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Bhopal GMC Dr Suicide Case: डॉ बाला सरस्वती की खुदकुशी का मामला, डीन डॉ अरुणा कुमार का टार्चर आत्महत्या से अदालती लड़ाई तक

Bala Saraswati Suicide Case: जीएमसी डॉ सरस्वती खुदकुशी मामला सामने आने के बाद डीन डॉ अरुणा कुमार के प्रताड़ना की और कहानियां भी सामने आ रही हैं. फिलहाल आइए जानते हैं कैसे अरुणा कुमार का टार्चर आत्महत्या से अदालती लड़ाई तक

Bhopal GMC Dr Suicide Case
डीन डॉ अरुणा कुमार के प्रताड़ना की कहानियां
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Published : Aug 5, 2023, 8:47 PM IST

Updated : Aug 5, 2023, 8:55 PM IST

भोपाल। भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉ बाला सरस्वती की खुदकुशी के बाद डीन डॉ अरुणा कुमार की प्रताड़ना की परतें खुल रही हैं, गांधी मेडिकल कॉलेज में पीजी करने आए डॉ केके दुबे ने भी इसी टार्चर से तंग आकर खुदकुशी थी. जिस वक्त उन्होंने ये किया उनकी पत्नि 8 महीने की गर्भवती थी, उनकी पत्नि प्राची अग्निहोत्री बताती हैं "वो(पति) इतने तनाव में थे कि मेडिकल कॉलेज रोते हुए जाते थे, पिछले आठ साल से मैं जिस दर्द से गुजर रही हूं उसे कोई फील नहीं कर सकता."

ऐसे ही जेपी अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ श्रध्दा अग्रवाल डॉ अरुणा कुमार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. 2005 से 2011 तक की सर्विस के दौरान उनकी सीआर में 'G' लिखा गया. डॉ श्रद्धा अग्रवाल कहती हैं कि "अगर 2005 से 2011 के बीच के बाकी मेडिकल ऑफिसर्स की सीआर भी निकाली जाए तो अंदाजा लगेगा कि उस दौरान हमारी एचओडी अरुणा कुमार की की मानसिक स्थिति क्या थी." डॉ श्रध्दा अग्रवाल का आरोप है कि "मेरी पदोन्नति रोकने के लिए अरुणा कुमार ने ऐसा किया." फिलहाल स्त्री और प्रसूति रोग विभाग के सभी संकायों की सदस्यों ने भी चिकित्सा शिक्षा विभाग आयुक्त को चिट्ठी लिख दी है कि अगर इस शिकायत के बाद डॉ अरुणा कुमार को किसी भी पद रखा जाता है तो उनके अधीन हमारा काम करना असंभव हो और फिर इसकी जिम्मेदारी शासन की होगी.

Bala Saraswati Suicide Case
डीन डॉ अरुणा कुमार का टार्चर आत्महत्या

वो अस्पताल रोते-रोते जाते थे: एचओडी डॉ अरुणा कुमार का टार्चर किस दर्जे का रहा होगा. प्राची अग्निहोत्री के बयान में इसे महसूस किया जा सकता है. प्राची अग्निहोत्री डॉ केके दुबे की पत्नि हैं, डॉ केके दुबे ने 8 साल पहले इसी टार्चर से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी. जब डॉक्टर केके दुबे ने खुदकुशी की, तब उनकी पत्नि प्राची अग्निहोत्री गर्भवती थीं. प्राची कहती हैं "आठ महीने की मैं प्रैग्नेंट थी, उस समय अब तो आठ साल बीत चुके, लेकिन जो चले जाते है उनके बाद उनका परिवार हर पल सफर करता है." ऐसा कैसा टार्चर था कि खुदकुशी की नौबत आ गई? प्राची रुंधे गले से उस पूरे दौर को याद करते हुए कहती हैं "वो हॉस्पिटल जाने मे रोते थे, इससे अंदाजा लगाइए वो कितना घबराते थे. अब सोचिए आदमी रोता हुआ कैसा लगता है, जब सहन नहीं हुआ तो उन्होंने खुदकुशी कर ली."

