भोपाल। 18 अप्रैल से अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के 32,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं. 2013 से लगातार अपनी मुख्य मांगों को लेकर शासन प्रशासन से मांग कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी शासन का इनकी ओर ध्यान नहीं है. वहीं संविदाकर्मियों का कहना है कि "अब 1 मई मजदूर दिवस को यह एनएचएम के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे. इनके अनुसार 2018 में भी 42 दिन की हड़ताल की गई थी. उस दौरान मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकार किया था कि संविदा एक शोषण प्रथा अन्याय पूर्ण व्यवस्था है. इसे समाप्त किया जाएगा. 5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक नीति पारित की गई थी. रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90 फीसदी वेतनमान दिया जाए, लेकिन एनएचएम के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को उस नीति का लाभ आज तक नहीं दिया गया है. वह सिर्फ घोषणा बनकर रह गई है.
आंदोलन की चेतावनी: अभी कुछ महीने पहले 15 दिसंबर से 3 जनवरी तक अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई थी. उस दौरान भी स्वास्थ्य मंत्री ने 1 महीने के भीतर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन आज दिनांक तक पूरा नहीं किया गया. हर बार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ सरकार द्वारा वादाखिलाफी की जा रही है. इसलिए कहीं ना कहीं प्रदेश के 32,000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में लगातार आक्रोश उत्पन्न हो रहा है. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अब 1 मई 2023 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय के सामने प्रदेश कार्यकारिणी एवं जिला कार्यकारिणी द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा. फिर भी शासन प्रशासन द्वारा मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो आगामी दिवस में मंत्रियों के बंगले पर जाकर अपनी बात रखेंगे. आमरण अनशन या भोपाल भरो आंदोलन किया जाएगा.
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प्रमुख मांगे
1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों को विभाग में रिक्त पदों पर नियमित किया जाए. अन्य कर्मचारियों को 5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई. नीति रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90% वेतनमान तत्काल लागू किया जाए. सीएचओ कैडर को MLHP तहत नियमित किया जाए.
2.राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउट सोर्स ठेका प्रथा न किए गए. सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए. विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए और निष्कासित कर्मचारियों को शत प्रतिशत वापस लिया जाए.
3.15 दिसंबर से 3 जनवरी तक की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान जिन कर्मचारियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज किए गए हैं. उन्हें तत्काल वापस लिया जाए.