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Bhopal Nagar Nigam:आदमपुर कचरा खंती में आग के पीछे करोड़ों रुपए का गोलमाल, मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

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Published : Apr 17, 2023, 11:05 PM IST

आदमपुर कचरा खंती मे लगी आग के बाद हर बार यह सवाल उठता है कि आखिर ये आग हर साल मार्च और अप्रैल में ही क्यों लगती है. क्या कारण है कि बैंकिंग ईयर एंडिंग में कचरा खंती में आग के मामले सामने आते हैं. दरअसल यह पूरा का पूरा खेल कचरा खंती को मिलने वाले बजट के गोलमाल का खेल है. इस कचरा खंती में गाय, सूअर और अन्य मवेशियों को भी फेंका जा रहा है और आग लगने से यह जलकर स्वाहा हो जाते हैं.

Bhopal Nagar Nigam
आप ने महापौर की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया
आप ने भोपाल महापौर की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने स्वच्छ भारत मिशन को भोपाल नगर निगम किस तरह से पलीता लगा रही है और सफाई के नाम पर किस तरह से पैसों के बंदरबांट का खेल हो रहा है यह हकीकत हम आपको बताने जा रहे हैं. दरअसल भोपाल की आदमपुर स्थित कचरा खंती में हर साल मार्च और अप्रैल के महीने में आग की बड़ी घटना सामने आती है. इस बार भी यहां आग की भव्यता देखने को मिली और हजारों मीट्रिक टन कचरा जल गया. जिसको बुझाने में नगर निगम से लेकर फायर अमले को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन आग अभी भी कई जगह कचरा खंती में धधक रही है. अब सवाल यह उठता है कि यह आग अपने आप लगती है या लगा दी जाती है यही सबसे बड़ा प्रश्न है. आदमपुर छावनी के पास रहने वाले स्थानीय रहवासियों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी साठगांठ करके इस आग को लगाते हैं, जिससे आग में ही कचरे के साथ गाय और अन्य मवेशी जलकर स्वाहा हो जाएं.

जब ETV Bharat की टीम पहुंची तो देखा कि कचरे के ढेर में गाय, सूअर और अन्य मवेशी यहां पड़े हुए हैं जबकि कचरे में इनका निष्पादन करने का विकल्प नहीं है. इन्हें गड्ढा खोदकर गाड़ा जाता है.

अब आपको बताते हैं इसके पीछे का पूरा खेल: दरअसल भोपाल नगर निगम में रोज 900 से अधिक मीट्रिक टन कचरा निकलता है और इस कचरे के निष्पादन के लिए नगर निगम ने कंपनी भी ऑथराइज्ड की हुई है जो कचरा खंती में इस कचरे को 13 कैटेगरी में अलग-अलग डिवाइड करके उसका निष्पादन करती है. जैसे पॉलीथीन अलग, कागज अलग, प्लास्टिक अलग, लोहा अलग. इसी तरह 13 कैटेगरी में अलग-अलग कर कर कचरे को उसकी वैल्यू के हिसाब से निष्पादन किया जाता है और इसके लिए अलग-अलग प्लांट लगे हुए हैं. सब प्लांटों का साल भर का जो खर्चा है वह तकरीबन 20 से 25 करोड़ के बीच में आता है. जिसमें प्लांट की मशीनों के साथ ही लेबर, गाड़ियों के आने-जाने का खर्च व अन्य जरूरी चीजें इंवॉल्व है. अब इसी पैसे को बचाने के लिए यह आग लगाई जाती है.

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कांग्रेस ने लगाया मिलीभगत का आरोप: नगर निगम में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी सीधे आरोप लगाती हैं कि इसमें नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत है और इस पैसे को बंदरबांट करने के लिए खंती में आग लगा दी जाती है. जिससे आसपास के लोगों को भी परेशानी होती है और पूरा पैसा बाद में अधिकारी, निगम कर्मी मिलकर बांट लेते हैं. इस बारे में जब महापौर मालती राय से पूछा गया तो उनका कहना था कि कचरा खंती में मवेशियों को पटकने का विकल्प नहीं है. उन्हें गड्ढे में गाड़ा जाता है. वहीं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर महापौर का कहना है कि फिलहाल उन्हें इस तरह की शिकायत नहीं मिली है अगर शिकायत आती है तो जांच कराई जाएगी.

