भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जबलपुर और नागपुर जाने वालों के लिए एकमात्र रास्ता कलियासोत ब्रिज से गुजरता है. इस रूट की सभी सड़कों को MPRDC और NHI ने मिलकर तैयार किया था, इसी में कलियासोत ब्रिज भी शामिल है. इसी ब्रिज को कुल 8 लेन बनाया गया था. 4 लेन सीधे आने-जाने वालों के लिए और बाकी 4 लेन लोकल लोगों के लिए सर्विस रोड के रूप में बनाया गया था. इसी में भोपाल से मंडीदीप को जोड़ने वाले सर्विस रोड की रिेटेनिंग वाॅल बीते साल कलियासोत नदी के तेज बहाव के कारण ढह गई थी. तब इसको लेकर बड़ा बवाल मचा था और इस इंजीनियर को भी इसमें सस्पेंड किया गया था. इसके बाद MPRDC के इंजीनियर्स ने दावा किया था कि वे इसे बारिश खत्म होने के 3 माह बाद बनाकर तैयार कर देंगे. लेकिन अभी भी इसका काम बदस्तूर जारी है. इसका खुलासा तब हुआ, जब ईटीवी भारत ने मौका मुआयना किया.
रिटेनिंग वालॅ का काम जारी: मौके पर रिटेनिंग वालॅ बनाने का काम चल रहा है. रिटेनिंग वाॅल और रोड फिलिंग का काम तो पूरा ही बाकी है, इसके चलते ट्रैफिक को लंबी दूरी के लिए बनाए गए कॉरीडोर से निकाला जा रहा है. जिस ब्रिज का इस्तेमाल अभी किया जा रहा है, वह काफी पुराना है और इसे मेंटनेंस करके तैयार किया था. अब पूरा भार इसी हिस्से पर है. मामले में मौके पर अफसर से बात करनी चाही तो पता चला कि वह बाहर हैं. तब MPRDC के डीएम दिनेश स्वर्णकार से बात कि तो उन्होंने बताया कि ''लगभग काम पूरा हो गया है और अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक इस रोड को शुरू कर दिया जाएगा''. उन्होंने बताया कि ''हादसे से सबक लेते हुए अब रिटेनिंग वॉल की डिजाइन में बदलाव किया है और इसे दोहरा सपोर्ट दिया जा रहा है''.
रिटेनिंग वॉल के साथ बह गई थी रोड: कलियासोत नदी पर बने हाईवे क्रमांक 12 की एप्रोच मार्ग को सर्पोट देने के लिए रिटेनिंग वाॅल बनाई गई थी, यही तेज बारिश का भार नहीं सह पाई. वॉल के साथ लगभग 4 मीटर चौड़ी और 20 मीटर लंबी सड़क भी दरक गई थी. इस वॉल की ऊंचाई लगभग 7:30 से 8 मीटर बताई गई. जब MPRDC के अफसरों ने मामले की जांच की तो पाया कि इसकी इंजीनियरिंग डिजाइन में ही खामी है. प्रारंभिक जांच में ब्रिज की डिजाइन में गड़बड़ी का पता चला और इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया. निर्माण एजेंसी और कंसल्टेंट सर्विस देने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था.