब लिंचिंग की घटनाएं रुक सकती हैं.

मध्यप्रदेश में पुलिस रख रही है अफवाहों पर नज़र
मध्य प्रदेश में बच्चा चोर गिरोह की अफवाहों के कारण बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे अफवाहों से भरे मैसेज पर नजर रख रही है. पुलिस की ओर से खासतौर पर व्हाट्सएप और फेसबुक पर नजर रखी जा रही है. बीते 20 दिनों में भोपाल, उज्जैन, देवास, इंदौर, सागर, छतरपुर, भिंड, मुरैना सहित अन्य स्थानों पर भीड़ द्वारा बच्चा चोरी के शक में कई लोगों को पीटा गया.
फेक मैसेज का सहारा लेकर उकसा रहे हैं लोगों को
सूत्रों का कहना है कि अफवाह फैलाने वाले सोशल मीडिया खासकर व्हाट्सएप और फेसबुक पर फेक मैसेज का सहारा ले रहे हैं. पुलिस के सामने ऐसे फेक मैसेज भी आए हैं, जिनमें गिरफ्त से छुड़ाए गए बाल मजदूरों को चोरी किए गए बच्चे बताया गया है. इतना ही नहीं कई वीभत्स तस्वीरों को भी बच्चा चोरों से जोड़कर वायरल किया गया है. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने अधिकारियों से सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे अफवाहों पर खास नजर रखने को कहा है.
गरीबों या मानसिक बीमारों को बनाते हैं निशाना
पुलिस के मुताबिक, राज्य में बच्चा चोरी के शक में जिन लोगों को भीड़ द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, उनमें अधिकांश मानसिक रोगी या गरीब तबके से जुड़े लोग हैं. ऐसे लोगों की हालत को देखकर कुछ लोग उन्हें आसानी से बच्चा चोर बताते हुए भीड़ को उकसाते हैं. पुलिस भीड़ को उकसाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी जारी कर चुकी है.
बिहार में भी मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं
बिहार की राजधानी पटना में हाल के दिनों में बच्चा चोरी की अफवाह उड़ने की 20 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. ये घटनाएं गांधी मैदान, दीघा, राजीव नगर, फुलवारीशरीफ, मोकामा, दुल्हिनबाजार, बाढ़ व नौबतपुर थाना क्षेत्र में हुई हैं. इन घटनाओं में कम से कम दो बेकसूरों की जान जा चुकी है और पिटाई से घायल कई लोग आज भी मौत से जूझ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश भी मॉब लिंचिंग से अछूता नहीं
उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, गोंडा और इटावा समेत अन्य स्थानों पर भीड़ द्वारा बच्चा चोरी के शक में कई लोगों को पीटा गया. पुलिस विभाग के अधिकारी मानते हैं कि ऐसी घटनाओं में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया का योगदान है. ऐसे कृत्यों को अंजाम देने वालों के खिलाफ आने वाले समय में कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कानून के जानकार और वरिष्ठ अधिवक्ता पदम कीर्ति ने बताया, "पुलिस पेट्रोलिंग ग्राउंड लेवल पर नहीं हो रही है। इसी कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। जितनी भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं या तो वह ग्रामीण क्षेत्र में हो रही हैं, या फिर उन क्षेत्रों में हो रही है, जहां अशिक्षित लोग ज्यादा हैं।"
उन्होंने कहा कि शिक्षा और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण भी ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं. धार्मिक उन्माद के कारण भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। मारने वाले सोच रहे हैं कि सरकार उन्हें बचाएगी। मध्य प्रदेश में इसे रोकने के लिए कानून बनाया जा रहा है, जिसमें दस साल सजा का प्रावधान है। लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है। इसमें तो मार्डर का एक्ट 302/24 का कानून बनाया जाना चाहिए। कानून का भय लोगों से खत्म हो रहा है। इसीलिए घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे निपटने के लिए बहुत सख्त कानून बनाएं जाने की जरूरत है.

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CHILD THIEF RUMOR IN MADHYA PRADESH 


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