भोपाल, (पीटीआई-भाषा)। केरल के चलाकुडी से कांग्रेस सांसद बेनी बेहनन ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की स्नातकोत्तर छात्रा बाला सरस्वती (जूनियर डॉक्टर) द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में विस्तृत जांच करने एवं इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जांच जारी रहने तक निलंबित करने की मांग की है. वहीं, कुछ दिन पहले हुई सहकर्मी सरस्वती की मौत के विरोध में जीएमसी के जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को चौथे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी.
विस्तृत जांच की मांग: गृह मंत्री को तीन अगस्त को लिखे अपने पत्र में सांसद बेनी ने जीएमसी के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग और इसकी पूर्व विभाग प्रमुख डॉ. अरुणा कुमार के खिलाफ विस्तृत जांच की मांग की है. इसके अलावा, बेहनन ने सरस्वती की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को उनके खिलाफ जांच जारी रहने तक निलंबित करने की मांग की है.
शर्ट पर ही काम पर लौटेंगे जूनियर डॉक्टर: जूनियर डॉक्टरों के संगठन जूडा की जीएमसी इकाई के अध्यक्ष डॉ. संकेत सीते ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''हम काम पर लौटने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन पहले अस्पताल में व्याप्त 'जहरीली कार्य संस्कृति' खत्म होनी चाहिए.'' हड़ताल कर रहे इन डॉक्टरों ने कहा कि वे डॉ. अरुणा कुमार के जीएमसी से स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं, जिन्हें दो दिन पहले प्रसूति और स्त्री रोग विभाग के प्रमुख (एचओडी) के पद से हटाया गया है.
चौथे दिन भी चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहीं: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से जीएमसी में लगातार चौथे दिन चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहीं. अपने पत्र में बेनी ने लिखा, ''जीएमसी के विभागों में डॉक्टरों के लिए काम करने के लिए अच्छा माहौल सुनिश्चित करने और वहां चल रही 'जहरीली कार्य संस्कृति' के दुरुपयोग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.'' उन्होंने आगे लिखा कि ''आशा है कि आप उपरोक्त मामले पर विचार करेंगे और मृतका और उसके परिवार को न्याय दिलाने में मदद करेंगे.''
केरल सांसद का अमित शाह को पत्र: सांसद बेनी बेहनन ने गृहमंत्री अमित शाह को लिखे अपने पत्र में कहा, ''31 जुलाई को तड़के जीएमसी में डॉ. बाला सरस्वती की आत्महत्या के बारे में आप जानते होंगे. वह आंध्र प्रदेश की रहने वाली थी और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में पीजी की तीसरे वर्ष की छात्रा थी. वह 27 वर्ष की थी और 14 सप्ताह की गर्भवती थी.'' उन्होंने कहा, ''अपने सुसाइड नोट में उसने आरोप लगाया है कि वह अपने कॉलेज के संकाय के उत्पीड़न के कारण यह कदम उठा रही है.'' बेनी ने आगे लिखा, ''कई मेडिकल छात्रों और उनके समूहों द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि उसकी आत्महत्या में एचओडी डॉ अरुणा कुमार की भूमिका थी. उसने कथित तौर पर डॉ. बाला सरस्वती को परेशान किया और उसकी उपस्थिति या थीसिस पर हस्ताक्षर नहीं किए और न ही उसे मातृत्व अवकाश लेने की अनुमति दी.''
छात्रों के साथ शारीरिक और मौखिक रूप से दुर्व्यवहार: पत्र में कहा गया है, ''यहां तक कि जीएमसी में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के मेडिकल छात्रों ने भी दावा किया है कि संकाय के सदस्य उनके साथ शारीरिक और मौखिक रूप से दुर्व्यवहार करते हैं और यहां तक कि ऑपरेशन थिएटर के उपकरणों से भी मारते हैं.'' संपर्क किए जाने पर बेनी ने शुक्रवार को फोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, ''मृतका के माता-पिता और दोस्तों द्वारा घटना की जानकारी मेरे संज्ञान में लाए जाने के बाद मैंने शाह को पत्र लिखा.''
डॉ. अरुणा कुमार को अस्पताल से हटाने की मांग: जूडा की जीएमसी इकाई के अध्यक्ष डॉ. सीते ने बताया कि ''उनके काम पर लौटने से पहले अस्पताल में व्याप्त 'जहरीली कार्य संस्कृति' खत्म होनी चाहिए.'' डॉ. सीते ने कहा, ''हम चाहते हैं कि डॉ. अरुणा कुमार को अस्पताल से हटाया जाए और जीएमसी की ‘जहरीली कार्य संस्कृति’ को खत्म किया जाए. अगर वह इसी अस्पताल में रहते हैं, तो छात्रों को डर है कि उनका भविष्य खराब हो सकता है.'' उन्होंने कहा कि बाल रोग विभाग की एक अन्य पीजी छात्रा ने चार जनवरी को आत्महत्या कर ली थी. डॉ. सीते ने दावा किया कि 50 से 70 रेजिडेंट डॉक्टर भी शुक्रवार को हड़ताल में शामिल हो गए. बार-बार प्रयास करने के बावजूद डॉ. अरुणा कुमार से संपर्क नहीं हो सका.
(भाषा-पीटीआई)