चुपचाप बन रहा स्लॉटर हाउस: आदमपुर खंती में ही स्लॉटर हाउस भी बनाने की तैयारी चल रही है. खंती के अंदर ही उस स्लॉटरहाउस को बनाया जा रहा है. जिससे कई सालों पहले भोपाल के जिंसी से शिफ्ट किया गया था. ऐसे में यहां मवेशियों को इस स्लॉटरहाउस में काटा जाएगा. जिसको लेकर स्थानीय रहवासी और धार्मिक व्यक्तियों ने आपत्ति दर्ज कराई है. आदमपुर छावनी के पास रहने वाले रहवासियों का कहना है कि पहले खंती यहां आई जिससे बदबू और अन्य बीमारियो ने इन्हें घेर लिया है, वहीं स्लॉटरहाउस गुपचुप तरीके से यहां बनाया जा रहा है. जिसको लेकर विरोध जारी रहेगा और इसे यहां चालू नहीं होने दिया जाएगा.

AAP ने बताया दोहरा चरित्र: खंती में मवेशियों को पटक कर जलाने के मामले में विरोध भी शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी ने महापौर की सद्बुद्धि के लिए भोपाल में यज्ञ किया. उनका कहना था कि एक ओर बीजेपी की सरकार गोवंश की रक्षा की बात करती है लेकिन दूसरी ओर कचरा खंती में ही मरी हुई गाय पटक दी जाती है और आग लगने पर वह जलकर खाक हो जाती है. यह बीजेपी के दोहरे चरित्र को उजागर करता है, क्योंकि भोपाल नगर निगम में बीजेपी की सरकार है.

मानव अधिकार आयोग ने मांगा जवाब: इस मामले में अब मानव अधिकार आयोग ने भोपाल नगर निगम कमिश्नर से जवाब मांगा है. मानव अधिकार आयोग ने कचरा खंती में नगर निगम द्वारा रोजाना मृत गोवंश को फेंके जाने के मामले में संज्ञान लिया है. मवेशियों के शव अब सड़ने लगे हैं और उन्हें कुत्ते दिन भर खाते रहते हैं. साथ ही कचरा खंती की दुर्गंध से आसपास के रहवासियों को जीना मुश्किल हो गया है. इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने नगर निगम कमिश्नर से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है. फिलहाल तो आदमपुर खंती का मामला अब लगातार उठ रहा है लेकिन इसके पीछे इसके बजट का खेल सामने आ रहा है. फिलहाल तो यह जांच का विषय है कि यहां जो आग लगी है थी वह नॉर्मल थी या लगाई गई थी जिससे खंती की आड़ में फैला रहे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर नकेल कसी जा सके.

आप ने भोपाल महापौर की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने स्वच्छ भारत मिशन को भोपाल नगर निगम किस तरह से पलीता लगा रही है और सफाई के नाम पर किस तरह से पैसों के बंदरबांट का खेल हो रहा है यह हकीकत हम आपको बताने जा रहे हैं. दरअसल भोपाल की आदमपुर स्थित कचरा खंती में हर साल मार्च और अप्रैल के महीने में आग की बड़ी घटना सामने आती है. इस बार भी यहां आग की भव्यता देखने को मिली और हजारों मीट्रिक टन कचरा जल गया. जिसको बुझाने में नगर निगम से लेकर फायर अमले को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन आग अभी भी कई जगह कचरा खंती में धधक रही है. अब सवाल यह उठता है कि यह आग अपने आप लगती है या लगा दी जाती है यही सबसे बड़ा प्रश्न है. आदमपुर छावनी के पास रहने वाले स्थानीय रहवासियों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी साठगांठ करके इस आग को लगाते हैं, जिससे आग में ही कचरे के साथ गाय और अन्य मवेशी जलकर स्वाहा हो जाएं.

जब ETV Bharat की टीम पहुंची तो देखा कि कचरे के ढेर में गाय, सूअर और अन्य मवेशी यहां पड़े हुए हैं जबकि कचरे में इनका निष्पादन करने का विकल्प नहीं है. इन्हें गड्ढा खोदकर गाड़ा जाता है.