Bhopal GMC Dr Suicide Case
डीन डॉ अरुणा कुमार की प्रताड़ना आत्महत्या से अदालती लड़ाई तक

एचओडी के टार्चर के खिलाफ डॉक्टर लड़ रही हैं कानूनी लड़ाई: डॉ श्रध्दा अग्रवाल तो अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं, फिलहाल भोपाल के ही जयप्रकाश अस्पताल में प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ श्रध्दा 1994 में सुल्तानियां अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर बतौर आई थी. 2014 तक उनका यहां कार्यकाल रहा, इस दौरान 2005 से लेकर 2011 सात साल का समय ऐसा भी रहा जब अरुणा कुमार इनकी एचओडी रहीं. डॉ श्रध्दा बताती हैं "मैने उस दौरान सिंहस्थ में काम किया था, सरकार का आदेश था कि जिन्होंने सिंहस्थ में काम किया उन्हें A+ दिया जाए, लेकिन मुझे लगातार G दिया जाता रहा. सिर्फ इसलिए की मेरी पदोन्नति रोकी ही जा सके, मैं इसके खिलाफ हाईकोर्ट गई कानूनी लड़ाई लड़ रही हूं. अगर इस दौरान के बाकी मेडिकल ऑफीसर्स की भी सीआर निकाली जाए तो पता चलेगा कि मैडम की मानसिक स्थिति क्या रही थी."

इन खबरों पर भी एक नजर:

डर्बल पर्सनालिटी की शिकार हैं अरुणा कुमार: स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के सभी संकाय सदस्यों ने आयुक्त चिकित्सा शिक्षा को चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया है कि "हम डॉ अरुणा कुमार की हकीकत बताना चाहते हैं, मानसिक रुप से ये महिला हमें प्रताड़ित करती रही है. ये महिला ड्यूल पर्सनालिटी की है, उकनी कार्यप्रणाली अत्याधिक तानाशाही वाली है और इसमें बदला लेने की प्रवृत्ति है. सदस्यों ने बताया कि "2005 से अब तक बहुत सारे संकाय सदस्यों ने नौकरी छोड़ी और जो खाली पद हैं, उसमें भी कोई नहीं आना चाहता. उन्होंने लगभग सभी की सीआर खराब की है. अरुणा कुमार की वजह से हम सभी फैकल्टी की निजी और पारिवारिक जिंदगी पर बहुत बुरा असर प़ड़ रहा है."

भोपाल। भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉ बाला सरस्वती की खुदकुशी के बाद डीन डॉ अरुणा कुमार की प्रताड़ना की परतें खुल रही हैं, गांधी मेडिकल कॉलेज में पीजी करने आए डॉ केके दुबे ने भी इसी टार्चर से तंग आकर खुदकुशी थी. जिस वक्त उन्होंने ये किया उनकी पत्नि 8 महीने की गर्भवती थी, उनकी पत्नि प्राची अग्निहोत्री बताती हैं "वो(पति) इतने तनाव में थे कि मेडिकल कॉलेज रोते हुए जाते थे, पिछले आठ साल से मैं जिस दर्द से गुजर रही हूं उसे कोई फील नहीं कर सकता."

ऐसे ही जेपी अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ श्रध्दा अग्रवाल डॉ अरुणा कुमार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. 2005 से 2011 तक की सर्विस के दौरान उनकी सीआर में 'G' लिखा गया. डॉ श्रद्धा अग्रवाल कहती हैं कि "अगर 2005 से 2011 के बीच के बाकी मेडिकल ऑफिसर्स की सीआर भी निकाली जाए तो अंदाजा लगेगा कि उस दौरान हमारी एचओडी अरुणा कुमार की की मानसिक स्थिति क्या थी." डॉ श्रध्दा अग्रवाल का आरोप है कि "मेरी पदोन्नति रोकने के लिए अरुणा कुमार ने ऐसा किया." फिलहाल स्त्री और प्रसूति रोग विभाग के सभी संकायों की सदस्यों ने भी चिकित्सा शिक्षा विभाग आयुक्त को चिट्ठी लिख दी है कि अगर इस शिकायत के बाद डॉ अरुणा कुमार को किसी भी पद रखा जाता है तो उनके अधीन हमारा काम करना असंभव हो और फिर इसकी जिम्मेदारी शासन की होगी.

