भोपाल। 2 और 3 दिसंबर 1984 की वो काली रात, जब भोपाल में डाउ केमिकल की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ और हजारों जिंदगियां काल के गाल में समा गईं. उस भयानक रात का मंजर 38 साल बाद आज भी भोपाल के पास बनी गैस पीड़ित बस्तियों में जिंदा है और यह गैस पीड़ित आज भी सही मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन के लिए तैयार है. इस बार 3 दिसंबर को दिल्ली में जाकर जंतर मंतर पर गैस पीड़ित आंदोलन करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में लगी सुधार याचिका के लिए सही आंकड़े देने की मांग सरकार से करेंगे.
गैस पीड़ितों के सही आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के सामने रखने की मांग: भोपाल गैस पीड़ित संगठन की रचना ढींगरा के अनुसार ''उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि गैस पीड़ितों के सही आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे जाएं. 93 प्रतिशत लोगों को ही मात्र 25 हजार मुआवजे दिए गए हैं, सरकार द्वारा सुधार याचिका लगाई गई है, उसमें भी 25 हजार की बात रखी गई है. जबकि 1 बार भी अगर गैस लग जाए तो जिंदगी भर वह व्यक्ति पीड़ित रहता है. यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल से 646 अरब का जो सही मुआवजा है वह हमको दिया जाए. इस हिसाब से हर गैस पीड़ित को कम से कम 6 लाख मुआवजा मिल सके, अभी जो स्थिति है उस हिसाब से 5 लाख 74 हज़ार लोगों को मुआवजा मिला है. जिसमें से 5,21 हजार लोगों को मात्र 25 हजार ही मुआवजा मिला है''.
जंतर-मंतर पर करेंगे आवाज बुलंद: रचना ढींगरा ने कहा जिनको टीबी, कैंसर की गंभीर बीमारी है उनको भी मात्र 25 हजार रुपये का ही मुआवजा दिया गया है. हमेशा कहा जाता है कि गैस कांड के समय कांग्रेस सरकार की गलती रही है, आज के समय में केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में इन सरकारों को निर्णय लेना चाहिए और गैस पीड़ितों को सही मुआवजा दिलवाना चाहिए. भोपाल से 2 हजार से अधिक गैस पीड़ित शुक्रवार 2 दिसंबर को रेल के माध्यम से दिल्ली पहुंचेंगे और 3 तारीख को सुबह से ही जंतर-मंतर पर ही अपनी आवाज बुलंद करेंगे. ऐसे में गैस पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट की सुधार याचिका पर पूरी उम्मीद है कि उसके माध्यम से उन्हें एक बार फिर सही मुआवजा मिल पाएगा.