भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी मामले में मंगलवार को भोपाल जिला कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में डाउ केमिकल के खिलाफ गैस पीड़ितों की ओर से याचिका लगाई गई थी. अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी. आज हुई सुनवाई में डाउ केमिकल की ओर से मौजूद वकीलों ने अपना तर्क रखा और बताया कि डाउ केमिकल विदेशी कंपनी है. उसका क्षेत्र भोपाल नहीं है. इसलिए यह केस भोपाल अदालत में नहीं हो सकता. इसकी विस्तृत जानकारी मुहैया कराने के लिए उन्हें कुछ समय चाहिए. इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए, 25 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है. वहीं दूसरी और गैस पीड़ितों को अभी भी न्याय की उम्मीद है.
सुनवाई में ये लोग रहे मौजूद: देश की सबसे भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड पर जिला अदालत में सुनवाई हुई. जिसमें मौजूद रहने के लिए 36 साल बाद पहली बार किसी विदेशी कंपनी डाउ केमिकल की ओर से किसी ने शिरकत की. भोपाल जिला अदालत में विधान माहेश्वरी की कोर्ट में यह सुनवाई हुई. जिसमें डाउ केमिकल की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रविंद्र श्रीवास्तव और महिला वकील सिराज पटोदिया मौजूद रही. जो दिल्ली से यहां आए थे. जबकि गैस पीड़ितों की ओर से अवी सिंह ने पैरवी की. जो ऑनलाइन इसमें जुड़े थे. वहीं सीबीआई की ओर से भी प्रतिनिधि व वकील इस सुनवाई में शामिल रहे.
भोपाल गैस त्रासदी पर 25 नवंबर को होगी सुनवाई: विधान माहेश्वरी ने सुनवाई शुरू करते हुए पहले गैस पीड़ितों की और से मौजूद अवी सिंह से अपनी बात रखने को कहा. जिस पर सिंह ने बताया कि यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल 2001 में अपने अधिग्रहण में ले चुकी है. ऐसे में यहां हुई मौतों की जिम्मेदारी भी डाउ केमिकल की होती है. जिस कारण डाउ केमिकल पर केस दर्ज होने चाहिए. इसके जवाब में डाउ केमिकल की ओर से मौजूद वकीलों ने अपने पक्ष रखें. जिसमें बताया गया कि डाउ केमिकल भारत के बाहर की कंपनी है और उसका क्षेत्र भोपाल नहीं है. दिल्ली से आए वकीलों के साथ भोपाल के वकील संदीप गुप्ता ने बताया हमने यह तमाम पक्ष कोर्ट के सामने रख दिया है और उनसे समय भी मांगा है. जिसके माध्यम से हम अपनी बात के साथ पूरे साक्ष्य भी प्रस्तुत कर सकेंगे. कोर्ट ने हमें सुनने के बाद अपने फैसले को फिलहाल 6 अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रखा है. अगली सुनवाई अब 25 नवंबर को होगी.
पीड़ितों को न्याय की उम्मीद: वहीं इस मामले में गैस पीड़ित संगठनों ने भोपाल कोर्ट के बाहर बैनर लेकर प्रदर्शन भी किया. इनको अभी भी सीबीआई से उम्मीद है. गैस पीड़ित रशीद बी का कहना है कि "दोषियों को सजा मिले और गैस पीड़ितो को न्याय यही उनकी उम्मीद है." वहीं गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा का कहना है कि "आज पेशी हो गई है. डाउ के वकीलों ने समय मांगा है और ये भी बोला है कि वह इस बात की खोजबीन कर रहे हैं कि क्या भारत की अदालत के पास अमरीकी कंपनी डाउ केमिकल को सुनने के लिए jurisdiction (क्षेत्राधिकार) है कि नहीं. डाउ कम्पनी ने आज Partial Appearance दर्ज की है."
भोपाल गैस त्रासदी: गौरतलब है कि दो-तीन दिसंबर 1984 की रात भोपाल में हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे. यहां यूनियन कार्बाइड से निकली गैस ने कई लोगों को अपने आगोश में ले लिया था. यूनियन कार्बाइड से निकली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस पूरे शहर में ऐसी फैली की एक रात में ही कई परिवार बेघर हो गए और पूरे के पूरे परिवार ही काल के गाल में समा गए. इस कांड को याद करते हुए आज भी लोग सिहर जाते हैं. भोपाल गैस कांड में वैसे तो 5000 से अधिक मौतों का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत उससे कुछ ज्यादा ही है.