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वादे से मुकरी सरकार! महामारी में 156 पुलिसकर्मियों ने गंवाई जान, सिर्फ 6 को मिला मुआवजा

कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजन को सरकार ने 50 लाख रुपए देने का वादा किया था. महामारी में ड्यूटी के समय 156 पुलिस कर्मचारियों ने अपनी जान गंवाई. लेकिन अभी तक सिर्फ 6 पुलिसकर्मियों को ही शासन द्वारा घोषित राशि मिली है, बाकी सभी इससे वंचित रह गए.

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मुकरी सरकार!
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Published : Aug 11, 2021, 11:06 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 6:48 AM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण काल के पहले दिन से पुलिस ने बिना डरे अपना फर्ज निभाया. इस दौरान कोविड से प्रदेशभर के 156 पुलिस कर्मचारियों ने अपनी जान भी गंवा दी. वहीं इनमें से 150 पुलिसकर्मियों के परिजनों को सरकार के वादे का इंतजार है. इन 150 पुलिसकर्मियों के परिजनों को अब तक कोरोना योद्धा के तहत 50 लाख रुपए की राशि नहीं मिली है. जबकि 38 पुलिसकर्मियों के केस को रिजेक्ट तक कर दिया गया है.

सरकार ने क्या किया था वादा

कोरोना संक्रमण के दौरान ड्यूटी करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया गया था. सरकार ने तय किया था कि ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स का सरकार निशुल्क इलाज कराएगी. वहीं यदि इलाज के दौरान कर्मचारी की मौत होती है तो सरकार ऐसे कर्मचारियों के परिजन को 50 लाख रुपए देगी. इसके अलावा कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी. शुरुआत में स्वास्थ्य, पुलिस और करीब एक दर्जन विभागों के कर्मचारियों को भी इसका लाभ दिया गया.

कोरोना संक्रमण से 156 पुलिसकर्मियों की गई जान

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रदेशभर में 15़6 पुलिसकर्मियों की जान कोरोना से गई, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बलिदान हुए पुलिसकर्मियों को राशि देने का काम सरकार बेहद धीमी गति से कर रही है. अभी तक 15़6 में से सिर्फ 6 पुलिसकर्मियों को ही शासन द्वारा घोषित 50 लाख रुपए की राशि का लाभ दिया गया है, जबकि 112 पुलिसकर्मियों के मामले अभी भी विचाराधीन हैं. वहीं 38 मामले ऐसे हैं, जिनके प्रकरण अस्वीकृत कर दिए गए.

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कोविड में जान गई परिजनों को राशि का इंतजार

कोविड से जान गंवाने वालों में एक भोपाल के खजूरी थाने में पदस्थ रहे सिपाही जितेन्द्र कौशल भी थे. वह ड्यूटी के दौरान बीमार हुए, जांच में आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. बाद में निजी हाॅस्पिटल में सिटी स्कैन में फेफड़ों में इंफेक्शन पाया गया. भर्ती करने के तीसरे दिन ही उनकी मौत हो गई. परिजनों ने कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. कारण बताया गया कि कोविड से प्रमाणित करने वाली लैब रिपोर्ट नहीं मिली थी, इसलिए योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता.

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दिवंगत सिपाही के बड़े भाई पवन कौशल भी पुलिस विभाग में हैं. हालांकि परिजनों को उम्मीद है कि सरकार सहानुभूति पूर्ण निर्णय लेगी. यही नहीं ट्रैफिक थाने में पदस्थ रहे एएसआई महेन्द्र सिंह ठाकुर, बागसेवनिया थाने में पदस्थ रहे एसआई केएल सेन, निशातपुरा थाने में पदस्थ रहे एएसआई बद्री प्रसाद, पीएचक्यू में पदस्थ रहे इंस्पेक्टर हरवंशा धुर्वे, पीएचक्यू में सूबेदार एसएन रैकवार सहित 112 पुलिसकर्मियों के परिजनों को सम्मान राशि का इंतजार है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण काल के पहले दिन से पुलिस ने बिना डरे अपना फर्ज निभाया. इस दौरान कोविड से प्रदेशभर के 156 पुलिस कर्मचारियों ने अपनी जान भी गंवा दी. वहीं इनमें से 150 पुलिसकर्मियों के परिजनों को सरकार के वादे का इंतजार है. इन 150 पुलिसकर्मियों के परिजनों को अब तक कोरोना योद्धा के तहत 50 लाख रुपए की राशि नहीं मिली है. जबकि 38 पुलिसकर्मियों के केस को रिजेक्ट तक कर दिया गया है.

सरकार ने क्या किया था वादा

कोरोना संक्रमण के दौरान ड्यूटी करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया गया था. सरकार ने तय किया था कि ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स का सरकार निशुल्क इलाज कराएगी. वहीं यदि इलाज के दौरान कर्मचारी की मौत होती है तो सरकार ऐसे कर्मचारियों के परिजन को 50 लाख रुपए देगी. इसके अलावा कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी. शुरुआत में स्वास्थ्य, पुलिस और करीब एक दर्जन विभागों के कर्मचारियों को भी इसका लाभ दिया गया.

कोरोना संक्रमण से 156 पुलिसकर्मियों की गई जान

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रदेशभर में 15़6 पुलिसकर्मियों की जान कोरोना से गई, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बलिदान हुए पुलिसकर्मियों को राशि देने का काम सरकार बेहद धीमी गति से कर रही है. अभी तक 15़6 में से सिर्फ 6 पुलिसकर्मियों को ही शासन द्वारा घोषित 50 लाख रुपए की राशि का लाभ दिया गया है, जबकि 112 पुलिसकर्मियों के मामले अभी भी विचाराधीन हैं. वहीं 38 मामले ऐसे हैं, जिनके प्रकरण अस्वीकृत कर दिए गए.

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कोविड में जान गई परिजनों को राशि का इंतजार

कोविड से जान गंवाने वालों में एक भोपाल के खजूरी थाने में पदस्थ रहे सिपाही जितेन्द्र कौशल भी थे. वह ड्यूटी के दौरान बीमार हुए, जांच में आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. बाद में निजी हाॅस्पिटल में सिटी स्कैन में फेफड़ों में इंफेक्शन पाया गया. भर्ती करने के तीसरे दिन ही उनकी मौत हो गई. परिजनों ने कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. कारण बताया गया कि कोविड से प्रमाणित करने वाली लैब रिपोर्ट नहीं मिली थी, इसलिए योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता.

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दिवंगत सिपाही के बड़े भाई पवन कौशल भी पुलिस विभाग में हैं. हालांकि परिजनों को उम्मीद है कि सरकार सहानुभूति पूर्ण निर्णय लेगी. यही नहीं ट्रैफिक थाने में पदस्थ रहे एएसआई महेन्द्र सिंह ठाकुर, बागसेवनिया थाने में पदस्थ रहे एसआई केएल सेन, निशातपुरा थाने में पदस्थ रहे एएसआई बद्री प्रसाद, पीएचक्यू में पदस्थ रहे इंस्पेक्टर हरवंशा धुर्वे, पीएचक्यू में सूबेदार एसएन रैकवार सहित 112 पुलिसकर्मियों के परिजनों को सम्मान राशि का इंतजार है.

Last Updated : Aug 12, 2021, 6:48 AM IST
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