Bala Saraswati Suicide Case
डीन डॉ अरुणा कुमार का टार्चर आत्महत्या

वो अस्पताल रोते-रोते जाते थे: एचओडी डॉ अरुणा कुमार का टार्चर किस दर्जे का रहा होगा. प्राची अग्निहोत्री के बयान में इसे महसूस किया जा सकता है. प्राची अग्निहोत्री डॉ केके दुबे की पत्नि हैं, डॉ केके दुबे ने 8 साल पहले इसी टार्चर से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी. जब डॉक्टर केके दुबे ने खुदकुशी की, तब उनकी पत्नि प्राची अग्निहोत्री गर्भवती थीं. प्राची कहती हैं "आठ महीने की मैं प्रैग्नेंट थी, उस समय अब तो आठ साल बीत चुके, लेकिन जो चले जाते है उनके बाद उनका परिवार हर पल सफर करता है." ऐसा कैसा टार्चर था कि खुदकुशी की नौबत आ गई? प्राची रुंधे गले से उस पूरे दौर को याद करते हुए कहती हैं "वो हॉस्पिटल जाने मे रोते थे, इससे अंदाजा लगाइए वो कितना घबराते थे. अब सोचिए आदमी रोता हुआ कैसा लगता है, जब सहन नहीं हुआ तो उन्होंने खुदकुशी कर ली."

Bhopal GMC Dr Suicide Case
डीन डॉ अरुणा कुमार की प्रताड़ना आत्महत्या से अदालती लड़ाई तक

एचओडी के टार्चर के खिलाफ डॉक्टर लड़ रही हैं कानूनी लड़ाई: डॉ श्रध्दा अग्रवाल तो अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं, फिलहाल भोपाल के ही जयप्रकाश अस्पताल में प्रसूति स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ श्रध्दा 1994 में सुल्तानियां अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर बतौर आई थी. 2014 तक उनका यहां कार्यकाल रहा, इस दौरान 2005 से लेकर 2011 सात साल का समय ऐसा भी रहा जब अरुणा कुमार इनकी एचओडी रहीं. डॉ श्रध्दा बताती हैं "मैने उस दौरान सिंहस्थ में काम किया था, सरकार का आदेश था कि जिन्होंने सिंहस्थ में काम किया उन्हें A+ दिया जाए, लेकिन मुझे लगातार G दिया जाता रहा. सिर्फ इसलिए की मेरी पदोन्नति रोकी ही जा सके, मैं इसके खिलाफ हाईकोर्ट गई कानूनी लड़ाई लड़ रही हूं. अगर इस दौरान के बाकी मेडिकल ऑफीसर्स की भी सीआर निकाली जाए तो पता चलेगा कि मैडम की मानसिक स्थिति क्या रही थी."

इन खबरों पर भी एक नजर:

डर्बल पर्सनालिटी की शिकार हैं अरुणा कुमार: स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के सभी संकाय सदस्यों ने आयुक्त चिकित्सा शिक्षा को चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया है कि "हम डॉ अरुणा कुमार की हकीकत बताना चाहते हैं, मानसिक रुप से ये महिला हमें प्रताड़ित करती रही है. ये महिला ड्यूल पर्सनालिटी की है, उकनी कार्यप्रणाली अत्याधिक तानाशाही वाली है और इसमें बदला लेने की प्रवृत्ति है. सदस्यों ने बताया कि "2005 से अब तक बहुत सारे संकाय सदस्यों ने नौकरी छोड़ी और जो खाली पद हैं, उसमें भी कोई नहीं आना चाहता. उन्होंने लगभग सभी की सीआर खराब की है. अरुणा कुमार की वजह से हम सभी फैकल्टी की निजी और पारिवारिक जिंदगी पर बहुत बुरा असर प़ड़ रहा है."

Last Updated : Aug 5, 2023, 8:55 PM IST
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