भोपाल। प्रदेश की राजधानी के विकास की रूपरेखा बिना मास्टर प्लान ही तैयार हो रही है. 28 साल बाद भी मास्टर प्लान जमीन पर नहीं उतर पाया है. हालांकि माना जा रहा है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा संशोधानों पर अंतिम निर्णय लेने से राज्य सरकार दावे आपत्ति बुलाएगी. हालांकि इसको लेकर कोई समय सीमा तय नहीं है. माना जा रहा है कि नगर निगम चुनाव के बाद ही सुनवाई होगी. उधर, कांग्रेस के मुताबिक मास्टर प्लान के नाम पर सिर्फ सरकार लोगों को फूल बना रही है. बीजेपी चाहती ही नहीं है कि मास्टर प्लान लाया जाए.
पिछले साल मार्च में जारी हुआ था ड्राफ्ट
करीब 16 वर्षों की मशक्कत के बाद पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान पांच मार्च को मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी हुआ था लेकिन सरकार बदलने और फिर कोरोना संक्रमण के चलते प्लान पर दावे-आपत्ति में देरी हुई. इसके चलते जुलाई में नए सिरे से अधिसूचना जारी की गई, जिसमें 1731 आपत्तियां आईं. सुनवाई के आधार पर टीएनसीपी ने अपनी रिपोर्ट के साथ ड्राफ्ट शासन को भेज दिया. बताया जा रहा है कि अब राज्य सरकार दावे-आपत्तियां बुलाएगी. इसके बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा. इस मामले को लेकर सिटीजन फोरम के पूर्व डीजी अरुण गुर्टू हाईकोर्ट भी गए हैं. इसे लेकर सुनवाई होना बाकी है. उनके मुताबिक बिना मास्टर प्लान के जरिए जिस तरह से विकास हो रहा है. उसकी वजह से भोपाल धीरे-धीरे स्लम की तरह विकसित हो रहा है. भोपाल में वीआईपी बहुत ज्यादा है, इसकी वजह से धीरे-धीरे लैंड यूज बदल रहा है.
सरकार नहीं चाहती मास्टर प्लान लानाः कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा कि बीजेपी सरकार मास्टर प्लान लाना ही नहीं चाहती है. यही वजह है कि इतने वर्षों में मास्टर प्लान नहीं लाया जा सका. पिछली कमलनाथ सरकार मास्टर प्लान का ड्राफ्ट लेकर आई थी लेकिन सत्ता बदलते ही फिर इस पर अड़ंगा लग गया. सरकार मास्टर प्लान के नाम पर लोगों को फूल बना रही है.
पिछले मास्टर प्लान की 26 सड़कें नहीं बन पाईं
प्रदेश की राजधानी भोपाल का आखिरी मास्टर प्लान 2005 में आया था. इस मास्टर प्लान में तय की गई करीब 26 सड़कें आज तक नहीं बन पाईं. इन मास्टर प्लान की सड़कें अतिक्रमण और भू-अर्जन की वजह से अटकी हुई हैं. हालांकि इसे लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन ज्यादातर काम नहीं हो सका. बरखेड़ से अवधपुरी को जोड़ने वाली एक सड़क पर एक स्कूल बाधा बना हुआ है. मास्टर प्लान में बावड़िया कला रेल क्राॅसिंग का आरओबी बन गया है. इसके अलावा अभी एक और आरओबी प्रस्तावित है. वहीं मिसरोद फेज-2 तक की तीन सड़कें नहीं बन पाईं. सिंगारचोरी रेलवे क्राॅसिंग से बैरसिया रोड 4.47 किलोमीटर तक की सड़क पर अवैध काॅलोनियां कट चुकी हैं. आशिमा माॅल से पारस एम्पायर तक एक किलोमीटर की सड़क नहीं बन सकी. औरा माॅल से शाहपुरा सी-सेक्टर की 1.56 किमी. तक की सड़क पर प्लाॅटिंग हो गई है. इसके अलावा कुछ निर्माण और भी हो चुके हैं.
'मूल काम छोड़ काॅलोनाइजर बन गया बीडीए'
प्रदेश में शहरों के विकास के लिए भोपाल विकास प्राधिकरण सहित अन्य शहरों में प्राधिकरणों का गठन किया गया था लेकिन यह प्राधिकरण काॅलोनाइजर बन गए हैं. भोपाल विकास प्राधिकरण को मास्टर प्लान को लागू करने का काम करना था लेकिन इस पर प्राधिकरण ने ध्यान ही नहीं दिया. पूर्व आईपीएस अधिकारी और समाजसेवी अरुण गुर्टू कहते हैं कि जयपुर डेवलपमेंट अथाॅरिटी क्षेत्र को डेवलप करती है और फिर नीलाम करती है. बीडीए में ऐसा नहीं होता. बीडीए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के स्थान पर बिल्डिंग बनाने का काम कर रही है.