अब आपको बताते हैं इसके पीछे का पूरा खेल: दरअसल भोपाल नगर निगम में रोज 900 से अधिक मीट्रिक टन कचरा निकलता है और इस कचरे के निष्पादन के लिए नगर निगम ने कंपनी भी ऑथराइज्ड की हुई है जो कचरा खंती में इस कचरे को 13 कैटेगरी में अलग-अलग डिवाइड करके उसका निष्पादन करती है. जैसे पॉलीथीन अलग, कागज अलग, प्लास्टिक अलग, लोहा अलग. इसी तरह 13 कैटेगरी में अलग-अलग कर कर कचरे को उसकी वैल्यू के हिसाब से निष्पादन किया जाता है और इसके लिए अलग-अलग प्लांट लगे हुए हैं. सब प्लांटों का साल भर का जो खर्चा है वह तकरीबन 20 से 25 करोड़ के बीच में आता है. जिसमें प्लांट की मशीनों के साथ ही लेबर, गाड़ियों के आने-जाने का खर्च व अन्य जरूरी चीजें इंवॉल्व है. अब इसी पैसे को बचाने के लिए यह आग लगाई जाती है.

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कांग्रेस ने लगाया मिलीभगत का आरोप: नगर निगम में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी सीधे आरोप लगाती हैं कि इसमें नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत है और इस पैसे को बंदरबांट करने के लिए खंती में आग लगा दी जाती है. जिससे आसपास के लोगों को भी परेशानी होती है और पूरा पैसा बाद में अधिकारी, निगम कर्मी मिलकर बांट लेते हैं. इस बारे में जब महापौर मालती राय से पूछा गया तो उनका कहना था कि कचरा खंती में मवेशियों को पटकने का विकल्प नहीं है. उन्हें गड्ढे में गाड़ा जाता है. वहीं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर महापौर का कहना है कि फिलहाल उन्हें इस तरह की शिकायत नहीं मिली है अगर शिकायत आती है तो जांच कराई जाएगी.

चुपचाप बन रहा स्लॉटर हाउस: आदमपुर खंती में ही स्लॉटर हाउस भी बनाने की तैयारी चल रही है. खंती के अंदर ही उस स्लॉटरहाउस को बनाया जा रहा है. जिससे कई सालों पहले भोपाल के जिंसी से शिफ्ट किया गया था. ऐसे में यहां मवेशियों को इस स्लॉटरहाउस में काटा जाएगा. जिसको लेकर स्थानीय रहवासी और धार्मिक व्यक्तियों ने आपत्ति दर्ज कराई है. आदमपुर छावनी के पास रहने वाले रहवासियों का कहना है कि पहले खंती यहां आई जिससे बदबू और अन्य बीमारियो ने इन्हें घेर लिया है, वहीं स्लॉटरहाउस गुपचुप तरीके से यहां बनाया जा रहा है. जिसको लेकर विरोध जारी रहेगा और इसे यहां चालू नहीं होने दिया जाएगा.

AAP ने बताया दोहरा चरित्र: खंती में मवेशियों को पटक कर जलाने के मामले में विरोध भी शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी ने महापौर की सद्बुद्धि के लिए भोपाल में यज्ञ किया. उनका कहना था कि एक ओर बीजेपी की सरकार गोवंश की रक्षा की बात करती है लेकिन दूसरी ओर कचरा खंती में ही मरी हुई गाय पटक दी जाती है और आग लगने पर वह जलकर खाक हो जाती है. यह बीजेपी के दोहरे चरित्र को उजागर करता है, क्योंकि भोपाल नगर निगम में बीजेपी की सरकार है.

मानव अधिकार आयोग ने मांगा जवाब: इस मामले में अब मानव अधिकार आयोग ने भोपाल नगर निगम कमिश्नर से जवाब मांगा है. मानव अधिकार आयोग ने कचरा खंती में नगर निगम द्वारा रोजाना मृत गोवंश को फेंके जाने के मामले में संज्ञान लिया है. मवेशियों के शव अब सड़ने लगे हैं और उन्हें कुत्ते दिन भर खाते रहते हैं. साथ ही कचरा खंती की दुर्गंध से आसपास के रहवासियों को जीना मुश्किल हो गया है. इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने नगर निगम कमिश्नर से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है. फिलहाल तो आदमपुर खंती का मामला अब लगातार उठ रहा है लेकिन इसके पीछे इसके बजट का खेल सामने आ रहा है. फिलहाल तो यह जांच का विषय है कि यहां जो आग लगी है थी वह नॉर्मल थी या लगाई गई थी जिससे खंती की आड़ में फैला रहे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर नकेल कसी जा सके.

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