भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की काउंटिंग शुरू होने के दो घंटे पहले तक कर्मचारियों को इस बात की जानकारी नहीं होगी, कि उन्हें किस टेबल और किस विधानसभा इलाके में काउंटिंग करने जाना होगा. चुनाव आयोग ने पहली बार पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कर्मचारियों का रेंडमाइजेशन करने का फैसला किया है. ये काउंटिंग के दो घंटे पहले होगा. इसके बाद अलावा पहली बार एक और बदलाव किया गया है. ये बदलाव है कि कर्मचारियों से उनके अपने क्षेत्र के विधानसभा में काउंटिंग नहीं करवाई जाएगी. काउंटिंग की फाइनल रिहर्सल 30 नवंबर को की जाएगी. इस बार अंतिम चुनाव परिणाम आने में डेढ़ घंटे की देरी भी हो सकती है.
इस बार देरी से आएंगे रिजल्ट: इस बार विधानसभा चुनाव के परिणाम देरी से आने की संभावना जताई गई है. इसकी वजह पोस्टल बैलेट पेपरों की संख्या में इजाफा होना बताया गया है. इस चुनाव में 64 हजार से ज्यादा बुजुर्ग और दिव्यांगों के पोस्टल बैलेट हैं. इसके अलावा 72 हजार से ज्यादा सर्विस वोटर्स के लिए भी पोस्ट बैलेट जारी किए गए हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में 70 हजार पोस्टल बैलेट ही थे.
इसलिए माना जा रहा है कि इनकी गिनती में लगने वाले समय की वजह से चुनाव परिणाम के अंतिम नतीजे भी करीबन 1 घंटे देरी से आएंगे. काउंटिंग की शुरूआत सुबह 8 बजे पोस्टल बैलेट पेपर से की जाएगी. इसके बाद ईवीएम और पोस्टल बैलेट की गणना दोनों एक साथ चलती रहेगी. देखा जाए तो इस चुनाव में पोस्टल बैलेट की संख्या करीबन 3 लाख 23 हजार है. इससे इनकी गिनती में समय ज्यादा लगेगा.
सुबह साढ़े 8 बजे आएगा पहला रूझान: मतगणना 3 दिसंबर की सुबह 8 बजे से शुरू होगी. आधे घंटे में डाक मतपत्रों की गिनती पूरी होने के बाद सुबह साढ़े 8 बजे से ईवीएम के मतों की गिनती शुरू होगी. सभी विधानसभाओं में मतदान केन्द्रों के हिसाब से काउटिंग टेबल लगाई जाएंगी. ऑन एवरेज 14-14 टेबल लगाई जाएंगी. जिन विधानसभाओं में मतदान केन्द्रों की संख्या ज्यादा हैं, वहां 20 से 21 टेबल तक लगाई जाएंगी.
कर्मचारियों और एजेंटों के अलग रूट रहेंगे: इस बार काउंटिंग स्थलों पर ईवीएम को लाने वाले कर्मचारियों और उम्मीदवारों के एजेंटों का आमना सामना नहीं होगा. मतगणना केन्द्रों पर अलग-अलग रूट बनाए जा रहे हैं. मतगणना स्थलों पर ईवीएम मशीनों को स्ट्रांग रूम से बाहर लाने से लेकर टेबल तक लाने का पूरा रूट सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेगा.